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    दरभंगा में दाखिल-खारिज के नाम पर फर्जीवाड़ा, खाता में जमीन नहीं; दूसरे के नाम कर दिया कई डिसमिल की जमाबंदी

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 04:15 AM (IST)

    दरभंगा जिले में दाखिल-खारिज और जमाबंदी में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। अधिकारी कर्मचारी बिचौलिए और भू-माफिया मिलकर भूमि अभिलेखों में हेराफेरी कर रहे हैं जिससे आम जनता को नुकसान हो रहा है। सरकार के प्रयासों के बावजूद भ्रष्टाचार जारी है। बिरौल अंचल में राजस्व कर्मचारी पर बिचौलियों के माध्यम से काम कराने का आरोप है जिससे ऑनलाइन रसीद और रकवा में गड़बड़ी हो रही है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, दरभरंगा। जिले में दाखिल-खारिज और जमाबंदी में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। इसमें अधिकारी, कर्मचारी और बिचौलियों से लेकर भू-माफियाओं तक की संलिप्तता है।

    इन सबकी मिलीभगत से भूमि अभिलेखों में हेराफेरी की जा रही है। इससे आम जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे सैकड़ों की संख्या में जमीन मालिक हैं, जिनके जमाबंदी में रकवा शून्य है। इसके बावजूद खाता और खेसड़ा में रकवा दर्शा कर जमाबंदी से दाखिल खारिज कर दिया गया है।

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    इस फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जैसे ऑनलाइन दाखिल-खारिज पोर्टल की शुरुआत करना। फिर भी भ्रष्टाचार और अनियमितताएं जारी हैं। आरोप है कि भू-अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करके कुछ लोगों को नाजायज जमाबंदी दे दी जाती है।

    भूमि अभिलेखों में राजस्व कर्मचारी, बिचौलिये और भू-माफिया गलत तरीके से जमीन के नक्शे और खसरा नंबरों में बदलाव कर धोखाधड़ी कर रहे हैं।

    बिरौल अंचल के पटनियां, रामनगर और सहसराम पंचायत में राजस्व कर्मचारी, बिचौलियों, भू-माफियाओं और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर ऐसे फर्जीवाड़े सामने आए हैं।

    बिरौल प्रखंड के राजस्व कर्मचारी श्रवण कुमार तीन पंचायत के राजस्व कर्मचारी हैं। उनके जिम्मे सहसराम, पटनियां और रामनगर है। आरोप है कि उन्हें राजस्व की कोई जानकारी नहीं है। वह भूमि से संबंधित सारा काम खुद के बजाय बिचौलिये या अन्य लोगों से कराते हैं। इसका फायदा अंचल के पदाधिकारी, बिचौलिये और भू-माफिया उठा रहे हैं।

    आपका रसीद ऑनलाइन नहीं चढ़ा हुआ है

    पटनियां पचायत के रैयत हैं उमाशंकर कुमार। उनकी एक भूमि की जमाबंदी 1212 है। इसका कुल रकवा 13 कट्ठा चार धूर है। पुराना खाता 212 और खेसरा 1679 है। इनका मैनुअल राजस्व रसीद वर्ष 1985-86 से 1992-93 तक का कटा हुआ है।

    जब वह उक्त जमाबंदी का ऑनलाइन रसीद कटाने कर्मचारी के पास गए, तो कर्मचारी ने कहा कि आपका रसीद ऑनलाइन नहीं चढ़ा हुआ है। इसका परिर्माजन कराना होगा। तब जाकर रसीद ऑनलाइन कटेगा।

    इधर जब राजस्व महाभियान को लेकर जमाबंदी पर्ची वितरण किया जा रहा था, तो उक्त जमाबंदी- 1212 उपेन्द्र चौधरी व सुरेंद्र चौधरी के नाम से 1 एकड़ 70.04 दर्ज पाया गया। रैयत उमाशंकर कुमार ने बताया कि इसी तरह से मेरी एक जमाबंदी- 1188 में रकवा लगभग छह एकड़ 58 डिसिमिल है।

    लेकिन मुझे जो जमाबंदी पंजी पर्ची दी गई है, उसमें उक्त जमाबंदी में रकवा मात्र 99 डिसिमिल दर्शाया गया है। यह सारा खेल पंचायत के बिचौलिये और कर्मचारी की मीलिभगत से किया गया है। कर्मचारी ने मुझसे अवैध राशि की मांग की। मैंने देने से मना कर दिया। उसके बाद यह गड़बड़ी की गई है।

    रकवा शून्य, 21 डिसमिल जमीन दर्शा कर कर दिया दाखिल-खारिज

    रामनगर पंचायत के रैयत परमेश्वर पासवान की जमाबंदी 2556 पंजी पर खाता-594, खेसरा 4067, रकवा शून्य दर्शाया हुआ है। लेकिन उक्त जमाबंदी से केस नंबर 1355 और 1356, दिनांक- 29 जनवरी वर्ष 2024-25 में रूबी खातून पिता मुसाविर हुसैन के नाम से 10.47 और 10.47 डिसमिल करके दाखिल-खारिज कर दिया गया।

    पटनियां पंचायत के मौजे- नारायणपुर में रैयत स्व. यमुना प्रसाद कर्ण की जमाबंदी संख्या 47 और 48 है। इनकी जमाबंदी पंजी में कुल रकबा दो एकड़ 70. 756 डिसमिल दर्शाया गया है। इनकी उक्त जमाबंदी में से खाता-226, खेसरा- 106 अंकित कर 46.434 डिसमिल भूमि 12 अक्टूबर 2022 को गुलफेशा परबीण, पति- अब्दुलहई खां के नाम से दाखिल खारिज कर दिया गया।

    इस संबंध में स्व. यमुना प्रसाद कर्ण के पुत्र गुणेश्वर प्रसाद कर्ण ने बताया कि नारायणपुर मौजे में जो भूमि है, उसे मेरे पिताजी ने नहीं बेचा है। मेरे नाम से ही जमाबंदी कायम है। बताया जाता है ऐसे खेल जिले के सभी अंचलों में धड़ल्ले से चल रहा है। इसके लिए कर्मचारी, बिचौलिये और पदाधिकारी जमकर वसूली कर रहे हैं।

    सुधारने का ठेका आप लोगों ने ही लिया है, तो जाकर सुधार दीजिए। - मनोज कुमार, अपर-समाहर्ता राजस्व, दरभंगा

    इस पूरे मामले को लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है। मुझसे बेहतर अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारी बता सकते हैं। - श्रवण कुमार, राजस्व कर्मचारी, रामनगर, पटनियां और सहसराम, बिरौल