पटना, गया, दरभंगा और पूर्णिया के बाद इस शहर से उड़ान भरने का सपना होगा साकार
पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल एयरपोर्ट से उड़ान का सपना जल्द पूरा होगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके लिए 139 एकड ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण)। Raxaul Airport: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल एयरपोर्ट से उड़ान का सपना अब पूरा होने जा रहा है। एयरपोर्ट की राह में भूमि की कमी की समस्या को दूर करने का प्रयास अंतिम चरण में है।
एयरपोर्ट अथारिटी की ओर से अधियाचना के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद अधिघोषणा जारी कर दी गई। अब शीघ्र संबंधित भूखंडों के मालिकों को मुआवजा का भुगतान कर भूमि का अधिग्रहण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
बता दें कि पहले से एयरपोर्ट के पास उपलब्ध जमीन के अतिरिक्त 139 एकड़ नई जमीन का अधिग्रहण करने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है। पूर्व में हवाई अड्डा के पास 137 एकड़ भूमि उपलब्ध थी। शेष भूमि की उपलब्धता नहीं होने के कारण हवाई अड्डा का मामला आगे नहीं बढ़ रहा था।जिला भू-अर्जन विभाग कर मानना है कि जल्द ही भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा करते हुए रैयतों के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
मजबूत होगी क्षेत्र की आर्थिक स्थिति
इस एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के रूप में विकसित करने की तैयारी है। इसके बन जाने के बाद जब नागरिक सेवाएं शुरू होंगी तो इसके आसपास के इलाकों के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। लोगों के लिए यात्री सुविधाएं बढेंगी।
नेपाल से सटी दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे होने के कारण यहां सुरक्षा प्रबंध भी पहले से और मजबूत किए जा सकेंगे। बता दें कि इस एयरपोर्ट की स्थापना 1962-63 में भारत-चीन युद्ध के समय किया गया था। तब उद्देश्य था कि युद्ध के दौरान चीन से भाया नेपाल सटने वाली इस सीमा पर भी जरूरत के हिसाब से सेना के विमान उतारे जा सकें।
चार सौ रैयतों की भूमि का होना है अधिग्रहण
हवाई अड्डा के निर्माण के लिए रक्सौल अंचल के छह गांवों में 139 एकड़ नई जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। छह गांवों में करीब चार सौ रैयतों की जमीन का अधिग्रहित किया जाना है। अधिग्रहण रक्सौल अंचल के चिकनी, सिंहपुर, सिसवा, एकडेरवा, भरतमही व चंदौली गांव में किया जाना है।
हवाई अड्डे की भूमि के लिए अधिघोषणा जारी की गई है। अब जल्द ही शिविर लगाकर रैयतों का भुगतान किया जाएगा।
विकास कुमार, अपर जिला भू-अर्जन पदधिकारी, पूर्वी चंपारण

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