शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे इस गांव के लोग, सरफेंस वाटर सप्लाई केंद्र बदहाल
एक गांव में शुद्ध पेयजल की भारी किल्लत है। सरफेंस वाटर सप्लाई केंद्र की हालत खस्ता होने से जलापूर्ति बाधित है। ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है। शिकायत के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है और उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है।

जलापूर्ति केंद्र के रखरखाव के अभाव में ग्रामीण पी रहे आर्सेनिक युक्त पानी
राकेश कुमार तिवारी, बड़हरा (आरा)। प्रखंड अंतर्गत बहु ग्रामीण पाइप लाइन जलापूर्ति योजना के तहत स्थापित सरफेंस वाटर सप्लाई केंद्र मौजमपुर नूरपुर वर्ष 2010 में चालू किया गया था। इस केंद्र के माध्यम से इलाके के 52 गांवों के लाखों लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी।
बता दें कि गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में आर्सेनिक प्रभावित पानी मिलने के कारण सरकार ने लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये की लागत से इस केंद्र की स्थापना की थी। इस केंद्र से ग्यारह जल मीनारों के जरिये विभिन्न गांवों में पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि अब जलापूर्ति केंद्र का समुचित रख-रखाव नहीं हो रहा है। मंजेश सिंह ने बताया कि कई गांवों में स्टैंड पोस्ट टूटे पड़े हैं और जलापूर्ति पाइप लाइन में लीकेज की समस्या है।
इसके चलते ग्रामीणों को आर्सेनिक युक्त पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अन्य लोगों ने बताया जलापूर्ति की कोई समय निर्धारित नहीं है। गुणवत्तापूर्ण जलापूर्ति भी नहीं किया जा रहा है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
मृत्युंजय कुमार ने कहा शुद्ध जल की गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति नहीं किया जा रहा है। इस केंद्र के माध्यम से अभुलाल के इंग्लिश टोला गांव को नहीं जोड़ा गया है। करोड़ रुपया खर्च कर सरकार ने लोगों को शुद्ध जल की आपूर्ति के लिए इस केंद्र का स्थापना किया था। जो अब विफल साबित हो रहा है।
गुड्डू कुमार सिंह ने कहा दो-दो दिनों तक इस केंद्र के माध्यम से गांवों में जलापूर्ति नहीं किया जाता है। इससे लोग आर्सेनिक वाला पानी पीने के लिए विवश हो जाते हैं। मेरा गांव थोड़ा ऊंचाई पर है। और कई स्थानों पर जलापूर्ति वाले पाइप में लीकेज है। इससे मेरे गांव में पानी नहीं पहुंच पाता है।
संजय यादव ने कहा पहले से पानी के गुणवत्ता में कमी आई है। मेरे गांव के आधे से अधिक घरों में जलापूर्ति नहीं होती है। गांव में कई स्थानों पर नल टूटा हुआ हैं, कोई देखने खने वाला नहीं है। जलापूर्ति की समय निर्धारित नहीं है। कभी सुबह तो कभी शाम किसी दिन आता ही नहीं है।
संजीत पांडेय ने कहा गुणवत्तापूर्ण जल की आपूर्ति नहीं हो रही है। जहां तहां जलापूर्ति वाला पाइप और नल टूटा हुआ है। उसकी मरम्मत करने वाला कोई नहीं है। नल टूटने से कहीं जल बर्बाद होता है तो कहीं जल मिलता ही नहीं है। इसकी रख-रखाव अथवा देखने वाला कोई नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।