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    Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी आज, श्रीहरि की खुलेगी निंद; शुरू होंगे शुभ कार्य

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    आज देवउठनी एकादशी है, इस अवसर पर भगवान श्रीहरि चार महीने की निद्रा के बाद जागेंगे। मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं, जिसमें हरि जागरण और भजन संध्या शामिल हैं। चातुर्मास समाप्त होने के साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। घरों में तुलसी विवाह की तैयारी चल रही है, जिसका विशेष महत्व है। देवउठनी के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।

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    देवउठनी एकादशी आज, श्रीहरि की खुलेगी निंद

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। चार माह के शयन के बाद भगवान श्रीहरि आज शनिवार को देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) के पावन पर्व पर जागृत होंगे। श्रीहरि को जगाने के लिए मंदिरों में घंटा, शंख, मृदंग के साथ जयकारों की गूंज मंदिरों और ठाकुरबाड़ियों में होगी।

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    इसको लेकर तैयारी शहर में किया गया है। चातुर्मास समाप्त होने के साथ ही मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होगा। मंदिरों में आध्यात्मिक उल्लास का वातावरण बन गया है और तैयारियां जोरों पर हैं।

    भागलपुर के बूढ़ानाथ मंदिर, शिवशक्ति मंदिर सहित ठाकुर बाड़ियों में विशेष आयोजन होगा। हरि जागरण, भजन संध्या, दीपदान, आरती होगा।भागलपुर में गंगा घाटों व देवालयों में दीपदान,अन्न-वस्त्र दान की परंपरा निभाई जाएगी। कार्तिक मास का यह पवित्र दान पर्व जीवन में मंगल और पुण्य संचय का संचार करेगा।

    घर-घर में तुलसी चौरा सजाने, दीपक व्यवस्था करने और प्रतीकात्मक शयन-शैया जागरण की तैयारी की जा रही है। महिलाओं में विशेष रूप से तुलसी विवाह को लेकर उत्साह है।

    देवउठनी एकदशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इस दिन शालिग्राम (श्रीहरि) और माता तुलसी का दैवीय विवाह कराया जाता है। तुलसी विवाह का पुण्य कन्यादान के समकक्ष माना गया है। इससे घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।

    देवउठनी के साथ शुभ संस्कारों के द्वार खुलेंगे

    देवउठनी के बाद गृहप्रवेश, नामकरण, मुंडन, यज्ञोपवीत, वाहन-गृह खरीद, नए व्यवसाय का आरंभ जैसे मांगलिक कार्य शुभ माने जाते हैं। हालांकि सूर्य के तुला राशि में रहने के कारण विवाह मुहूर्त देवउठनी के बाद 21 नवंबर से शुरू होंगे।

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