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    नया नियम: अब बच्चों के लिए भी दोपहिया वाहनों पर हेलमेट जरूरी, कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा निर्देश

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 09:15 PM (IST)

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दोपहिया वाहनों पर बच्चों के लिए हेलमेट अनिवार्य कर दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को चाइल्ड साइज हेलमेट और सुरक्षा हार्नेस उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश एक जनहित याचिका पर आया, जिसमें बच्चों के लिए सही साइज के हेलमेट की उपलब्धता पर जोर दिया गया। 

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    बच्चों के लिए दोपहिया वाहन पर हेलमेट अनिवार्य: नया नियम

    ऑटो डेस्क, नई दिल्‍ली। अब दोपहिया वाहनों पर बच्चों के लिए भी हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा। हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ऐसा करने के निर्देश दिए है। इसको लेकर हाई कोर्ट ने कहा कि दोपहिया वाहनों पर सफर करने वाले बच्चों के लिए चाइल्ड साइज हेलमेट और सुरक्षा हार्नेस अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराए जाएं। यह आदेश एक जनहित याचिका पर आया है। इसमें बताया गया है कि भले ही कानून के अनुसार सभी राइडर्स और पिलियन को हेलमेट पहनना जरूरी है। बाजार में बच्चों के लिए सही साइज के हेलमेट मुश्किल से मिलते हैं। इसी वजह से बच्चे अक्सर बिना हेलमेट या ढीले-ढाले बड़े हेलमेट पहनकर सफर करते हैं, जो सही सुरक्षा नहीं दे पाते हैं।

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    बच्चों के लिए हेलमेट क्यों जरूरी?

    • कर्नाटक हाई कोर्ट ने इसपर आदेश सुनाते हुए कहा कि कानून तो पहले से ही हेलमेट को अनिवार्य करता है। हेलमेट के निर्माण और बिक्री से जुड़े नियमों में बच्चों के लिए खास प्रावधान नहीं है। हेलमेट कंपनियां ज्यादातक केवल वयस्कों के लिए प्रोडक्ट बनाती है। इसकी वजह से माता-पिता चाहकर भी अपने छोटे बच्चों के लिए फिटिंग वाले हेलमेट नहीं खरीद पाते हैं।
    • अदालत में रखे हादसों के आंकड़ों के मुताबिक, दोपहिया दुर्घचनाओं में करीब 15 फीसद बच्चों की मौत हुई है। कई मामलों में बच्चों को सिर पर गंभीर चोटें आई है, जिसमें ब्रेन कंट्यूजन, स्कल फ्रैक्चर और इंटरनल ब्लीडिंग शामिल है। इनके पीछे का सबसे बड़ा कारण बच्चों के लिए सही साइज का हेलमेट नहीं मिलना है।

    बच्चों के लिए हेलमेट और सुरक्षा पर जोर

    • कर्नाटक हाई कोर्ट ने परिवहन प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह हेलमेट निर्माताओं, टू-व्हीलर डीलर्स और रिटेलर्स के साथ मिलकर काम करें, ताकि बच्चों के लिए हेलमेट हर दुकान पर मिलें। इसके साथ ही स्टॉकिंग नॉर्म्स तय किए जाएं, कीमतों पर नियंत्रण रखा जाए, अवेयरनेस ड्राइव चलाई जाए, ताकि माता-पिता को बच्चों के हेलमेट की आवश्यकता समझ आए।
    • चाइल्ड हार्नेस पर भी अदालत ने विशेष जोर दिया। ये हार्नेस सामान्य बेल्ट की तरह नहीं होते, बल्कि बच्चों के शरीर की संरचना के अनुसार बनते हैं और दुर्घटना के दौरान सिर, रीढ़ और छाती पर पड़ने वाले दबाव को कम करते हैं।
    • इसके साथ ही अदालत ने कहा कि माता-पिता को इसके लिए जागरूक करना होगा। बहुत से लोगों का मानना होता है कि बच्चे को गोद में बैठने पर हेलमेट की जरूरत नहीं और छोटे सफर में हेलमेट नहीं भी चलेगा। उनके इस भ्रम को तोड़ना होगा। क्योंकि कम गति पर गिरने से भी बच्चों को गंभीर दिमागी चोटें लग सकती हैं।

    ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन

    इस आदेश को प्रभावी बनाने के लिए कई सरकारी विभागों, कंपनियों और दुकानों को मिलकर काम करना होगा। इसके लिए दुकानों में स्टॉक की नियमित जांच हो और ट्रैफिक पुलिस नियमों का कड़ाई से पालन कराएं। अदालत ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और यूरोपीय देशों में बच्चों के लिए हेलमेट कानून पहले से लागू हैं, और वहीं के अनुभव बताते हैं कि सख्त नियम और सही उपलब्धता से सुरक्षा में बड़ा सुधार आता है।