Jokihat Assembly Election: विरासत के लिए दो भाइयों में टक्कर, किसे मिल रहा जनता का आशीर्वाद?
जोकीहाट विधानसभा चुनाव में दो भाइयों के बीच विरासत की लड़ाई है। दोनों ही अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का आशीर्वाद किसे मिलता है, और कौन इस चुनावी जंग में विजयी होता है।

विरासत के लिए दो भाइयों की टक्कर
ज्योतिष झा, जोकीहाट (अररिया)। बिहार की हाट सीटों में जोकीहाट विधानसभा भी शामिल है। खासकर सीमांचल गांधी कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व तसलीमुद्दीन का गृह विधानसभा होने के नाते इस सीट पर पूरे बिहार की नजर रहती है।
यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व तसलीमुद्दीन के दो पुत्र सरफराज और शाहनवाज क्रमश: जनसुराज और राजद से चुनाव मैदान में हैं। वहीं एआइएमआइएम से मुंर्शिद आलम तो जदयू से पूर्व मंत्री मंजर आलम भाग्य आजमा रहे हैं। यहां मुस्लिम मतदाता लगभग 65 प्रतिशत तो हिन्दू मतदाता करीब 35 प्रतिशत हैं।
विधानसभा में जोकीहाट प्रखंड, एक नगर पंचायत के अलावा पलासी प्रखंड का ग्यारह पंचायत शामिल है। आगामी 11 नवंबर को मतदान को लेकर पूरा विधानसभा चुनावी मोड में है। जहां देखें वहीं चुनाव को लेकर खेमे में लोग बंट कर अपने अपने उम्मीदवारों के गुणगान में जुटे हैं। मछली भात के प्रेमी यहां के एक एक वोटर राजनीति में गहरी रूचि रखते हैं।
स्व तस्लीमुद्दीन साहब के दो पुत्रों के इस बार भी चुनाव मैदान में डटे रहने से विधानसभा की राजनीतिक सरगर्मी काफी गर्म है।
पिछली बार यहां से एआइएमआइएम प्रत्याशी शाहनवाज आलम अपने बडे़ भाई पूर्व सांसद सरफराज आलम को हराकर विधायक बने थे। लेकिन इस बार शाहनवाज राजद गठबंधन उम्मीदवार हैं, जबकि सरफराज आलम जन सुराज से मैदान में हैं।
अपने-अपने दावे
शाहनवाज ने एआइएमआइएम को छोड़कर चार विधायकों के साथ राजद गठबंधन की सरकार बनाकर फिरकापरस्त ताकतों को झटका दिया था। उनके समर्थकों का दावा है कि सरकार बनने से सीमांचल के हजारों मुस्लिम युवाओं को शिक्षक सहित अन्य नौकरी मिली। फिर से तेजस्वी यादव की सरकार बनी तो लाखों लोगों को नौकरी मिलेगी। यह एक बड़ा चुनावी फंडा है।
इस बार एनडीए ने भाजपा के बदले पूर्व मंत्री मंजर आलम को जदयू प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है। वे नीतीश व मोदी सरकार के विकास कार्यों पर वोट मांग रहे हैं। वहीं लंबे अरसे से राजनीतिक अनुभव रखने वाले पूर्व सांसद सरफराज आलम जन सुराज प्रत्याशी हैं।
उनकी गांव-गांव में अलग पकड़ है। पहले भी चार बार विधायक व बिहार सरकार में मंत्री व सांसद रह चुके हैं। चुनावी दांव पेंच अच्छे से जानते हैं। वे भी डटकर मुकाबले में खड़े हैं। हड़वा चौक पर सब्जी खरीद रहे शोएब आलम ने बताया कि यहां चौतरफा मुकाबला है। कब कौन बाजी मार लेगा कोई नहीं जानता है।
चतुष्कोणीय मुकाबला की संभावना
वहीं, हाईस्कूल चौक जोकीहाट में दुकानदार शमीम ने बताया कि पहले तो त्रिकोणीय मुकाबला होता था, लेकिन इस बार चतुष्कोणीय मुकाबले की संभावना अब तक नजर आ रही है। ओवैसी व प्रशांत किशोर ने सभा कर जोकीहाट के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।
जोकीहाट बाढ़ प्रभावित इलाका है। बकरा कनकई, परमान, रतुआ नदी हर साल बाढ़ से जन धन को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन यहां के लोग अभाव में भी जोशीले अंदाज में जीते हैं। अभी फिलहाल नदी में पानी कम हो गई है।
यहां पिछले चुनाव में एआइएमआइएम के चुनाव जीतने के बाद एक बेस वोट उनकी ताकत है, जो असदुद्दीन ओवैसी के जादुई स्पीच के दीवाने हैं, लेकिन नाराज नेता समीकरण बिगाड़ सकते हैं। उसी पार्टी से मुर्शिद आलम प्रत्याशी हैं। युवा वोटरों को जहां नौकरी देने वाली बात तेजस्वी यादव की ओर खींच रहा है, वहीं नीतीश कुमार के सुशासन, कब्रिस्तान घेराबंदी, पेंशन राशि में बढ़ोतरी, निशुल्क बिजली अपनी ओर खींच रही है।
वहीं, कुछ मुस्लिम युवा राजनीतिक हिस्सेदारी की लड़ाई में ओवैसी की ओर खींच रहे हैं। भ्रष्टाचार मुक्त विधानसभा, शिक्षा, पलायन रोकने के जनसुराज के संदेश को भी बड़ा मुद्दा मान रहे हैं। उदाहाट पर सुबह चाय की चुस्की के साथ मिली ताजगी के बाद लोगों की जुबान भी खुलने लगती है।
क्या बोलती पब्लिक?
लोग महागठबंधन, एनडीए, जनसुराज, एआइएमआइएम की जीत को लेकर अपने अपने तर्क दे रहे थे। अली हसन, सूरज ने बताया कि राजद महागठबंधन ने हर तरफ काम किया है। वहीं बैग छाप समर्थक इमरोज ने कहा कि शिक्षा के बिना कुछ नहीं हो सकता है। इसलिए सीधे मुकाबले में हम हैं।
महलगांव पेट्रोल पंप के पास खड़े चार युवा चिल्हनिया से आकर पान की दुकान पर रूके। बोले जीत हार जो भी हो लोगों की पहली पसंद पतंग ही है। मिठाई की दुकान में बैठे विकास मंडल कहते हैं बिहार में फिर से नीतीश कुमार की सरकार बनेगी। इतना रोजगार किसी सरकार ने नहीं दिया था।
इसलिए यहां जदयू प्रत्याशी मंजर आलम फीट बैठते हैं। यहां कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं जो समीकरण बिगाड़ने में लगे हैं। जो भी हो यहां रोजगार, विकास, भ्रष्टाचार बनाम कुछ लोकल इश्यू भी फैक्टर हैं।
सभी प्रत्याशी लगातार बडे़ बडे़ नेताओं को उतारने में जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। उंट किस करवट बैठेगा यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर तसलीमुद्दीन परिवार की विरासत कायम रहती है या फिर मैदान कोई और मारता है।
विधानसभा चुनाव 2020 में प्राप्त मत
| उम्मीदवार | दल | वोट |
|---|---|---|
| शाहनवाज आलम | एआइएमआइएम | 59,596 |
| सरफराज आलम | आरजेडी | 52,213 |
| रंजीत यादव | भाजपा | 48,933 |
वोट समीकरण
मुस्लिम मतदाता- 65 प्रतिशत लगभग
हिन्दू मतदाता- 35 प्रतिशत लगभग

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