Darbhanga : संस्कृत विश्वविद्यालय में तैयार होगा प्रश्न कोष, अब हर विषय पर होगी सुव्यवस्थित पड़ताल
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय अब वृहत प्रश्न कोष बनाएगा, जिसके लिए परीक्षा विभाग ने पहल शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ...और पढ़ें

प्रश्न कोष को लेकर बैठक की अध्यक्षता करते कुलपति। जागरण
जागरण संवाददाता, दरभंगा । शैक्षणिक सत्रों को अद्यतन करने में जुटा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय अब अपना वृहत प्रश्न कोष बनाएगा। इसके लिए परीक्षा विभाग ने विशेष पहल भी शुरू कर दी है। बताया है कि विषयवार प्रश्नों की सूची अगर पहले से उपलब्ध रहेगी तो परीक्षाओं के संचालन में सुगमता आएगी और इसका लाभ छात्रों को ही होगा।
इस बाबत बुधवार को कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने सभी प्रधानाचार्यों के साथ आनलाइन बैठक की।उन्होंने पहले तो प्रधानाचार्यों से सात दिनों के भीतर विषयवार सभी स्तरों से पांच पांच प्रश्नों की सूची प्रेषित करने को कहा। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि जो शिक्षक जिस विषयों को पढ़ाते हैं उन्हें वस्तुनिष्ठ,लघु व दीर्घ उत्तरीय पांच -पांच प्रश्नों की सूची देनी है और प्रधानाचार्य उसे अपने स्तर से परीक्षा विभाग को उपलब्ध कराएंगे।
साथ ही निदेशित किया गया कि कौन शिक्षक किस विषयों को पढ़ाते हैं, इसकी भी सूची मुख्यालय को प्रेषित की जाएगी। पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कुलपति ने संस्कृत के अलावा अंग्रेजी, कम्प्यूटर, सामान्य ज्ञान समेत अन्य विषयों पर भी बराबरी से फोकस देने को कहा। इसके अलावा आंतरिक परीक्षाओं के ससमय संचालन के लिए भी उन्होंने निदेशित किया।
समाज में संस्कृत को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए कुलपति ने बुद्धिजीवियों से प्रत्यक्ष सम्पर्क व सम्बन्ध बनाने की सलाह दी। इसके लिए उन्होंने कहा कि कम से कम सप्ताह में एक बार सभी से सम्पर्क करने का प्रयास होना चाहिए। कुलपति ने कहा कि संस्कृत सम्भाषण पर सभी को ध्यान देना जरूरी है।
नाटक, श्लोक, गायन समेत सामूहिक चर्चा का आयोजन अपेक्षित है और इससे समाज के सभी वर्गों को जोड़ने की भी जरूरत है। कुलपति ने कहा कि अपने शिक्षकों व प्रधानाचार्यों के अनुभव व उनकी सेवाओं का लाभ विश्वविद्यालय को मिलनी चाहिए। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग सूचना वैज्ञानिक डा. नरोत्तम मिश्रा कर रहे थे। बैठक में एफओ डा. पवन कुमार झा, परीक्षा नियंत्रक डा. ध्रुव कुमार मिश्र, शिक्षा शास्त्र निदेशक डा. घनश्याम मिश्र, नोडल पदाधिकारी डा. रामसेवक झा भी मौजूद थे।

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