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    Darbhanga News: किसानों की उम्मीद पर मौसम की चोट, रबी की राह मुश्किल

    By Sadare Alam Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Fri, 31 Oct 2025 06:38 PM (IST)

    दरभंगा जिले में मोंथा चक्रवात के कारण मौसम में बदलाव से किसान चिंतित हैं। बारिश और जलजमाव ने रबी फसलों की बुवाई में देरी कर दी है। जिन किसानों की धान की फसल कट चुकी है, उन्हें नुकसान होने की आशंका है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करने की सलाह दी है। बदलते मौसम ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

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    भरहुल्ली में पानी में डूबी धान की फसल। जागरण

    संवाद सहयोगी, सिंहवाड़ा (दरभंगा)। मोंथा चक्रवात के प्रभाव के बाद मौसम में आए बदलाव ने एक बार फिर किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। गुरुवार तड़के से आसमान में बादल छा गए और रुक-रुक कर वर्षा के साथ बूंदाबांदी होती रही। पहले से जलजमाव और अतिवृष्टि का सामना कर रहे किसान अब नई फसल को लेकर असमंजस में हैं।

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    तापमान में गिरावट के साथ बढ़ गई ठंड 

    मौसम के अचानक बदलाव से तापमान में गिरावट आई है और हवा में ठंडक बढ़ गई है। प्रखंड कृषि सलाहकार कुमार बैधनाथन ने बताया कि मोंथा चक्रवात का असर बिहार के कई हिस्सों में देखा जा रहा है। यह स्थिति पहली नवंबर तक बनी रहेगी। इस दौरान हल्की और तेज वर्षा की संभावना है। आसमान में बादल छाए रहेंगे, लेकिन वर्षा की तीव्रता में कमी आएगी। दो नवंबर से मौसम सामान्य होने लगेगा और धूप निकलने की संभावना है। वर्षा से किसानों को अधिक नुकसान नहीं होगा, केवल उन कृषकों को नुकसान हो सकता है जिनके खेतों में धान की फसल कटकर पड़ी है।

    जलजमाव के कारण आवागमन में कठिनाई

    वर्षा के कारण रबी फसल की बोआई में थोड़ी देरी हो सकती है, लेकिन मिट्टी में नमी पड़ने से गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों के लिए यह वर्षा लाभदायक साबित होगी। रुक-रुक कर हो रही वर्षा से ग्रामीण इलाकों में कीचड़ और जलजमाव के कारण आवागमन में कठिनाई हो रही है। सुबह और शाम ठंडक महसूस की जा रही है। जिन किसानों ने धान की कटाई कर ली है, लेकिन दौनी नहीं करा पाए हैं, उनके लिए यह मौसम भारी साबित हो सकता है। नमी और बारिश के कारण खेतों में पड़ी फसल सड़ने की स्थिति में पहुंच सकती है। भरहुल्ली के किसान अमरनाथ यादव, रामदहीन यादव, विकास कुमार, सकलदेव यादव, विक्रम कुमार, दीपक कुमार, मुरारी यादव, प्रह्लाद यादव, नवीन कुमार, वकील सहनी आदि का कहना है कि यदि दोबारा तेज बारिश हुई तो धान की बची-खुची फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।

    खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें किसान 

    कृषि विज्ञानी डा. दिव्यांशु शेखर ने बताया कि किसान पहले से ही अतिवृष्टि की मार झेल रहे हैं। यदि आने वाले दिनों में पुनः वर्षा हुई, तो यह न केवल तैयार फसलों के लिए हानिकारक होगी, बल्कि रबी और तिलहन की बोआई पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान दें और खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि नुकसान को कम किया जा सके। लगातार बदलते मौसम और बार-बार की वर्षा ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। अब उनकी निगाहें आसमान की ओर टिकी हैं कि कब बादल छंटें और खेतों में फिर से नई उम्मीदें अंकुरित हो सकें।