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    Indian Railways: रेलवे ने किया बड़ा बदलाव... 110 नहीं, अब 130 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें, यहां देखें Details

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 04:23 AM (IST)

    Rail News भारतीय रेल ने ट्रेनों के परिचालन को सुदृढ़ बनाने के लिए बड़ा बदलाव किया है। वर्तमान में 110 किमी प्रति घंटे की जगह अब 130 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी। इसके लिए थिक वेब स्विच लगाए जा रहे हैं। इससे ट्रेनों की गति के साथ सुरक्षा भी बढ़ेगी। ट्रेनों की गति बढ़ने से ट्रेनों का परिचालन ससमय होगा।

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    Railway News: मालदा-भागलपुर-किऊल रेलखंड पर अब 130 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। Indian Railways News मालदा-भागलपुर-किऊल रेलखंड में अगले साल मार्च तक ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी। 110 की जगह 130 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन होगा। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ट्रैक पर थिक वेब स्विच (टीडब्ल्यूएस) लगाए जा रहे हैं। थिक वेब स्विच लगने से ट्रेनों की गति के साथ सुरक्षा भी बढ़ेगी।

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    पटरियों में ट्रेनों की दिशा में बदलने के लिए टर्न आउट लगे होते हैं। अभी तक उसमें परंपरागत स्विच का प्रयोग होता रहा है। थिक वेब स्विच लगाने का मुख्य उद्देश्य ट्रेनों की गति बढ़ाना है। इससे आने वाले समय में ट्रेनों की स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ाए जाने में मदद मिलेगी। टीडब्ल्यूएस लगाने का काम तेजी से चल रहा है।

    सिग्नल और दूरसंचार विभाग ने भेड़िया स्टेशन, तिनपहाड़ स्टेशन, अभयपुर स्टेशन में टीडब्ल्यूएस लगाने का काम हो गया है। इससे मालदा से किऊल तक के रेलखंड की ट्रेनों की रफ्तार में सुधार करने के साथ ही झटके कम महसूस होंगे। भागलपुर होकर गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। टीडब्ल्यूएस को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह कंक्रीट स्लीपरों पर आसानी से स्थापित किया जा सके।

    टीडब्ल्यूएस ट्रैक की सुरक्षा को मजबूत बनाने के साथ-साथ उसकी लाइफ को भी बढ़ाता है और तेज स्पीड में कंपन को भी कम करता है। पटरियों की दिशा बदली जाती है, उसे फेसिंग प्वाइंट कहा जाता है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए इसका मजबूत और टिकाऊ होना जरूरी है।

    टीडब्ल्यूएस परंपरागत स्विच की तुलना में मोटा, डबल लाकिंग और स्प्रिंग सेटिंग का होता है। जो हाई स्पीड के लिए आदर्श माना जाता है। थिक वेब स्विच के ऊपर से गुजरने वाली ट्रेनों के यात्रियों को पता तक नहीं चलता कि उनकी ट्रेन फेसिंग प्वाइंट से गुजरी है और उन्हें कोई झटका भी महसूस नहीं होता है।

    ट्रैक की क्षमता बढाने से इस रेलखंड में ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाती है तो विक्रमशिला एक्सप्रेस, एलटीटी एक्सप्रेस, अंग एक्सप्रेस, दानापुर-भागलपुर इंटरसिटी, जनसेवा एक्सप्रेस, जमालपुर-हावड़ा एक्सप्रेस, गया-हावड़ा एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस सहित भागलपुर से खुलने वाली और इस रेलखंड की चलने वाली ट्रेनों के परिचालन समय में आगे भी बदलाव हो सकता है।

    10-15 मिनट तक ट्रेनों के परिचालन समय घटाया जा सकता है। इससे यात्रियों को भी सुविधा होगी। वे कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे।  ट्रैकों की स्पीड क्षमता बढ़ाने के लिए एक साल पहले ही सीआरएस भी हो चुका है। सीआरएस की स्वीकृति भी मिल गई है, लेकिन अधिकारियों की सुस्त कार्यशैली की वजह से अब तक ट्रैकों की स्पीड क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकी है।

    ट्रैकों की स्पीड बढाने के लिए मलादा, भागलपुर, साहिबगंज, बड़हरवा, जमालपुर सहित इस रेलखंड की सभी स्टेशनों पर जहां से प्वाइंट क्रासिंग शुरू होता है वहां से यानी ईस्ट पैनल और वेस्ट पैनल तक कर्व स्विच को हटाकर थिक वेब स्विच बदलना पड़ेगा।

    हरेक स्टेशन पर आठ-आठ थिक वेब स्विच क्रासिंग प्वाइंट पर लगाना पड़ेगा। यही नहीं सिग्नल सिस्टम का भी आधुनिकीकरण यानी सिग्नलिंग गियर को हाई स्पीड करना होगा। भागलपुर से किऊल की दूरी 99 किलोमीटर है, जबकि मलादा से किऊल के बीच की दूरी 324 किलोमीटर है। दिसंबर तक थिक वेब स्विच लगाने का काम पूरा करने की योजना है।

    थिक वेब स्विच बदला जा रहा है। थिक स्विच बदलने और सिग्नलिंग सिस्टम की आधुनिकीकरण काम के लिए हरेक स्टेशन पर ब्लाक लेना पड़ेगा। उपकरण की नियमित आपूर्ति हो रही है। थिक वेब स्विच बदलने के बाद टेस्टिंग होने सहित अन्य प्रक्रिया पूरी करनी होगी। अगले साल मार्च तक ट्रेनों की स्पीड बढाने की दिशा में ही काम किया जा रहा है। -शिव प्रसाद कुमार, एडीआरएम मलादा।