राहुल-तेजस्वी में खींच गई तलवारें, कहलगांव से नाथनगर तक बिहार की कई सीटों पर RJD vs Congress
Bihar Election: भागलपुर की जनता अब पैनी निगाह से देख रही है कि जो दल मिलकर बदलाव का दावा कर रहे थे, वे अब आपस में ही एक-दूसरे के मुकाबले में उतर आए हैं। महागठबंधन का यह अंतर्विरोध अब केवल कुछ सीटों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह गठबंधन की आत्मा तक पहुंच गया है। ऐसे में चुनाव की तपिश के साथ आने वाले दिनों में यह तय होगा कि यह दरार पटती है या भागलपुर से शुरू होकर पूरे बिहार की राजनीति में सियासी भूचाल लाती है।

Bihar Election: कांग्रेस और राजद के घमासान के बीच बदलाव का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। Bihar Election विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की एकता पर दरारें गहराती जा रही हैं। भागलपुर जिले में कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान इस कदर बढ़ गई है कि कई सीटों पर अब दोनों दल आमने-सामने उतर आए हैं। जिन सीटों पर कभी तालमेल और साझे अभियान की बातें होती थीं, अब वहीं एक-दूसरे के खिलाफ रणनीति बन रही है।
सबसे पहले कहलगांव की बात करें तो यहां सियासी मुकाबला अब दिलचस्प मोड़ पर है। राजद ने रजनीश कुमार को मैदान में उतार दिया है, तो कांग्रेस ने अपने युवा चेहरे प्रवीण सिंह कुशवाहा को टिकट देकर मुकाबले को सीधा बना दिया है। कहलगांव कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन इस बार राजद की सक्रियता ने समीकरण उलझा दिए हैं। दोनों दलों के नेता अब एक ही मैदान में अलग-अलग मंच सजा रहे हैं।
सुल्तानगंज की सियासत भी कम गर्म नहीं है। कांग्रेस ने यहां ललन कुमार पर भरोसा जताया है, जबकि राजद से चंदन सिन्हा का नाम लगभग तय माना जा रहा है। यह सीट पहले से ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील रही है। अब गठबंधन की दो बड़ी पार्टियों के आमने-सामने आने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बन गई है। कोई नहीं जानता कि अब किसके झंडे के नीचे प्रचार करें।
नाथनगर में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। राजद की परंपरागत सीट मानी जाने वाली नाथनगर पर कांग्रेस ने परवेज जमाल को टिकट देने की तैयारी की है। यह कदम कांग्रेस के आत्मविश्वास का संकेत माना जा रहा है, मगर इससे गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ना तय है।
भागलपुर सीट की तस्वीर फिलहाल धुंधली है। कांग्रेस ने अजीत शर्मा को फिर से मैदान में उतार दिया है, जबकि राजद भी किसी प्रत्याशी को खड़ा करने की तैयारी में है। हालांकि अंतिम घोषणा अभी नहीं हुई है, पर संकेत साफ हैं कि यहां भी गठबंधन के भीतर सुलह मुश्किल दिख रही है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि भागलपुर जिले में महागठबंधन अब महाघमासान की ओर बढ़ रहा है। साझा उम्मीदवारों की बजाय अलग-अलग टिकट देने की होड़ में दोनों दलों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी मोल ले ली है। कांग्रेस और राजद दोनों के स्थानीय नेता कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व की जिद ने जमीनी स्तर पर भ्रम फैला दिया है।
भागलपुर की जनता अब देख रही है कि जो दल मिलकर बदलाव का वादा कर रहे थे, वे अब आपस में ही मुकाबले में उतर आए हैं। महागठबंधन का यह अंतर्विरोध अब केवल सीटों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह गठबंधन की आत्मा तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों में तय होगा कि यह दरार भरती है या भागलपुर से शुरू होकर पूरे बिहार की राजनीति में भूचाल लाती है।
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