भारत ने खारिज किया संयुक्त राष्ट्र का 300 अरब डॉलर का समझौता, कहा- बात रखने का नहीं मिला मौका
COP29 भारत ने कॉप-29 में ग्लोबल साउथ के लिए निर्धारित 300 अरब अमेरिकी डॉलर के पैकेज को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह पैकेज बहुत कम है। भारत ने कहा कि समझौते को मंजूरी से पहले उसे बात रखने का मौका नहीं दिया गया। नाइजीरिया समेत कई अन्य देशों ने भी इस पर भारत का समर्थन किया है।
पीटीआई, बाकू। भारत ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) में 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के नए जलवायु फंडिंग पैकेज को रविवार को खारिज कर दिया। कहा कि यह पैकेज बहुत कम है। समझौते को मंजूरी से पहले भारत को बात रखने का मौका नहीं दिया गया।
अजरबैजान में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के वित्त समझौते को मंजूरी दी गई। इसके तहत 2035 तक प्रतिवर्ष मात्र 300 अरब अमेरिकी डॉलर की फंडिंग की जाएगी। ग्लोबल साउथ के देश तीन वर्षों से 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग कर रहे हैं।
कई देशों ने किया बैठक का बहिष्कार
'ग्लोबल साउथ' का संदर्भ दुनिया के गरीब और विकासशील देशों के लिए दिया जाता है। मसौदे पर परामर्श नहीं किए जाने से नाराज कई देशों ने बैठक का बहिष्कार किया। जलवायु सम्मेलन के समापन सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं चांदनी रैना ने समझौते को पारित करने की प्रक्रिया को 'अनुचित' और 'मनगढ़ंत' करार दिया।कहा, 'हम यूएनएफसीसीसी सचिवालय और प्रेसिडेंसी (काप-29 के मेजबान) की कार्रवाइयों से आहत हैं। बोलने का मौका न देना यूएनएफसीसीसी (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) प्रणाली के अनुरूप नहीं है। हम चाहते हैं कि आप हमारी बात सुनें। उन्होंने कहा, 'नया जलवायु फंडिंग पैकेज बहुत कम है। यह विकासशील देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुरूप नहीं है। भारत इसे वर्तमान स्वरूप में स्वीकार नहीं करेगा।'
विकसित देशों से सहायता की मांग
गौरतलब है कि विकासशील और गरीब देश ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार विकसित देशों से सहायता की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें गर्म होती दुनिया से निपटने में मदद मिल सके।नाइजीरिया ने भी किया भारत का समर्थन
नाइजीरिया, मलावी और बोलीविया ने भी भारत का समर्थन किया है। नाइजीरिया की वार्ताकार नकिरुका मडुकेवे ने कहा कि जलवायु फंडिंग पैकेज 'मजाक' है। गरीब देशों के संघ एलडीसी के अध्यक्ष इवांस नजेवा ने पैकेज को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि पृथ्वी की सेहत सुधारने का मौका गंवा दिया। वहीं अफ्रीकी वार्ताकारों के समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह समझौता 'कड़वे मन से' किया गया।