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    Bihar Flood: 'अपनी मुख्य धारा में लौट रही गंगा, घर भी ले गई, अब हम कहां जाएं...'; पीड़ितों की पीड़ा दर्दनाक

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 03:45 PM (IST)

    शाहपुर (आरा) के जवइनिया गांव जेकरा के गंगा नदी के कटाव के चलते आपन अस्तित्व खो दिहलस उहां के लोग बक्सर-कोइलवर तटबंध पर शरण लेवे खातिर मजबूर बाड़े। कटाव अउरी बाढ़ से गांव के भूगोल बदल गइल बा। अब इ गांव सिर्फ यादों में बा। पीड़ित- लोग आपन दर्द बयान करे में असमर्थ बाड़े बच्चे घर जाए के जिद करत बाड़े लेकिन बड़ों के लगे कवनो जवाब नइखे।

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    ''हमनी के अइसन गांव के निवासी बानी जा, जवन गांव धरती पर हलही नइखे''। जागरण

    जागरण संवाददाता, शाहपुर(आरा)। ''हमनी के अइसन गांव के निवासी बानी जा, जवन गांव धरती पर हलही नइखे''। गंगा नदी के कटाव में दियारा क्षेत्र का जवइनिया गांव पूरी तरह कट कर विलीन हो गया। इसके बाद विस्थापित परिवार बक्सर-कोइलवर तटबंध पर परिवार के साथ शरण लिए हुए हैं। अब गंगा का पानी उतरने लगा है, लेकिन गांव के विस्थापित परिवारों को अपना घर कहीं नहीं दिख रहा है।

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    लिहाजा गांव के कटाव पीड़ित परिवार का कहना है कि पानी तो उतर गया लेकिन घर बार सब कुछ खत्म हो गया। अब तो जमीन भी नहीं बची है, ऐसे में हम लोग कहां जाएं! क्योंकि गंगा नदी के कटाव एवं प्रयलयंकारी बाढ़ ने गांव के भूगोल को ही बदल दिया।

    अब सिर्फ गांव के नाम ही स्मृतियों में शेष है। गांव अब सिर्फ नक्शे पर ही गांव बचा हुआ है। धरातल पर गांव कहां है! यह लोग गंगानदी के पानी की ओर इशारा करते हुए से बताते हैं कि यही था जवइनिया। छोटे छोटे बच्चे भी जिद्द करते हैं कि अपना घरे चलल जाऊ, बांध पर कितना दिन रहेके। लेकिन घर के बडे लोगो के पास इसका कोई उत्तर नही है।

    पीड़ितों का दर्द

    हम त अइसन वार्ड के सदस्य बानी जवन अब धरती पर नइखे। क्योंकि पंचायत के जवइनिया गांव का वार्ड संख्या चार तो अब कटकर गंगानदी में विलीन हो चुका है।

    -मुकेश चौधरी, जवइनिया।

    बाढ़ के पानी त उतर रहल बा। बाकी हमलोगों का कोई पता ठीकाना नही है। हमलोग तो किसी को यह भी बता पा रहे है हमारा पता क्या है!

    -उमेश बीन, जवइनिया।

    घर दुआर सब त गंगाजी में विलीन हो गइल बा। अब तो जमीन भी नहीं है कि घर बने। समझ मे नही आ रहा है कि कितने दिन तक बांध पर रहना पड़ेगा।

    -छ्ठू चौधरी, जवइनिया

    अब त बस नाम बा, गांव कहा बा। कटाव पीडितो का दर्द अब उनसे बयान भी नही किया जा रहा है। बच्चे कहते है अपना घरे चल, अब त बाढ़ के पानी घट गइल।

    -उपेंद्र गोंड, जवइनिया