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Pakistan: पाकिस्तान के 'संकटमोचक' बनेंगे बिलावल भुट्टो-जरदारी, राजनेताओं के बीच बातचीत का किया आह्वान

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने नकदी संकट से जूझ रहे देश में महंगाई बेरोजगारी गरीबी और आतंकवाद जैसे मुद्दों को हल करने के लिए राजनीतिक ताकतों के बीच सोमवार को बातचीत का आह्वान किया है। पूर्व विदेश मंत्री ने यहां भुट्टो संदर्भ और इतिहास के विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा लोग महंगाई बेरोजगारी और गरीबी से परेशान हैं।

By Siddharth Chaurasiya Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Mon, 13 May 2024 05:58 PM (IST)
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बिलावल भुट्टो-जरदारी ने पाकिस्तान संकट को लेकर राजनेताओं के बीच बातचीत का आह्वान किया है।
पीटीआई, लाहौर। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने नकदी संकट से जूझ रहे देश में महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी और आतंकवाद जैसे मुद्दों को हल करने के लिए राजनीतिक ताकतों के बीच सोमवार को बातचीत का आह्वान किया है।

पूर्व विदेश मंत्री ने यहां 'भुट्टो संदर्भ और इतिहास' के विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, "लोग महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से परेशान हैं। इनके अलावा, आतंकवाद भी देश और लोगों के लिए एक मुद्दा है।" 35 वर्षीय नेता ने पूछा, "अगर राजनेता एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं, तो इन मुद्दों को कैसे हल किया जा सकता है।"

बता दें कि पीपीपी अध्यक्ष दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनके पिता राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पिछले महीने संयुक्त संसद सत्र में अपने संबोधन में सुलह का संदेश दिया था।

जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग सुलह नहीं चाहते, उन्होंने हंगामा किया। बिलावल ने कहा कि उनकी पार्टी का प्रशिक्षण पूर्व प्रधानमंत्रियों जुल्फिकार अली भुट्टो और बेनजीर भुट्टो ने किया था। बिलावल ने कहा, "हमारा चरित्र उनके प्रशिक्षण से मेल खाना चाहिए और हमें उन महान नेताओं का प्रतिनिधित्व करना चाहिए।"

बिलावल के दादा जुल्फिकार अली भुट्टो 1971 से 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति और फिर 1973 से 1977 तक प्रधान मंत्री रहे। उन्होंने पीपीपी की स्थापना की और 1979 में अपनी फांसी तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

पूर्व विदेश मंत्री ने देश में प्रचलित राजनीतिक संस्कृति पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, "इस समय हमारे समाज में नफरत की राजनीति चल रही है। राजनीति को निजी दुश्मनी में बदल दिया गया है।" बिलावल के हवाले से कहा, "हम अपने समाज में मतभेद का सम्मान नहीं करते।" पीपीपी अध्यक्ष ने कहा कि इन सबके बावजूद, पीपीपी हमेशा राजनीतिक बातचीत और सुलह में विश्वास करती है।

उन्होंने कहा, “1973 का संविधान सर्वसम्मति का परिणाम था। संविधान में 18वां संशोधन आसिफ अली जरदारी के राष्ट्रपति रहते हुए आम सहमति से किया गया था। हमने संसद में सभी राजनीतिक ताकतों को साथ लेकर यह सब किया।"

जुल्फिकार अली भुट्टो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बात करते हुए पीपीपी अध्यक्ष ने कहा कि भुट्टो मामले में न्यायिक फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं के लंबे और कठिन संघर्ष और उनकी मां के 30 साल के लंबे संघर्ष का परिणाम था। बिलावल ने कहा, "कायद-ए-अवाम शहीद जुल्फिकार अली भुट्टो को न्याय दिलाने के लिए यह संदर्भ राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को भेजा गया था।"

पीपीपी अध्यक्ष ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई की और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि भुट्टो के साथ न्याय नहीं हुआ और उनके खिलाफ मुकदमा उचित नहीं था। उन्होंने कहा, "हम इस फैसले को ऐतिहासिक मानते हैं और अब जब अदालत ने खुद माना है कि जुल्फिकार अली भुट्टो की सजा गलत थी, तो हमें न्यायिक सुधार करना चाहिए। न्यायपालिका भी अपने सुधार ला सकती है लेकिन यह मुख्य रूप से संसद का कार्य है।”

एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने हाल ही में रिपोर्ट दी थी, "बिलावल के पाकिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में एक और कार्यकाल के लिए वापसी करने की संभावना है, क्योंकि पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) एक सत्ता-साझाकरण समझौते को अंतिम रूप देने के करीब थे।"