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पीएम मोदी और पुतिन इन मुद्दों पर करेंगे वार्ता, व्यापार घाटे को कम करने का भारत ने बनाया ये मास्टर प्लान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 और 9 जुलाई को रूस दौरे पर रहेंगे। इसके बाद वह पहली बार ऑस्ट्रिया का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा कारोबार संतुलन पर फोकस रहेगा। भारत की प्राथमिकता है कि रूस के साथ व्यापार घाटे को कम किया जाए। भारत कृषि प्रौद्योगिकी और दवाओं के निर्यात से कारोबार घाटे को कम करना चाहता है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Fri, 05 Jul 2024 06:47 PM (IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। (फोटो- फाइल)

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पिछले तीन वर्षों में भारत और रूस का द्विपक्षीय कारोबार चार अरब डॉलर से बढ़कर 65 अरब डॉलर का हो गया है। 55 अरब डॉ़लर का व्यापार संतुलन रूस के पक्ष में। इन्हीं तीन वर्षों में दोनों देशों के बीच हर साल होने वाली ना तो टू प्लस टू (विदेश व रक्षा मंत्रियों की) बैठक हुई है और ना ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच तकनीकी सहयोग बढ़ाने के लिए गठित आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) की बैठक हुई है। ये दोनों तथ्य बताते हैं कि पिछले तीन चार वर्षों में भारत और रूस व्यापार में रक्षा की बजाय क्रूड बढ़ा।

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कारोबार संतुलन को प्राथमिकता

आज भारत लगभग 55 अरब डॉलर का क्रूड रूस से लेता है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि, “भारत-रूस के बीच होने वाली 22वीं शिखर बैठक में कारोबार संतुलन को बेहतर करना एक अहम प्राथमिकता होगी। पिछले वर्ष भारत ने रूस से 60 अरब डॉलर का आयात किया है जबकि निर्यात सिर्फ पांच अरब डॉलर का रहा है। भारत की कोशिश रूस को फार्मा, खाद्य उत्पाद, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र में निर्यात बढ़ा कर इसे संतुलन को अपनी तरफ झुकाने पर बात होगी।''

दो दिवसीय मास्को के दौरे पर जाएंगे पीएम

वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय कारोबार को 25 अरब डॉलर का जो लक्ष्य वर्ष 2021 में तय हुआ था वह पूरा हो चुका है। अब नया लक्ष्य तय किया जाएगा। पीएम मोदी 8-9 जुलाई को मास्को दौरे पर होंगे।

पहली बार हुई भारत-रूस निवेश फोरम की बैठक

दूसरे अधिकारी बताते हैं कि दोनो देश बदलते वैश्विक परिदृश्य को समझ रहे हैं, तभी इनके बीच सैन्य सहयोग को मजबूत बनाने को लेकर गठित समितियों की बैठकें भले ही नहीं हुई हो लेकिन अप्रैल, 2023 में आर्थिक सहयोग पर गठित अंतर-सरकारी आयोग की बैठक जरूर हुई है।

साथ ही अप्रैल, 2024 में मास्को में पहली बार भारत-रूस निवेश फोरम की बैठक हुई है। रूबल-रुपये में कारोबार करने पर भी बात हुई लेकिन अभी तक इसमें प्रगति नहीं दिखी है।

इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे मोदी और पुतिन

क्वात्रा ने बताया कि भारत से ईरान व मध्य एशिया-रूस होते हुए यूरोप को कारोबारी मार्ग से जोड़ने की योजना भी काफी महत्वपूर्ण है जिस पर पुतिन-मोदी शिखर वार्ता में बात होगी। इसका मतलब यह नहीं है कि आगामी शिखर सम्मेलन में रक्षा सहयोग पर बात नहीं होगी। भारत को समय पर एस-400 की आपूर्ति, रूस से खरीदे गये रक्षा उपकरणों व युद्धक जहाजों के लिए कल-पुर्जों की आपूर्ति और भारत में हथियारों का सह-उत्पादन ऐसे मुद्दे हैं जो महत्वपूर्ण रहेंगे।

पीएम मोदी उठाएंगे रूसी सेना में भारतीयों का मुद्दा

क्वात्रा का कहना है कि, “भारत-रूस संबंधो में रक्षा क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसे और मजबूत बनाया जाएगा।'' इसी तरह से शिखर सम्मेलन में रूस की सेना में गलत सूचना देकर भारतीयों की भर्ती करने का मुद्दा भी अहम होगा। क्वात्रा ने बताया कि तकरीबन 30-40 भारतीयों के रूस की सेना में यूक्रेन युद्ध के लिए भर्ती किये जाने की सूचना है। सरकार की कोशिश से 10 भारतीयों को स्वदेश लाया गया है जबकि इनकी भर्ती करने वाले भारतीय एजेंसियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।

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