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    पाकिस्तानी महिलाओं की लुकाछिपी होगी बंद, भेजी जाएंगी अपने वतन! एक तो बिहार में टीचर बन गई

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 09:22 PM (IST)

    भागलपुर में वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी रह रही दो पाकिस्तानी महिलाएं इमराना खानम और फिरदौसिया खानम निर्वासन के खतरे का सामना कर रही हैं। इमराना ने स्थानीय व्यक्ति से शादी की और शिक्षिका बन गई लेकिन बाद में वीजा का नवीनीकरण नहीं कराया। प्रशासन ने मतदाता सूची से उनके नाम हटाने का प्रस्ताव रखा है जिसके बाद उन्हें पाकिस्तान वापस भेजा जा सकता है।

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    पाकिस्तानी महिलाओं की लुकाछिपी होगी बंद, भेजी जाएंगी अपने वतन! एक तो बिहार में टीचर बन गई

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिना वीजा विस्तार के लंबे समय से भागलपुर में रह रही दो पाकिस्तानी महिलाओं का कानून से अब लुकाछिपी बंद हो जाएगा। इमराना खानम और फिरदौसिया खानम का कानून से अब लुकाछिपी बंद हो जाएगा। उन्हें यहां का कानून तोड़ने और अवैध तरीके से यहां का मतदाता प्रमाणपत्र बनवा कर छिपे रहने पर उन्हें यहां से उनक वतन पाकिस्तान निर्वासित किया जा सकता है।

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    उनके विरुद्ध विदेशी अधिनियम का उलंघन करने मामले में केस दर्ज करने की कवायद भी की जा सकती है। फिलहाल जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने फॉर्म-7 के तहत उनके नामों को मतदाता सूची और पहचान पत्र से हटाने का प्रस्ताव दे दिया है। इसके बाद लंबे समय से बिना वीजा विस्तार के रह रही दोनों पाकिस्तानी महिलाओं के विरुद्ध देश से निर्वासन समेत अन्य कार्रवाई होगी।

    कजरैली-सिमरिया के इबनुल हसन को दिल दे बैठी थी इमराना

    पाकिस्तान से भारत आई पाक महिला इमराना खानम भागलपुर के कजरैली सिमरिया निवासी मुहम्म्द इबनुल हसन से प्रेम-विवाह कर यहीं की होकर रह गई। इस दौरान वह कई बार वीजा विस्तार कराया लेकिन अचानक से वह वीजा विस्तार कतिपय कारणों से नहीं करा वह खुफिया निगरानी से ओझल हो गई थी।

    सिमरिया निवासी इबनुल से शादी के कुछेक साल बाद वह अपना ठिकाना बदलते हुए इशाकचक थाना क्षेत्र के भीखनपुर आ गई थी। वहीं पक्का का मकान बनाया और पति के साथ रहने लगी। पति को बांका के कैथा टीकर स्थित मदरसे में शिक्षक की नौकरी थी।

    पति ने जुगाड़ लगा बना दिया था इमराना को शिक्षक

    इमराना के पति ने जुगाड़ लगा बरहपुरा स्थित उर्दू मघ्य विद्यालय में इमराना खानम की भी नौकरी लगा दी थी। यहां इमराना खानम इमराना खातून बनकर बतौर शिक्षिका नौकरी कर ली। इस बीच इधर कतिपय कारणों से पाक नागरिक के तौर पर इमराना ने वीजा अवधि विस्तार की अर्जी देने की कवायद बंद कर दी।

    जिसके बाद गृह मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इमराना की गतिविधियां संबंधी रिपोर्ट नहीं मिलने पर पुलिस मुख्यालय से जवाब तलब कर दिया। गृह विभाग ने वर्ष 2022 में तत्कालीन एसएसपी बाबू राम से मामले की अद्यतन जानकारी मांगते हुए पूछा था कि इमराना खानम आखिर है कहां, वीजा विस्तार नहीं लेने के पीछे वजह क्या है।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी बाबू राम ने विदेशी शाखा प्रभारी सीमा सिंह से पूरे प्रकरण में कजरैली और इशाकचक थानाध्यक्ष से मुकम्मल रिपोर्ट मांगी थी। कजरैली और इशाकचक थानाध्यक्ष ने इमराना संबंधी रिपोर्ट तब सौंप भी दी थी। तब दोनों थानाध्यक्ष अपनी जांच रिपोर्ट में इमराना खानम को इमराना खातून के रूप में उर्दू मध्य विद्यालय, बरहपुरा में शिक्षिका पद पर कार्यरत बताया था, लेकिन दोनों थानाध्यक्ष के समक्ष इमराना स-शरीर उपस्थित नहीं हो सकी थी।

    वह तब उनकी नजरों से ओझल हो गई थी। उक्त विद्यालय के शिक्षक कक्ष में लगे बोर्ड में अंकित छह शिक्षकों में बीबी इमराना खातून का नाम बतौर सहायक शिक्षिका के रूप में फोटो के साथ दर्ज मिला था। इमराना का नाम मुहम्मद अब्दुल हय, बीबी रेहाना खातून, मुहम्मद जियाउर रिजवान, मुहम्मद वहजाद करीम, भारद्वाज मुुनि के साथ दर्ज है।

    इमराना के पति की 2018 में हो चुकी है मृत्यु

    इमराना के पति मुहम्म्द इबनुल हसन की मृत्यु वर्ष 2018 में हो चुकी है। पाक महिला संतानहीन है। भीखनपुर में ही वह घर पर रहती है लेकिन कजरैली और इशाकचक पुलिस जब वीजा अवधि विस्तार नहीं लेते हुए अवैध तरीके से उसके भारत में रहने की विभागीय जांच के निर्देश पर छानबीन को पहुंची तो उन्हें वह घर या स्कूल में नहीं मिली थी।

    अभी भी वह पुलिस के समक्ष उपस्थित नहीं होती। हालांकि, स्कूल प्रशासन और मोहल्ले के लोगों ने यह जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी थी कि वह यहीं रहती है, किसी काम से बाहर निकली है। वीजा अवधि विस्तार बगैर भारत में प्रवास करना अवैध है।

    वर्ष 2002 से भूमिगत है अमीनउद्दीन, फिरदौसिया को भी ढूंढ रही सुरक्षा एजेंसी

    वर्ष 2002 में पाकिस्तान से भागलपुर के गोराडीह थाना क्षेत्र स्थित डहरपुर गांव आए पाकिस्तानी नागिरक मुहम्मद अमीनउद्दीन डहरपुर की एक महिला से शादी रचाने के बाद सिमरिया में ही रह गया था। इस दौरान उसने ना तो वीजा अवधि विस्तार कराया ना ही विदेशी शाखा को कोई सूचना दी और जब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां उसकी खोजबीन में लगी तो वह भूमिगत हो गया। आज तक उसका कोई पता नहीं चल सका है।

    बीच में डहरपुर और सिमरिया में उसके करीबी लोगों ने यह हवा जरूर फैला दी कि हैदराबाद में पांच साल पूर्व हुए एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई, लेकिन यह सिर्फ अफवाह ही साबित हुई, किसी ने उसकी मौत को लेकर कोई प्रमाण स्थानीय पुलस या विदेशी शाखा को नहीं सौंपा है।

    भीखनपुर टैंक लेन में इमराना खानम और फिरदौसिया खानम 1956 में भागलपुर आई फिर बिना वीजा विस्तार के लंबे समय से रहने लगी थी। अभी भी पुलिस की खोजबीन में वह भूमिगत हो जाती हैं। वर्ष 2002 में पाकिस्तान से आए मुहम्मद असलम ने तो स्थानीय लोगों से घुलमिल कर आधार कार्ड भी बनवा लिया।