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    Nepal Protest: नेपाल में शादी-ब्याह रचाने वालों के रिश्तों की भी नाकाबंदी... पड़ोसी से बेटी-रोटी के संबंध पर कड़ा पहरा

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 03:35 AM (IST)

    Nepal Protest नेपाल में उपजे राजनीतिक संकट से बिहार से सटे सीमावर्ती इलाकों में बेटी-रोटी के संबंधों पर खासा प्रभाव पड़ा है। भारत और नेपाल के बीच कारोबारी संबंध भी बहुत हद तक प्रभावित हुए हैं। अररिया जिले की 110 किलोमीटर लंबी सीमा नेपाल से लगी हुई है। जहां भारी हिंसा के बीच सीमा पर रिश्तों की नाकेबंदी कर दी गई है।

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    Nepal Protest: नेपाल में भारी हिंसा से बिहार से सटे सीमावर्ती इलाकों में रिश्तों की नाकेबंदी कर दी गई है।

    दीपक कुमार गुप्ता, सिकटी (अररिया)।  Nepal Protest News भारत के पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल में लगातार तीन दिनों से जारी आक्रोश पूर्ण प्रदर्शन व जारी हिंसा के बीच राजनितिक अस्थिरता का जन्म हो गया है। सेना ने कमान संभाल ली है। सड़कों पर वीरानगी छाई हुई है। कर्फ्यू के कारण लोग अपने घरों में हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। देखा जाए तो नेपाल के विद्रोह ने कुछ हद तक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को काफी हद तक ठंडा कर दिया है। कारोबार प्रभावित है। सीमाई बाजारों में सन्नाटा है।

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    खासकर नेपाल से सटे अररिया सहित अन्य सीमाई जिलों में मायूसी है। विद्रोह का असर गांवों में नहीं है। न नेपाली गांवों में, न हिंदुस्तानी गांवों में। बॉर्डर के दोनों तरफ आवागमन बंद है। नेपाल को रसद पहुंचाने वाले सैकड़ों ट्रक इस पार फंसे हैं। बिहार के सीमाई क्षेत्र के बाजार से हर दिन भारत-नेपाल के बीच करोड़ों का कारोबार होता है। सीमावर्ती जिलों के कई लोग दोनों ओर फंसे हैं। आर्थिक गतिविधि प्रभावित हुई है।

    नेपाल के इस राजनीतिक संकट से बेटी-रोटी के संबंधों पर खासा प्रभाव पड़ा है। भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। कारोबारी संबंध भी हैं। अररिया जिले की लगभग 110 किलोमीटर की लंबी सीमा नेपाल से लगी हुई है। पड़ोसी देश में चल रही भारी हिंसा के बीच सीमा पर रिश्तों की नाकेबंदी कर दी गई है।

    तीन दिनों से नेपाल से न तो किसी को भारत आने दिया जा रहा है और ना ही किसी को एसएसबी चौकियों से नेपाल जाने के लिए एंट्री दी जा रही है। अत्यंत आवश्यक कार्यों या गंभीर रूप से बीमारों को कड़ी पूछताछ और उनके कागजात देखने के बाद ही भारत में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। 

    नेपाल के लिए बिहार एक जीवन रेखा

    सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रणव गुप्ता, रामकुमार गुप्ता, भानु प्रताप गुप्ता ने बताया कि भारत और नेपाल का रिश्ता सिर्फ पड़ोसी देशों का नहीं है, बल्कि यह रिश्ता सदियों पुराना 'रोटी-बेटी' के बंधन से भी जुड़ा हुआ है। नेपाल के लिए भारत और खासकर बिहार किसी जीवनरेखा से कम नहीं है।

    नेपाल की रोजमर्रा की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा बिहार से ही पूरा होता है। चाहे मखाना और मक्का जैसी कृषि उपज हो, सब्ज़ियां और खाद्य सामग्री हो या फिर बिजली और लोहा जैसी बुनियादी जरूरतें, नेपाल का बड़ा हिस्सा भारत के निर्यात पर निर्भर है। हालांकि हाल के दिनों में नेपाल में बने हालात और आयात-निर्यात की रुकावट ने इस गहरे आर्थिक संबंध पर सवाल खड़ा कर दिया है।

    व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था, खासकर बिहार और सीमावर्ती इलाकों में बड़ा असर देखने को मिल सकता है। नेपाल से भी कुछ चीजें बिहार और भारत के अन्य हिस्सों में आती हैं. इनमें खाद्य मसाले, औषधीय जड़ी-बूटियां, पॉलिएस्टर के कपड़े, बैग और जूते शामिल हैं। 

    रोटी-बेटी के रिश्तों पर पड़ रहा असर

    भारत और नेपाल के बीच सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते भी गहरे हैं। सीमावर्ती जिलों में दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से शादी-ब्याह करते हैं। रोजगार के लिए आवाजाही करते हैं और त्योहारों में एक-दूसरे की भागीदारी होती है। ऐसे में अगर व्यापार बाधित होता है तो यह केवल आर्थिक परेशानी नहीं होगी, बल्कि रिश्तों की सहजता और सांस्कृतिक संपर्क पर भी असर पड़ेगा।