1971 की जंग पर जनरल बाजवा का विवादित बयान, कहा- केवल 34 हजार जवानों ने किया था भारत के सामने आत्मसमर्पण
पाकिस्तान के सेना के प्रमुख जनरल बाजवा ने कहा है कि 1971 की जंग में भारतीय सेना के सामने 34 हजार पाकिस्तानी जवानों ने आत्मसमर्पण किया था। उन्होंने कहा कि ये एक राजनीतिक विफलता थी न कि सेना की विफलता थी।
इस्लामाबाद (एएनआई)। पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने बांग्लादेश उदय और वहां पर भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना के जवानों के आत्मसमर्पण को लेकर एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा 1971 की जंग में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के महज 34 हजार जवानों ने आत्मसमर्पण किया था।
ऐसा कहकर उन्होंने भारत द्वारा किए जाते रहे उस दावे को झूठा बताने की कोशिश की है जिसमें कहा जाता है कि 1971 की जंग में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के करीब 90 हजार से अधिक जवानों ने आत्मसमर्पण किया था।
29 नवंबर को रिटायर होंगे जनरल बाजवा
बता दें कि जनरल बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं और उनकी जगह पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को नया सेनाध्यक्ष नियुक्त किया है। जनरल बाजवा ने अपने सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने से पहले इस तरह का बयान देकर विवाद को पैदा करने की कोशिश की है।
सेना की कमी नहीं है राजनीतिक विफलता
रक्षा और शहीदी दिवस के मौके उन्होंने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान, जो अब बांग्लादेश है, वो सेना की खामियों का नतीजा नहीं था बल्कि राजनीतिक विफलता का कारण बना था। इस दौरान भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान सेना के 92 हजार जवानों ने नहीं बल्कि 34 हजार जवानों ने आत्मसमर्पण किया था। उनका कहना था कि अन्य पाकिस्तान के दूसरेविभागों से थे, जो उस वक्त ढाका में तैनात थे, आत्मसमर्पण किया था।
बाजवा ने की जवानों की तारीफ
जनरल बाजवा ने कहा कि जिन 34 हजार पाकिस्तानी जवानों ने आत्मसमर्पण किया था वो भारतीय सेना के ढाई लाख जवानों और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी के दो लाख ट्रेंड जवानों से लोहा ले रहे थे। वो जानते थे कि वो भारतीय सेना के आगे काफी कम हैं, फिर भी वो लड़े।
बहादुर जवानों को भूल गया पाकिस्तान
बांग्लादेश उदय के बारे में जिक्र करते हुए जनरल बाजवा ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल ला प्रशासक और पाकिस्तान सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने 16 दिसंबर 1971 को भारतीय कमांडर के सामने आत्मसमर्पण किया था और इसके दस्तावेज को साइन किया था। इसके साथ ही बांग्लादेश का उदय हुआ था।
उन्होंने इस मौके पर पाकिस्तान सेना के उन जवानों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की जिनको देश ने कभी याद नहीं किया या जिन्हें देश वासी भूल गए। उन्होंने कहा कि ये उन जवानों के साथ बड़ा अन्याय है कि हम उन्हें भूल गए। जनरल बाजवा ने पाकिस्तान सेना पर उठाई जा रही अंगुलियों के जवाब में कहा कि इसको सहने की एक सीमा होती है।