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    Holi 2025 Date: 14 या 15 इस साल कब मनाई जाएगी होली? आचार्य ने दूर किया डेट का कन्फ्यूजन

    Updated: Sun, 09 Mar 2025 04:06 PM (IST)

    सोमवार को आमलकी एकादशी है इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इसके बाद 13 मार्च को रात 10.37 के बाद होलिका दहन किया जाएगा। वहीं 15 मार्च को रंगों की होली मनाई जाएगी। कई लोगों को होली की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन है। आचार्यों का कहना है कि चैत्र कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि में रंगोत्सव मानने की ही परंपरा हैं इसलिए 15 मार्च को होली मनाई जाएगी।

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    Holi 2025 Date: 15 मार्च को खेली जाएगी होली

    जागरण संवाददाता, बक्सर। Holi 2025 Date: सोमवार को आमलकी एकादशी है, इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी तिथि रविवार को दिन में 1 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर सोमवार को दिन में 9 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। लेकिन उदय व्यापिनी तिथि के मान होने से एकादशी व्रत सोमवार को ही है।

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    15 मार्च को मनाई जाएगी होली

    इसके बाद होलिका दहन 13 तारीख दिन गुरुवार को रात 10.37 के बाद किया जाएगा। 14 को चंद्र ग्रहण है, लेकिन भारत में यह दृश्यमान नहीं होगा। वहीं पंडितों ने उदय व्यापिनी प्रतिपदा में शनिवार (15 तारीख) को सर्वसम्मति से रंगों की होली मनाए जाने की बात कही है।

    13 मार्च को होलिका दहन

    बता दें कि मेल-मिलाप के प्रमुख त्योहार होलिकोत्सव में होलिका दहन वैधानिक रूप से ज्योतिष गणना के बताए गए नियमों के अनुसार करने की रीति है।

    वाराणसी से मुद्रित पंचांग अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 (गुरुवार) को दिन में 10 बजकर 02 मिनट से आरंभ होकर 14 मार्च को दिन में 11 बजकर 12 बजे तक है। भद्रा की बात करें तो यह भी पूर्णिमा तिथि के आगमन से गुरुवार की रात 10:37 बजे तक रहेगा।

    तीन शास्त्रीय नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए होलिका दहन

    इसके आलोक में आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उर्फ पौराणिक महाराज, ज्योतिषाचार्य पं. नरोत्तम द्विवेदी, प्रसिद्ध कर्मकांडी आचार्य अमरेंद्र कुमार शास्त्री उर्फ साहेब पंडित, कर्मकांडी शैलेंद्र कुमार मिश्र।

    पातालेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी रामेश्वर नाथ पंडित, ज्योतिषाचार्य पं. शंभू पांडे समेत उधर डुमरांव के निवासी वैदिक पं. संजय ओझा आदि ने बताया कि धर्म शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है।

    'रात्रौ भद्रा वसाने तू होलिका दीप्यते तदा', यानी की होलिका दहन तीन शास्त्रीय नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। इसमें फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा हो तथा प्रदोष रात्रि का समय हो एवं भद्रा बीत चुका हो।

    अतः उपयुक्त तीनों नियमों का पालन करते हुए इस साल 13 मार्च (गुरुवार) की रात्रि 10:37 बजे के बाद शास्त्रीय नियमों के अनुसार होलिका दहन करना उत्तम रहेगा।

    होलिका दहन किए जाने और उसके बाद रंगोत्सव मनाए जाने को लेकर लोगों के मन में द्वंद की स्थिति बरकरार है। कुछ लोग 14 मार्च को होली मनाने की बात कह रहे हैं। वहीं, कुछ लोग 15 मार्च को होली का त्योहार मनाए जाने के पक्ष में हैं।

    कुछ लोग आहार (सामिष) की वजह से रंगोत्सव 14 को ही मनाए जाने की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन आचार्यों का कहना है कि चैत्र कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि में रंगोत्सव (रंगो की होली) मानने की ही परंपरा रही है। इसलिए काशी को छोड़कर, उदया तिथि में प्रतिपदा का मान शनिवार को होने से सर्वत्र रंगो की होली 15 तारीख को ही मनाई जाएगी।

    विनय कुमार तिवारी

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