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    चुनावी समीकरण में प्रवासी वोटर: अररिया सबसे कम, इस जिले सबसे ज्यादा वोट

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    बिहार के चुनावी माहौल में प्रवासी मतदाताओं का महत्व है। अररिया में सबसे कम प्रवासी वोटर हैं, जबकि किसी अन्य जिले में सबसे ज्यादा हैं। राजनीतिक दल इन मतदाताओं को लुभाने के लिए रणनीति बनाते हैं, क्योंकि इनका वोट चुनाव परिणाम बदल सकता है। प्रवासी मतदाताओं की संख्या और भागीदारी सीधे तौर पर चुनाव पर असर डालती है।

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    पूर्णिया विधानसभा से सबसे ज्यादा प्रवासन और बड़हरा से कम। फोटो जागरण

    धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में प्रवासन बिहार के लिए नई बात नहीं, पर हर चुनाव में यह मुद्दा उभरकर सामने आता है, परंतु इसके बाद गौण हो जाता हैं। उत्तर बिहार के जिलों में जहां प्रवासन की समस्या गहरी है, वहीं शाहाबाद क्षेत्र में इसका असर अपेक्षाकृत कम दिखाई देता है। राज्य निर्वाचन आयोग से जारी ताजा आंकड़े इस असमानता को साफ तौर पर दिखाते हैं।

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    आयोग की जारी रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्णिया, कटिहार और अररिया जैसे जिलों में प्रवासी मतदाताओं की संख्या 10 से 17 हजार के बीच दर्ज की गई है।

    सबसे ज्यादा 17 हजार प्रवासी वोटर पूर्णिया जिले में हैं, जबकि पश्चिम चंपारण में करीब 16 हजार लोग अपनी रोज़ी-रोटी की तलाश में राज्य से बाहर हैं। इसके उलट, शाहाबाद क्षेत्र के जिलों में प्रवासन का ग्राफ काफी नीचे है।

    भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जिलों में प्रवासी वोटरों की संख्या महज 1400 से 4000 के बीच पाई गई है। राज्य का सबसे कम प्रवासन वाला विधानसभा क्षेत्र भोजपुर जिले का बड़हरा है, जहां से केवल 66 लोग ही काम-धंधे के लिए बाहर गए हैं।

    राज्य में कुल प्रवासी वोटरों की संख्या 2,12,999 है। ये आंकड़े मतदाता पुनरीक्षण के दौरान बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) द्वारा घर-घर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किए गए हैं।

    इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर बिहार के जिलों में बे रोजगारी और पलायन आज भी गंभीर चुनौती बनी हुए हैं, जबकि शाहाबाद के जिलों में स्थानीय स्तर पर खेती-बाड़ी की स्थिति और रोजगार के अवसर अपेक्षाकृत बेहतर हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में पर्व त्योहार होने के कारण प्रवासी वोटर राज्य की राजनीति के समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।

    पूर्णिया विधानसभा से सबसे ज्यादा प्रवासन और बड़हरा से कम

    विधानसभावार आंकड़ों में पूर्णिया से दूसरे राज्यों में जाने वाले वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं, भोजपुर के बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में केवल 66 वोटर ऐसे मिले जो स्थायी रूप से दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए गए हैं।

    गंगा और सोन के किनारे बसा बड़हरा विधानसभा क्षेत्र उपजाऊ भूमि और जलीय संपदा में अव्वल है। दाे माह बाढ़ की त्रासदी झेलने वाले इस क्षेत्र में बाढ़ सब्जी और मक्का के उत्पादन के लिए मशहूर है और यह रोजगार के अवसर पैदा करता है।

    सबसे ज्यादा और सबसे कम प्रवासी वोटर वाले जिले तथा विधानसभा क्षेत्र

    जिला प्रवासी वोटरों की संख्या
    पूर्णिया 17,128
    पश्चिमी चंपारण 16,190
    कटिहार 14,545
    पटना 14,462
    अररिया

    10,675

    शाहाबाद के जिले से प्रवासन

    जिला प्रवासी वोटरों की संख्या
    भोजपुर 3,084
    बक्सर 4,127
    कैमूर 2,380
    सासाराम 1,471

    सबसे ज्यादा प्रवासन वाले विधानसभा क्षेत्र

    विधानसभा प्रवासियों की संख्या
    पूर्णिया 13,013
    कटिहार 8,763
    सिकटा 5,882
    बगहा 4,912
    इस्लामपुर 2,728

    विधानसभा क्षेत्र से कम प्रवासन

    विधानसभा प्रवासियों की संख्या
    बड़हरा 66
    कल्याणपुर 100
    गोविंदगंज 109
    अलीपुर 122
    हायघाट 124

    कई विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक होगी उनकी भूमिका

    इस बार का मतदान दीपावली और छठ पूजा के बाद है। इस कारण इस बार मतदान में प्रवासी मतदाता ज्यादा अपने गृह क्षेत्र में रहेंगे। इससे ज्यादा से ज्यादा संख्या में इनके मतदान करने की संभावनाओं को देखते हुए इनकी भी भूमिका इस मतदान में काफी बढ़ गई है। राज्य के कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां 100 से लेकर 500 मतों के बीच फैसला होता है, वहां के लिए प्रवासी वोटरों की भूमिका अहम होगी।