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आतंकियों को पनाह देने वाले देशों को बेनकाब किया जाए, चिनफिंग-शहबाज की मौजूदगी में जयशंकर ने पाकिस्तान को सुनाई खरी खरी

विदेश मंत्री ने कहा सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और आतंकवाद के वित्तपोषण एवं आतंकियों की भर्ती से दृढ़ता से निपटा जाना चाहिए। एससीओ को अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटना चाहिए। इस संबंध में हम दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते। साथ ही कहा कि पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता के दौरान विषय पर जारी संयुक्त बयान दिल्ली की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Updated: Thu, 04 Jul 2024 10:47 PM (IST)
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विदेश मंत्री ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर चीन पर निशाना साधा। (फोटो, एक्स)
पीटीआई, अस्ताना। भारत ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को अलग-थलग और बेनकाब करने का आह्वान किया जो आतंकियों को पनाह देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण पढ़ा। इसमें उन्होंने याद दिलाया कि आतंकवाद से लड़ाई एससीओ के मूल उद्देश्यों में से एक है।

चिनफिंग, शहबाज और पुतिन की मौजूदगी में बोले विदेश मंत्री

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एवं अन्य नेताओं की उपस्थिति में उन्होंने कहा, 'हममें से कई लोगों को ऐसे अनुभव हुए हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे होते हैं। हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि अगर इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह क्षेत्रीय व वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। आतंकवाद को किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता।'

आतंकियों को पनाह देने वाले देशों को बेनकाब करना चाहिए

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग व बेनकाब करना चाहिए जो आतंकियों को पनाह देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। उनका इशारा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान और उसके सदाबहार मित्र चीन की ओर था।

सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की जरूरत

उन्होंने आगे कहा, "सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और आतंकवाद के वित्तपोषण एवं आतंकियों की भर्ती से दृढ़ता से निपटा जाना चाहिए। एससीओ को अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटना चाहिए। इस संबंध में हम दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते।" साथ ही कहा कि पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर जारी संयुक्त बयान नई दिल्ली की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर चीन पर निशाना साधा

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर चीन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, आर्थिक विकास के लिए मजबूत कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है। यह हमारे समाजों के बीच सहयोग और विश्वास का मार्ग भी प्रशस्त कर सकती है। कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक है। इसी तरह गैर-भेदभावपूर्ण व्यापारिक अधिकार और पारगमन व्यवस्था भी आवश्यक है। एससीओ को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।

शिखर सम्मेलन जारी संघर्षों के बीच हो रहा

साथ ही कहा, यह शिखर सम्मेलन महामारी के प्रभाव, जारी संघर्षों, बढ़ते तनाव, विश्वास की कमी और दुनियाभर में हॉटस्पाट की बढ़ती संख्या की पृष्ठभूमि में हो रहा है। इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण दबाव डाला है। इस सम्मेलन का उद्देश्य इन घटनाक्रमों के परिणामों को कम करने के लिए साझा आधार तलाशना है।

एससीओ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए प्रतिबद्ध

उन्होंने यह भी कहा कि एससीओ का विस्तारित परिवार मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। यह तभी संभव है जब ये प्रयास संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद तक विस्तारित हों। उम्मीद है कि निकट भविष्य में हम मजबूत आम सहमति विकसित कर सकेंगे।

आतंकवाद से संयुक्त प्रयासों से निपटा जाए- शहबाज

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एससीओ बैठक में आतंकवाद को चिंता का प्रमुख मुद्दा बताते हुए कहा कि इसके सभी रूपों से संयुक्त प्रयासों से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति कायम रखना आर्थिक विकास की पूर्व शर्त है। साथ ही अफगान तालिबान सरकार के साथ सार्थक बातचीत का आह्वान किया। शहबाज ने यह भी कहा कि अफगान तालिबान को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए कि उसकी जमीन का इस्तेमाल किसी देश के विरुद्ध आतंकवाद के लिए न हो।

शहबाज ने कश्मीर मुद्दे का परोक्ष रूप से किया जिक्र

कश्मीर मुद्दे का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और लोगों के आत्मनिर्णय के मौलिक अधिकार के सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के प्रति सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव हमारे क्षेत्र सहित दीर्घकालिक विवादों को हल करने के लिए एक व्यावहारिक ढांचा प्रदान करते हैं। सीपीईसी को उन्होंने एससीओ के विजन के अनुरूप बताया और क्षेत्र के भीतर आपसी समझौतों में राष्ट्रीय मुद्राओं को बढ़ावा देने की पैरवी की।

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