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    Darbhanga News : संसार की रक्षा के लिए विज्ञान पर आध्यात्म का नियंत्रण आवश्यक

    By Prince Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 04:30 PM (IST)

    दरभंगा में विद्वानों ने कहा कि दुनिया को बचाने के लिए विज्ञान पर आध्यात्मिकता का नियंत्रण आवश्यक है। विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का समन्वय मानव कल्याण के लिए जरूरी है। आध्यात्मिकता मनुष्य को सही राह दिखाती है, जबकि विज्ञान नई तकनीकें देता है। इसलिए दोनों में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि मानव कल्याण हो सके।

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    टापर छात्र को गोल्ड मेडल पहनाते कुलाधिपति व मौके पर अतिथिगण। जागरण

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने कहा है कि विश्व की रक्षा के लिए विज्ञान पर आध्यात्म का नियंत्रण आज की परिस्थिति में अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसके लिए हमें विज्ञान को आध्यात्म का अनुगामी बनाना होगा।
    ध्यान रखिए कि यह काम कोई दूसरी नहीं कर सकता है। हमें ही आगे आना होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित मूल्य और आदर्श इस संबंध में हमारा पर्याप्त मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि यह दीक्षांत है शिक्षांत नहीं। इसलिए निरंतर स्वाध्याय जारी रखिए।
    अर्जित ज्ञान को दूसरों तक पहुंचाइए। भारतीय संस्कृति में यही हमारा परम दायित्व है। राज्यपाल शुक्रवार को दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 11 वें दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे।
    उन्होंने रंगारंग समारोह के बीच विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 26 टापर छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल पहनाकर सम्मानित किया। 11 सौ से अधिक छात्र-छात्राओं को उपाधि भी प्रदान की गई।
    दो पूर्व कुलपति समरेन्द्र प्रताप सिंह और राज मणि सिन्हा को मानद उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि आज जो उपाधि आपको पदक प्रदान किए जा रहे हैं, उसमें आपके परिश्रम, लगन और पढ़ाई के प्रति समर्पण के साथ साथ अभिभावकों, शिक्षकों के सहयोग और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान है। कहा कि दीक्षा समारोह में उपाधि प्राप्त करना, प्रत्येक छात्र की महती आकांक्षा होती है। इसलिए आज का दिन महत्वपूर्ण है।
    श्रीमद्भागवत गीता के हवाले से उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में स्वाध्याय को सुख की वृद्धि करने वाला कहा गया है। तैत्तिरीय उपनिषद में भी दीक्षा समारोह का उल्लेख है। सत्य बोलो, कर्तव्य का पालन करो और स्वाध्याय में आलस्य नहीं करो। यही इस समारोह का संदेश है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि आज ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय बिहार में शोधार्थियों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
    यह नवाचार के बड़े केंद्र के रूप में उभर रहा है। जेएनयू दिल्ली, बीएचयू के अलावा अन्य विश्वविद्यालयों से छात्र यहां शोध करने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के जिन 35 विश्वविद्यालयों का चयन मेरू के लिए किया गया है, उनमें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय भी शामिल है।
    कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के नेतृत्व में शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अधिवेशनों का सफलतापूर्वक आयोजन कर रहे हैं। इस अवसर पर मु्ख्य वक्ता के रूप में दिल्ली के शिक्षा संस्कृत उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डा. अतुल कोठारी और आइआइटी पटना के निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने सम्मानित अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित किया।

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