श्रीराम की धरती पर लिट्टी-चोखा का महाप्रसाद, पंचकोसी यात्रा के समापन पर गूंजा भक्ति और स्वाद का उत्सव
अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा के समापन पर विशाल लिट्टी-चोखा महाप्रसाद का आयोजन किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने इस धार्मिक यात्रा के अंत में भगवान राम की भक्ति और पारंपरिक व्यंजन का आनंद लिया। यह आयोजन भक्ति और स्वाद के अनूठे संगम का प्रतीक था, जिसने वातावरण को आनंदमय बना दिया।

श्रीराम की धरती पर लिट्टी-चोखा का महाप्रसाद
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। आध्यात्म की नगरी बक्सर को काशी का दूसरा रूप यूं ही नहीं कहा जाता। आज का प्रसाद इसलिए भी अत्यंत पवित्र है, क्योंकि यह उस पवित्र धरती पर तैयार होता है जिसके रजकण में अनंत यज्ञ किए गए।
गुरुवार को पंचकोसी परिक्रमा के अंतिम दिन विश्वामित्र की तपोस्थली आस्था की रंग में पूरी तरह से डूबी हुई थी। उपलों के बीच सिंकती लिट्टी की सोंधी खुशबू फिजां में घुल रही थी। तड़के से ही सुलगते उपलों की अग्निहोत्र से पूरा आकाश ढंक पड़ा था जो श्यामल रंग बिखेर रहा था।
इस दौरान उत्तरायणी मां गंगा के किनारे का यह दृश्य काफी मनोरम बना हुआ था। लिट्टी-चोखा के इस पावन महोत्सव में शहर का प्रायः हर तबका डूबा हुआ था।
पंचकोसी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं ने पहले गंगा स्नान किया फिर महाप्रसाद बनाने में जुट गए। जिसे देख ऐसा लग रहा था जैसे आस्था की अमृत बूंदों से पूरे तपोवन में हरियाली छा गई हो।
कहते हैं की जिस धरा पर यज्ञ रक्षा हेतु श्रीराम लक्ष्मण कदम-कदम चले हो और उनके चरणों की पवित्रता समाहित हुई हो ऐसी पावन धरा पर तैयार लिट्टी-चोखा का महाप्रसाद से भला कोई अछूता क्यों रहे।
यह जीव के सभी पांचों तत्वों को पवित्र कर देती है। इसी अंतर्निहित भाव को समेटे पंचकोसी परिक्रमा का एक अलग ही महत्व है। उसमें भी लिट्टी-चोखा महोत्सव को हर कोई भुनाना चाहता है।
तभी तो भोजपुरी स्पेशल व्यंजन लिट्टी-चोखा खाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी सराबोर होते दिखती है। निकटवर्ती प्रान्त यूपी के गहमर निवासी राम बहादुर सिंह का परिवार मेला का उत्सवी माहौल देखकर फूले नहीं समा रहा था।
इस दौरान जो दृश्य बयां किया उसमें तो जैसे पवित्र वाहिनी मां गंगा की शीतल धारा से सुधा ही बरस रही हो।
रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर भी पक रहा लिट्टी-चोखा
रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर बन रहा श्रीराम का प्रसाद लिट्टी-चोखा, आस्था के समंदर में आपसी सौहार्द और प्रेम की गाथा बयां कर रहा है।
किला मैदान के आस-पास अधिक भीड़ हो जाने से यहां भी लोग लिट्टी चोखा का प्रसाद पूरे मनोभाव से बनाने में जुट हुए हैं।
इसके अलावा नाथ बाबा घाट, रानी घाट, बुढ़वा घाट समेत सुमेश्वर घाट, सिपाही घाट आदि स्थलों के आसपास भी भक्तजन लिट्टी की सिंकाई कर रहे हैं।
बक्सर की पंचकोसी यात्रा श्रीरामकी आस्था
पांच दिवसीय पंचकोशी यात्रा भगवान श्रीराम की बक्सर यात्रा से जुड़ी है। इस बाबत पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध करने के बाद श्रीराम और लक्ष्मण जब दुबारा सिद्धाश्रम (बक्सर का पौराणिक नाम) आए तब उन्होंने पांच ऋषि-मुनियों के आश्रम में पांच रात गुजारी।
इस दौरान जहां भी उन्होंने भोजन किया। उसे पंचकोसी यात्रा के दौरान प्रसाद के रूप में भगवान को भोग लगाने की परंपरा है। यात्रा के अंतिम दिन मार्गशीष कृष्णपक्ष की नवमी को चरित्रवन में महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में उन्होंने लिट्टी-चोखा का भोजन किया था।
इसी वजह से इस दिन भगवान को लिट्टी-चोखा का भोग लगा प्रसाद बांटा जाता है। मेला में भाग लेने के लिए सुबह बक्सर आने वाली हर ट्रेन से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उतर रहे हैं।
पटना के अशोक नगर से अपनी बेटी और सास के साथ पहुंची पिन्नु दिव्या ने बताया कि वह चौथी बार यहां आई हैं, उनका यहां ननिहाल है और इस आयोजन का उन्हें बराबर इंतजार रहता है।
इसलिए लिट्टी-चोखा बनाने की पूरी तैयारी करके आई हूं। इस बार भीड़ पिछले साल से ज्यादा है। दानापुर-पटना दीघा के पास से पहुंचीं मंजू देवी एवं पटना राजाबाजार की ही सबिता देवी ने कहा कि वे दोनों बहनें पिछले 27 साल से लगातार यहां आ रहीं हैं। इस बार साथ में अपनी भाभी को लेकर भी आई हैं। उनके सुसराल से भी लोग आए हैं।

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