क्या सच में डीजल गाड़ियो पर लग जाएगा बैन? जानिए क्या है सरकार और कंपनियों का प्लान
देश की सबसे बड़ी पैसेंजर वाहन निर्माता कंपनी Maruti Suzuki ने 1 अप्रैल 2020 से डीजल वाहन बनाना बंद कर दिया है और संकेत दिया है कि उसकी इस सेगमेंट में फिर से प्रवेश करने की कोई योजना नहीं है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि डीजल कारों का भविष्य ज्यादा लंबा नहीं है इन्हे जल्द ही बंद किया जा सकता है।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार नए कदम उठाती रहती है। इसको लेकर वर्तमान में सबसे बड़ी सुर्खी बन रही है कि सरकार द्वारा डीजल इंजन से चलने वाली कारों को भविष्य में बंद किया जा सकता है। अपने इस लेख में इस विषय पर ही बात करने वाले हैं।
हम जानेंगे कि ये कदम उठाना देश के लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है और अगर डीजल कारों को बंद किया जाता है, तो इसका क्या परिणाम होने वाला है। आइए इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा कर लेते हैं।
डीजल कार बंद करने की असली वजह क्या है?
पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल के अनुमान के अनुसार, वर्तमान में भारत के पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में डीजल की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है। साल 2070 तक सरकार के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और 2070 के नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए ये कदम उठाया जाना है। बड़ी संख्या में भारतीय शहरों में 1 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं और इसमें न केवल महानगरीय केंद्र शामिल हैं बल्कि कोटा, रायपुर, धनबाद, विजयवाड़ा, जोधपुर और जैसे छोटे शहर भी शामिल हैं। इन शहरों में डीजल कारों को पहले बैन किया जा सकता है।
भारत में कौन बनाता है डीजल कारें?
देश की सबसे बड़ी पैसेंजर वाहन निर्माता कंपनी Maruti Suzuki ने 1 अप्रैल, 2020 से डीजल वाहन बनाना बंद कर दिया है और संकेत दिया है कि उसकी इस सेगमेंट में फिर से प्रवेश करने की कोई योजना नहीं है। हुंडई, किआ और टोयोटा अभी भी अपने कुछ मॉडलों के साथ डीजल इंजन ऑफर करते हैं। वहीं, टाटा मोटर्स, महिंद्रा और होंडा ने 1.2-लीटर डीजल इंजन का उत्पादन बंद कर दिया है। डीजल वेरिएंट केवल 1.5-लीटर या अधिक इंजन क्षमता के लिए उपलब्ध हैं।
मोटा-माटी कहा जा सकता है कि 2020 के बाद से अधिकांश कार निर्माताओं ने अपने डीजल पोर्टफोलियो को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। परिणामस्वरूप, कुल डीजल वाहन मांग में पैसेंजर व्हीकल का योगदान घटकर केवल 16.5 प्रतिशत रह गया है, जबकि 2013 में ये 28.5 प्रतिशत था।
लोगों को क्यों पसंद हैं डीजल कारें?
पेट्रोल पावरट्रेन की तुलना में डीजल इंजनों की हाई फ्यूल इकोनॉमी एक महत्वपूर्ण कारक है। ये अधिक उर्जावान और ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट होती हैं, जिसके चलते लोग डीजल कारों को ज्यादा प्रेफर करते हैं। तकनीक रूप से बात करें तो डीजल इंजन उच्च-वोल्टेज स्पार्क इग्निशन (स्पार्क प्लग) का उपयोग नहीं करते हैं और इस प्रकार प्रति किलोमीटर कम ईंधन का उपयोग करते हैं।
इसके अलावा डीजल इंजन अधिक टॉर्क प्रदान करते हैं और उनके रुकने की संभावना कम होती है, क्योंकि वे एक यांत्रिक या इलेक्ट्रॉनिक गवर्नर द्वारा नियंत्रित होते हैं, जिससे उनकी लोड कैपेसिटी काफी बेहतर होती है।
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