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    मानसून में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों को सुरक्षित रखने के उपाय

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 06:02 PM (IST)

    भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता के साथ बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर महत्वपूर्ण हैं। मानसून के मौसम में पानी और बिजली से होने वाले नुकसान से बचने के लिए बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क बैटरी स्मार्ट ने स्टेशनों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें स्टेशन की जांच उपकरणों की सुरक्षा बिजली के जोखिमों की पहचान स्टाफ ट्रेनिंग और पानी के बहाव का प्रबंधन शामिल है।

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    मानसून में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों को सुरक्षित रखने के उपाय

    ऑटो डेस्क, नई दिल्‍ली। जैसे-जैसे भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है, बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इसकी मजबूत नींव बनते जा रहे हैं, खासकर ईवी दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए, जो अंतिम दूरी की कनेक्टिविटी में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि ई-रिक्शा सहित इलेक्ट्रिक वाहन ना सिर्फ शहरी परिवहन को बदल रहे हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए कमाई का जरिया भी बन रहे हैं। लेकिन मानसून का मौसम अपनी कुछ चुनौतियाँ भी लेकर आता है, जैसे पानी से नुकसान, बिजली से जुड़ी जोखिमें और सेवा में रुकावटें। कई इलाकों में 300 से 650 मिमी तक बारिश होती है, ऐसे में बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर्स के लिए ज़रूरी है कि वे अपने सेटअप को पहले से ही मानसून के हिसाब से तैयार करें।

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    बैटरी स्मार्ट, भारत का सबसे बड़ा बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क ने अपने स्टेशन पार्टनर्स के लिए मानसून की तैयारी के लिए जरूरी दिशा-निर्देश (SOPs) तैयार किए हैं। इनमें बिजली से जुड़ी सुरक्षा, स्टाफ की ट्रेनिंग और पानी से बचाव जैसे सभी ज़रूरी पहलुओं को शामिल किया गया है।

    मानसून में सुरक्षित संचालन के लिए, बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन ऑपरेटर्स के लिए 5 आसान सुझाव:

    1. मानसून से पहले स्टेशन की पूरी जांच करें

    बारिश शुरू होने से पहले स्टेशन की पूरी तरह से जांच करें। ढीले बिजली कनेक्शन या खुले तारों को चेक करें। DB बॉक्स और वायरिंग पाइप के आसपास वाटरप्रूफिंग में कोई कमी हो तो उसे ठीक करें।छत की नालियों, पाइपों और ड्रेनेज को साफ रखना भी जरूरी है, ताकि पानी जमा न हो।

    2. तेज बारिश में बैटरियों और उपकरणों को सुरक्षित रखें

    जहां जलभराव या पानी की निकासी ठीक नहीं है, वहां हल्की बारिश भी काम में रुकावट डाल सकती है। ऐसे में ऑपरेटरों को एक सूखी जगह पहले से तय कर लेनी चाहिए, जहां ज़रूरत पड़ने पर बैटरियों को रखा जा सके।चार्जर, इनवर्टर और स्विचगियर जैसे सभी इलेक्ट्रिक उपकरणों को ज़मीन से थोड़ा ऊंचा रखना चाहिए, ताकि वो पानी से न भीगें। तेज़ बारिश या आंधी के समय स्टेशन के शटर बंद रखें, ताकि पानी अंदर न जाए। बाढ़ वाले इलाकों में प्लेटफॉर्म को कम से कम छह इंच ऊंचा बनाना भी फायदेमंद रहेगा।और सबसे जरूरी बात अगर साइट पर पानी भरने लगे, तो तुरंत मुख्य पावर बंद कर दें।

    3. बिजली से जुड़े जोखिमों को समय रहते पहचानें और रोकें

    ऑपरेटर यह सुनिश्चित करें कि ई-रिक्शा की बैटरियां लोहे की बेस प्लेट पर अच्छी तरह से फिट हों, और उन्हें ले जाते समय बारिश से बचाने के लिए कवर का इस्तेमाल करें।वायरिंग, कनेक्टर और स्विचगियर की नियमित जांच जरूरी है, ताकि किसी खराबी या टूट-फूट को समय रहते पकड़ा जा सके।अगर दीवार में सीलन या पानी रिसने के निशान दिखें, तो तुरंत सुधार करें और मरम्मत से पहले मुख्य बिजली बंद कर दें।हर स्टेशन पर सही अर्थिंग होना भी जरूरी है, ताकि बिजली से जुड़ी कोई गड़बड़ी न हो।

    4. फील्ड स्टाफ को बारिश के मौसम के लिए तैयार और प्रशिक्षित करें

    स्टाफ को मानसून से जुड़ी स्थितियों को संभालने के लिए अच्छी तरह तैयार रखना जरूरी है। सभी साइट्स पर रबर के दस्ताने, वाटरप्रूफ जूते और इंसुलेटेड मैट जैसे जरूरी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध होने चाहिए।सुरक्षा से जुड़ी जरूरी जानकारी स्थानीय भाषा में साफ़ तौर पर लगाई जानी चाहिए, ताकि स्टाफ और ड्राइवर साथी दोनों आसानी से समझ सकें।छोटे शहरों में काम करने वाले सेमी-स्किल्ड स्टाफ के लिए नियमित ट्रेनिंग ज़रूरी है, जिससे वे शॉर्ट सर्किट, उपकरण खराबी या पानी से जुड़ी घटनाओं को आसानी से संभाल सकें।

    5. स्टेशन के अंदर और बाहर पानी के बहाव का प्रबंधन करें

    स्टेशन के अंदर बारिश का पानी घुसने से रोकने के लिए दरवाज़ों पर ढलान वाली पट्टियाँ या रेन गार्ड लगाएं। AC यूनिट, एक्सहॉस्ट फैन या तारों की पाइपिंग के आसपास की खाली जगहों को बंद करें। स्टेशन के बाहर जलभराव या गड्ढों की सफाई रखें। ज़रूरत पड़ने पर रेत की बोरियों या ईंटों से पानी का बहाव मोड़ने के उपाय करें। ज़्यादा जोखिम वाले इलाकों में अस्थायी रूप से संचालन रोकने या उपकरण हटाने का विकल्प रखें। स्टेशन के आसपास के क्षेत्र की अनदेखी न करें। एमसीबी और चार्जर जैसे बिजली उपकरणों के पास पानी के जमाव को रोकने के लिए आसपास की सफाई बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि इससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

    सही तैयारी और सावधानी के साथ, भारत की स्वच्छ मोबिलिटी व्यवस्था किसी भी मौसम में टिकाऊ बनी रह सकती है। वाटरप्रूफिंग, स्टाफ की ट्रेनिंग और नियमित सुरक्षा जांच जैसे कदम उठाकर बैटरी स्वैपिंग और EV चार्जिंग स्टेशन मानसून में भी सुरक्षित रूप से चल सकते हैं।

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