Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:47 PM (IST)
नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र में यादव उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। यहां 15 में से 14 बार यादव प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। नेताओं में टिकट को लेकर होड़ मची है क्योंकि इस क्षेत्र की जीत-हार बिहार की राजनीति को प्रभावित करती है। बाढ़ यहां की मुख्य समस्या है। पिछले चुनावों में राजद और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर रही है जिसमें वोट शेयरिंग में बदलाव देखने को मिला है।
अफसर अली, अररिया। अररिया जिले के उत्तरी व पश्चिमी छोर पर बसा नरपतगंज विधानसभा। यादव प्रत्याशियों का अभेद्य दुर्ग। पहले चुनाव के बाद से यहां पर यादव प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं, भले ही पार्टी बदल जाए। यादव वोटरों का यहां दबदबा रहा है। 15 विधानसभा चुनाव में 14 बार विभिन्न राजनीतिक दलों के यादव उम्मीदवार को ही जीत मिली है।
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चुनाव लड़ने वाले नेताओं में होड़ मची है। टिकट को लेकर दावेदारी व शक्ति प्रदर्शन भी तेज हो गया है। यह क्षेत्र नेताओं के लिए कई मायनों में अहम है। यहां की जीत-हार बिहार की राजनीति पर गहरा असर डालती रही है। यहां से कई दिग्गज अपनी किस्मत अजमा चुके हैं।
नेपाल व सुपौल सीमा से सटे रहने के चलते सामरिक दृष्टिकोण से भी इसकी पहचान है। बाढ़ यहां की सबसे बड़ी समस्या रही है। जिसका स्थायी निदान आज तक नहीं हो सका है। वोटरों का मिजाज भी हर बार बदलता रहता है।
भले चाहे कोई कुछ बोले, लेकिन हकीकत है कि ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका अंदाजा लगाना बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेष्कों के लिए आसान नहीं रहा है।
राजद व भाजपा की टक्कर
पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में भाजपा व राजद में कांटे की टक्कर रही है। किसी एक दल के विधायक का यहां लगातार कब्जा नहीं रहा है। वोटिंग भी यहां के जनता के मिजाज पर निर्भर है। पिछले तीन साल के विधानसभा चुनाव में वोट शेयरिंग में बड़ा अंतर रहा है।
2020 में भाजपा से जीते जय प्रकाश यादव का वोट शेयरिंग 49.06 फीसदी और राजद से अनिल यादव को मात्र 34.79 फीसदी था, जबकि वर्ष 2015 के विधानसभा में परिणाम सीधे उलट थे। राजद के अनिल कुमार यादव का वोट शेयर 51 फीसदी और भाजपा के जनार्दन यादव को 37 फीसदी रहा था।
वर्ष 2010 में भाजपा की देवयंती यादव को 41 और राजद के अनिल यादव को 36 फीसदी वोट मिले थे। जनार्दन यादव चार बने विधायक 2009 के परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का भूगोल बदल गया।
इस विस क्षेत्र में अभी नरपतगंज प्रखंड की सभी 29 पंचायत व भरगामा प्रखंड की 15 पंचायत शामिल हैं। यह सुपौल जिले से सटा विधानसभा क्षेत्र है। यहां सबसे अधिक चार बार जनार्दन यादव को जीत मिली है।
1962 में अस्तित्व में आने के बाद यहां से पहला विधायक डूमरलाल बैठा बने। पहले चुनाव में यह क्षेत्र सुरक्षित था, इसके बाद यह सीट सामान्य हो गई। 1967 के चुनाव में कांग्रेस के ही टिकट पर सत्यनारायण यादव विधायक बने। वे यहां लगातार तीन बार क्रमश: 1967, 1969 व 1972 में कांग्रेस के टिकट पर चुने गये। मंत्री भी बने।
इधर, विधायक बनने के बाद डूमरलाल बैठा को लोकसभा का टिकट दिया गया। जो बाद में सांसद भी बने। 1977 में पहली बार 22 वर्ष की उम्र में जनसंघ से चुनाव लड़े जनार्दन यादव ने तत्कालीन मंत्री एवं दिग्गज सत्यनारायण यादव को हराकर राजनीतिक क्षेत्र में भूचाल ला दिया था।
हालांकि, हाई कोर्ट में मामला जाने के बाद कम उम्र होने के कारण उन्हें विधायक पद गंवाना पड़ा था। 1980 में भाजपा के टिकट पर जनार्दन यादव ने पुन: इस सीट पर कब्जा जमाया।
नरपतगंज के अब तक रहे विधायक:
वर्ष | विजेता (पार्टी) |
1962 | डूमरलाल बैठा (कांग्रेस) |
1967 | सत्यनारायण यादव (कांग्रेस) |
1969 | सत्यनारायण यादव (कांग्रेस) |
1972 | सत्यनारायण यादव (कांग्रेस) |
1977 | जनार्दन यादव (जनसंघ) |
1980 | जनार्दन यादव (भाजपा) |
1985 | इंद्रानंद यादव (कांग्रेस) |
1990 | दयानंद यादव (राजद) |
1995 | दयानंद यादव (राजद) |
2000 | जनार्दन यादव (भाजपा) |
2005 | जनार्दन यादव (भाजपा) |
2005 | अनिल कुमार यादव (राजद) |
2010 | देवयंती यादव (भाजपा) |
2015 | अनिल कुमार यादव (राजद) |
2020 | जय प्रकाश यादव (भाजपा) |
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