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     Bihar Assembly Election 2025 : गठबंधन का गणित गड़बड़ाया, टिकट बंटवारे ने बढ़ाई उम्मीदवारों की मुश्किलें

    By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Sun, 19 Oct 2025 05:37 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर गठबंधन का गणित बिगड़ता दिख रहा है। टिकट बंटवारे पर दलों में सहमति नहीं बन पा रही, जिससे उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नेता अपने समर्थकों के लिए ज्यादा टिकट चाहते हैं, जिससे गठबंधन में दरार का खतरा है। टिकट बंटवारे में देरी से उम्मीदवारों की चिंता बढ़ गई है, जिसका असर चुनावी तैयारियों पर पड़ रहा है।

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    तेजस्वी, राहुल गांधी व मुकेश सहनी । जागरण आर्काइव

    मृत्युंजय भारद्वाज, दरभंगा । बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में होने वाले चुनाव में उत्तर बिहार की चार सीटों गौड़ाबौराम, रोसड़ा (सुरक्षित) एवं लालगंज में आइएनडीआइए की गांठ खुलती दिख रही है। इन पर आइएनडीआइए के दो दल एक दूसरे के सामने हैं।

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    वहीं जाले सीट पर पिछले चुनाव में हारे प्रत्याशी टिकट से वंचित होने पर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं तो कुशेश्वरस्थान (सुरक्षित) सीट पर बिना हस्ताक्षर सिंबल जमा करने से निर्दल हो चुके प्रत्याशी के समक्ष अब बेहतर चुनाव प्रबंधन की चुनौती खड़ी हो गई है। इसके पीछे आइएनडीआइए में सीटों के बंटवारे में विलंब को कारण माना जा रहा है। ऐसे में मैदान में उतरे प्रत्याशियों को अलग तरह से मशक्कत करनी पड़ सकती है।

    मैदान में डट गए राजद के अफजल अली खान 

    दरभंगा जिले की गौड़ाबोराम वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी का गृह विधानसभा सीट है। सहनी ने अपने छोटे भाई एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी को प्रत्याशी बनाया है। उनके सामने मैदान में राजद के अफजल अली खान डट गए हैं। गौड़ाबौराम सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में वीआइपी की स्वर्णा सिंह ने जीत दर्ज की थी। बाद में सिंह भाजपा में शामिल हो गईं। इस बार उनके पति सुजीत कुमार मैदान में हैं।

    चुनाव में स्वर्णा सिंह 59, 538 मत हासिल कर विजयी हुई थी। जबकि राजद के अफजल अली खान 52,258 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार यहां पहले अफजल अली खान राजद का सिंबल प्राप्त करने में सफल रहे और उसके आधार पर नामांकन भी कर दिया। अंतिम समय में यह सीट वीआइपी को देने पर सहमति बन गई। पहले चर्चा चली कि वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी खुद मैदान में उतरेंगे, मगर उनके भाई संतोष सहनी ने वीआइपी से नामांकन किया। संवीक्षा के बाद राजद और वीआइपी के प्रत्याशी आमने-सामने हैं।

    मरना पसंद करूंगा लेकिन नामांकन वापस नहीं लूंगा

    वीआइपी उम्मीदवार संतोष सहनी का कहना है कि गठबंधन के तहत यह सीट उन्हें दी गई है। राजद उम्मीदवार को नामांकन वापस लेने के लिए कहा गया है। राजद प्रत्याशी अफजल अली खान दो टूक कहते हैं कि “मरना पसंद करूंगा लेकिन नामांकन वापस नहीं लूंगा।” अब सबकी नजर सोमवार को नामांकन वापसी की अंतिम तारीख पर टिकी है। गौड़ाबौराम में सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता हैं। इसके बाद दलित-महादलित, ब्राह्मण, मल्लाी, कुर्मी व राजपूत का नंबर आता है। मुस्लिम और यादव को राजद का आधार वोट माना जा रहा है। आइएनडीआइए की आपसी खींचतान का सीधा नुकसान वीआइपी को हो सकता है। कुशेश्वरस्थान (सुरक्षित) विधानसभा की सीट की कहानी गौड़ाबौराम से कुछ इतर है।

     

    वीआइपी के सिंबल पर दाखिल नामांकन हो गया रद 

    वीआइपी उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले गणेश भारती अब निर्दलीय हो गए हैं। नामांकन पत्र की जांच के दौरान तकनीकी कारणों से वीआइपी के सिंबल पर दाखिल उनका नामांकन रद हो गया। हालांकि दूसरे सेट वाले नामांकन पत्र वैध पाए जाने से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में बने हुए हैं। इस घटनाक्रम से न केवल वीआइपी बल्कि आइएनडीआइए के अंदर भी हलचल मचा दी है। वर्ष 2021 के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में गणेश भारती ने 47,184 मत हासिल किए थे। तब 59,882 मत पाकर जदयू के अमन भूषण हजारी विजयी हुए थे। अबकी चुनाव में कुशेश्वरस्थान सीट वीआइपी के खाते में चली गई। राजद ने गणेश भारती को वीआइपी के सिंबल पर चुनाव लड़ाने का रास्ता तो निकाल लिया, परंतु नामांकन जांच में तकनीकी खामी ने पूरा समीकरण बिगाड़ दिया। अब निर्दलीय प्रत्याशी बनने से गणेश भारती की राह आसान नहीं होगी।

    बिना पार्टी सिंबल के चुनाव लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। प्रचार-प्रसार के लिए सीमित संसाधन, संगठनात्मक सहयोग का अभाव और कार्यकर्ताओं में भ्रम जैसी स्थितियां उनके लिए बड़ी बाधा बन सकती है। उन्हें आइएनडीआइए के कोर वोटर के समर्थन का आसारा है। इसको अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

    जाले सीट इस बार आइएनडीआइए के घटक दल कांग्रेस के पास है। कांग्रेस ने राजद नेता ऋषि मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। यहां भी पेच फंसा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर 65,580 मत लाकर दूसरे स्थान पर रहे मशकूर अहमद उस्मानी निर्दलीय मैदान में हैं। इससे कांग्रेस प्रत्याशी की राह आसान नहीं रह गई है। समस्तीपुर के रोसड़ा (सुरक्षित) सीट पर कांग्रेस के बीके रवि एवं भाकपा के लक्ष्मण पासवान एक-दूसरे से फरिया रहे हैं।

    2020 के चुनाव में यहां से भाजपा के विजेंद्र पासवान 86,163 मत लाकर विजयी हुए थे। तब कांग्रेस के नागेंद्र कुमार विकल 51,419 मत पाकर दूसरे स्थान पर थे। लालगंज सीट से कांग्रेस के आदित्य राजा एवं राजद की शिवानी शुक्ला मैदान में हैं। यहां 2020 के चुनाव में कांग्रेस के राकेश कुमार 44,451 मत पाकर दूसरे स्थान पर थे। जबकि निर्दलीय विजय कुमार शुक्ला 27,460 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।