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    Shahpur Vidhan Sabha: चाचा-भतीजे की जोड़ी ने रचा इतिहास, मुक्तेश्वर की रणनीति से राकेश ओझा की शाहपुर जीत

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 10:47 PM (IST)

    शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में चाचा-भतीजे की जोड़ी ने मिलकर इतिहास रचा। मुक्तेश्वर की रणनीति के चलते राकेश ओझा ने शानदार जीत दर्ज की। इस जीत से क्षेत्र में विकास की नई उम्मीद जगी है। राकेश ओझा की विजय शाहपुर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण पल है।

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    बिहार विधानसभा चुनाव 2025

    संवाद सूत्र, बिहिया (आरा)। रामायण प्रसंग की तर्ज पर शाहपुर विधानसभा में इस बार भी लोग चुनाव परिणाम को पारिवारिक एकता की जीत बता रहे हैं। बताया जाता है कि जैसे रावण ने युद्ध के बाद भगवान राम से कहा था कि आप इसलिए जीत गए कि आपके साथ आपका भाई था और मैं इसलिए हार गया कि मेरे साथ मेरा भाई नहीं था।

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    ठीक उसी तरह शाहपुर के मतदाता भी मान रहे हैं कि भाजपा प्रत्याशी राकेश रंजन ओझा की जीत का मूल मंत्र रहा ‘परिवार की एकजुटता।’ इस चुनाव में पहली बार चाचा–भतीजा एक मंच पर आए तो जीत भी तय हो गई।

    लोगों का कहना है कि राकेश ओझा की जीत में उनके चाचा, वरिष्ठ भाजपा नेता मुक्तेश्वर ओझा उर्फ भुअर ओझा की अहम भूमिका रही है। मतदाताओं का स्पष्ट मत है कि अगर परिवार एक न होता तो परिणाम 2020 की तरह एक बार फिर उलट भी सकता था।

    गौरतलब है कि 2020 के चुनाव में परिवार दो हिस्सों में बंट गया था। भाजपा प्रत्याशी के रूप में मुनी देवी मैदान में थीं, जबकि उनकी जेठानी व राकेश ओझा की माता शोभा देवी ने निर्दलीय उम्मीदवार बनकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था।

    नतीजा यह हुआ कि भाजपा का वोट दो हिस्सों में बंट गया। मुनी देवी को 21,355 वोट मिले, जबकि उनकी जेठानी शोभा देवी ने 41,510 वोट बटोरे। इस बिखराव का सीधा फायदा राजद प्रत्याशी राहुल तिवारी को मिला, जिन्होंने 64,393 वोट पाकर जीत दर्ज कर ली थी।

    इस बार भी चुनाव शुरुआत में ऐसा ही विभाजन दिख रहा था, जिसे लेकर राजद खेमा काफी उत्साहित था, लेकिन जैसे ही भाजपा ने राकेश ओझा पर दांव लगाया और उन्होंने अपने चाचा मुक्तेश्वर ओझा तथा चाची मुनी देवी से मुलाकात कर सबको साथ ला दिया, जिसके बाद शाहपुर की राजनीति का पूरा परिदृश्य ही बदल गया।