छने छने बदले तोहरो मिजाज रजऊ... अपने 'खास वाली' के लिए नाच रहे नेताजी को 'मुखिया' ने बताई औकात
Bhagalpur Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी समर में अपनी चवनियां मुस्कान के साथ कैरेबियन चमक बिखेरने वाले भागलपुर संसदीय क्षेत्र के चुने गए नेताजी अपनी पार्टी और सहयोगी दलों को गजब का धोखा दे रहे हैं, कभी अपने सगे को तो कभी अपने खास वाली के लिए गली-कूचों में नाच रहे हैं। जिस दल ने उनकी पहचान बनाई, उन्हें रुतबा दिया उसी दल के विरुद्ध जाकर अपने सगे से ज्यादा अपनी वाली के लिए नेताजी रात-रात भर टोल-टोला घूम रहे हैं।

Bhagalpur Election 2025: बिहार के चुनावी समर में अपनी चवनियां मुस्कान के साथ कैरेबियन चमक बिखेरने वाले भागलपुर संसदीय क्षेत्र से चुने गए नेताजी।
कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। Bihar Chunav चुनावी समर में अपनी चवनियां मुस्कान के साथ कैरेबियन चमक बिखेरने वाले नेताजी गजब का धोखा दे रहे हैं, कभी अपने सगे को तो कभी अपने खास वाली के लिए नाच रहे हैं। जिस दल ने उनकी पहचान बनाई, उन्हें रुतबा दिया उसी दल के विरुद्ध जाकर अपने सगे से ज्यादा अपनी वाली के लिए रात-रात भर टोल-टोला घूम रहे हैं।
उनकी इस हरकत की जानकारी दल के मुखिया तक भी पहुंच चुकी है। नेताजी को यह मालूम है कि दल से धोखेबाजी करने वाले एक बड़बोले नेता को दल के मुखिया ने नजर से ऐसा उतार दिया कि वह कहीं के नहीं रहे। उन्हें तब एहसास हुआ कि दल से धोखेबाजी ने उनकी तो जड़े हिला दी। अभी उनको और जलालत झेलनी बाकी है।
बड़बोले नेता की फजीहत भी ऐसी हुई कि चौखट पर जाकर हम आपके ही हैं हुजूर बोल घड़ियाली आंसू तक बहाए, क्या-क्या नहीं किया लेकिन दल के मुखिया हैं कि जिस बड़बोले की एक से बढ़ कर एक हरकत को माफ कर दिया करते थे, दल की गद्दारी कभी नहीं भूलते, इसलिए उन्हें हैसियत में ला दिया।
बड़बोले नेता की इस फजीहत देखने के बाद भी दलीय आस्था को ताख पर रखकर दूसरे खेमे में रात-रात भर प्रचार को जाने वाले इस नेताजी की धोखेबाजी की भनक दल के मुखिया तक पहुंच ही गई। नेताजी हालांकि चतुराई दिखाते हुए खुद को अपने खेमे के प्रत्याशियों के लिए प्रचार-प्रसार करने की बात रखते हुए अपना चेहरा एक प्रत्याशी के साथ चमका कर एहसास तो कराया लेकिन दल के मुखिया इस बात को लेकर ज्यादा गरम हो गए हैं कि वह मुखिया के पसंदीदा कद्दावर नेता को भला-बुरा कहने लगे हैं।
दल के मुखिया ने अभी नेताजी को अपने पास फटकने नहीं देने और बेआबरू होकर पास पहुंचने से हटा देने का टेलर ही दिखाया है। बड़बोले नेता की तरह इन्हें चुनाव बाद पूरी हैसियत बता देने की चर्चा उनके दरबारी खास-खुलासों में होने लगी है।
दल के मुखिया को उनके पास रहने या दूर रहने की जरा परवाह भी नहीं है। उन्हें इन दोनों से बेहतर सिपाहसलार इलाके के लिए मिल चुका है।हाल में कद्दावर नेता ने इशारे-इशारे में नेताजी की करतूतों पर तंज यूं ही नहीं कसा।
दल के मुखिया तक दोनों से बेहतर माने जाने वाले नये तैयार किए गए सिपाहसलार की काबिलियत भी प्रस्तुत कर दी। जिसके बाद से नये सिपाहसलार की कालांतर ताजपोशी और नेताजी को नेपथ्य में ढकेलने की रणनीति को मूर्त रूप देने की कवायद शुरू हो गई है।

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