बिहार में एक ऐसा सरकारी स्कूल, जहां पढ़ते हैं सिर्फ 2 छात्र, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए बहाल हैं 3 शिक्षक
Bihar Breaking News बिहार में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जहां सिर्फ दो बच्चे पढ़ते हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक बहाल हैं। भागलपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय कनेरी उर्दू में सिर्फ दो बच्चों का नामांकन है। इसी तरह एक और स्कूल है जहां 5 बच्चों को पढाने के लिए पांच शिक्षक हैं। 27 प्राथमिक विद्यालय ऐसे जहां पर 20 से कम बच्चे हैं।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। Bihar Breaking News बिहार के भागलपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड का प्राथमिक विद्यालय कनेरी उर्दू कई मायने में खास है। इस स्कूल में मात्र दो बच्चे ही नामांकित हैं। दो बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक कार्यरत हैं। विद्यालय में पहले मात्र एक बच्चे का नामांकन था। हालांकि, विद्यालय में प्रधान शिक्षक की नियुक्ति के बाद हाल ही में एक और बच्चे का नामांकन हुआ है। इससे नामांकित बच्चों की संख्या दो हो गई है, जिसमें एक बच्चा कक्षा एक में जबकि दूसरा कक्षा चार में नामांकित है।
इस विद्यालय में कार्यालय सहित चार कमरे हैं। एक वर्ग कक्ष में स्थानीय लोगों ने ताला जड़ रखा है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर सिर्फ विशेष समुदाय के ही बच्चे पढ़ेंगे, इसलिए वहां पर अन्य बच्चे नामांकन नहीं ले रहे हैं। इसको लेकर कई बार पहल भी की गई है, लेकिन समाधान नहीं निकल सका है।
वहीं नारायणपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय चकरामी ब्राह्मण टोला में अभी पांच बच्चे हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक मौजूद हैं। नाथनगर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय भरत रसलपुर में छात्रों की संख्या 10 है, जिनको पढ़ाने के वाले पांच शिक्षक हैं। इसके अलावा जिले में ऐसे 27 प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां पर नामांकित बच्चों की संख्या 20 या उससे कम है।
स्कूल के पोषक क्षेत्र में घर-घर पहुंचेगी टीम, लेगी फीडबैक
ऐसे स्कूल जहां नामांकित बच्चों की संख्या कम है, वैसे विद्यालय के पोषक क्षेत्र का सर्वे किया जाएगा। सर्वे के दौरान शिक्षा विभाग की टीम यह जानने का प्रयास करेगी कि बच्चे स्कूल में नामांकन क्यों नहीं करा रहे हैं। डीपीओ एसएसए बबीता कुमारी ने बताया कि कई जगह से यह सूचना मिली है कि स्कूल में बच्चे नहीं है। लेकिन वहां पर शिक्षकों की संख्या बच्चों के अनुपात में अधिक है।
ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि आखिर स्कूल के पोषक क्षेत्र के बच्चे कहां पढ़ने जा रहे हैं। सरकार द्वारा किताब, कापी, ड्रेस, छात्रवृत्ति जैसे कई योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। फिर भी बच्चे स्कूल क्यों नहीं पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसको लेकर संबंधित स्कूल के पोषक क्षेत्र के घरों का सर्वे किया जाएगा।
पोषक क्षेत्र में कितने बच्चे हैं, जो कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई करने वाले हैं। बच्चों के संख्या के बाद यह जाना जाएगा कि आखिर यह बच्चे कहां पढ़ने जाते हैं, आसपास कोई अन्य सरकारी स्कूल है या कोई प्राइवेट स्कूल है। सारी रिपोर्ट मिलने के बाद बच्चों को स्कूल से जोड़ने को लेकर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
इस वर्ष पिछले साल की अपेक्षा 6.74 प्रतिशत घटे हैं नामांकन
जिले में इस बार नामांकन घटा है। शिक्षा विभाग के ई शिक्षाकोष पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े के अनुसार वर्ष 2024-25 में नामांकित बच्चों की संख्या पांच लाख 32 हजार 911 थी। जो 2025- 26 में घटकर चार लाख 98 हजार 911 पर पहुंच गई है। यानी कुल 34 हजार बच्चों की संख्या घटी है। जो कुल नामांकन का 6.74 प्रतिशत है।
जगदीशपुर के एक स्कूल जहां मात्र एक बच्चे के नामांकन की सूचना मिली है, उसे स्कूल का निरीक्षण करूंगी। वहां क्या समस्या है उसको जानने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे स्कूल जहां 20 या 20 से कम नामांकन है, ऐसे स्कूलों की सूची लेकर उसके पोषक क्षेत्र का सर्वे करवाया जाएगा।
बबीता कुमारी, डीपीओ एसएसए
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