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    भागलपुर की 2 टीचर्स का राष्ट्रीय ओलंपियाड के लिए चयन, TIFR Mumbai में होगा एक्सपोजर कैंप

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 01:49 PM (IST)

    भागलपुर जिले की दो शिक्षिकाएं, डॉ. शैल प्रज्ञा और प्रियंका कुमारी, राष्ट्रीय जीवविज्ञान ओलंपियाड एक्सपोजर कैंप के लिए चुनी गई हैं। यह कैंप मुंबई में आयोजित होगा, जहां उन्हें विज्ञान शिक्षण की आधुनिक तकनीकों और ओलंपियाड प्रणाली के बारे में जानने को मिलेगा। इससे वे विद्यार्थियों को विज्ञान में बेहतर शिक्षा देने और ओलंपियाड जैसी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने में सक्षम होंगी।

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    प्रियंका कुमारी और डॉ. शैल प्रज्ञा।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। जिले के लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि जिले की दो प्रतिभाशाली शिक्षिकाओं का चयन देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय जीवविज्ञान ओलंपियाड एक्सपोजर कैंप के लिए हुआ है। चयनित शिक्षिकाओं में खरीक इंटर स्कूल की डॉ. शैल प्रज्ञा व लोदीपुर यूएमएस की प्रियंका कुमारी शामिल हैं।

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    यह आयोजन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के अधीन होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन मुंबई में 28 से 31 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर का यह एक्सपोजर कैंप देशभर के चयनित शिक्षकों को ओलंपियाड प्रणाली, प्रयोगात्मक शिक्षण तकनीक और विज्ञान शिक्षण में नवाचारों से परिचित कराने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है।

    कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागी शिक्षकों को देश-विदेश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों से प्रत्यक्ष संवाद करने और उनके अनुभवों से सीखने का अवसर प्राप्त होगा।

    इस प्रशिक्षण से भागलपुर की शिक्षिकाएं न केवल आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षण दृष्टिकोण और प्रयोगात्मक कार्यों की उन्नत विधियों को समझेंगी, बल्कि विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की ओलंपियाड प्रतियोगिताओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार करने की दिशा में भी योगदान देंगी।

    इसे लेकर डॉ. शैल प्रज्ञा और प्रियंका कुमारी ने बाताया कि यह हमारे लिए गर्व की बात और सीखने का अवसर है। मुंबई में आयोजित एक्सपोज़र कैंप से हमें विज्ञान शिक्षण की आधुनिक विधियां सीखने और विद्यार्थियों को ओलंपियाड जैसी प्रतिस्पर्धाओं के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी। ऐसे उच्च स्तरीय प्रशिक्षण से शिक्षकों की दक्षता में वृद्धि होगी और विद्यालय स्तर पर विज्ञान शिक्षण अधिक प्रभावी व आकर्षक बन सकेंगे।

    इससे विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच, जिज्ञासा और प्रयोगात्मक अधिगम को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा ग्रामीण व अर्धशहरी क्षेत्रों के छात्रों को इसका विशेष लाभ मिलेगा। क्योंकि प्रशिक्षित शिक्षिकाएं उन्हें प्रयोगों, माडलों और जीवंत उदाहरणों के माध्यम से विज्ञान को अधिक सुरुचिपूर्ण बनाएंगी।