Karva Chauth Chand Time 2025: करवा चौथ की रात कब दिखेगा चांद? 3 आचार्यों ने बताया सही टाइम
विवाहित महिलाएं 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखेंगी। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन बुजुर्गों का अनादर करने से व्रत का फल नहीं मिलता क्योंकि करवा चौथ पर बड़ों का आशीर्वाद महत्वपूर्ण है।

जागरण टीम, मोतिहारी/वाल्मीकिनगर। नवविवाहित महिलाएं अपने सौभाग्य वृद्धि के लिए 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखेंगी। महिलाएं इस व्रत को बड़ी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करती हैं। पूजा के दौरान अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ उपवास रखती हैं। उक्त बातें चकिया प्रखंड स्थित महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र चंपारण काशी के आचार्य अभिषेक कुमार दूबे, आचार्य आशुतोष कुमार द्विवेदी, आचार्य रोहन पांडेय ने संयुक्त रूप से कहीं।
शास्त्र के अनुसार, चंद्रोदय 7:58 बजे रात्रि में होगा। उसके बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य दें सकेगी। महिलाएं रस्म के लिए अपनी पूजा की थाली को सजाती हैं फिर चंद्रमा की पूजा कर अपने पति को चलनी से देखकर उनके हाथ से दूध पीकर व्रत खोलती हैं।
व्रत के दौरान महिलाओं को चांद देखने से पूर्व कई चीजों से बचना होता है। सनातनी परंपरा के अनुसार, इस दिन चांद देखने से पहले अगर कोई महिला अपनी सास मां या किसी भी बुजुर्ग का अनादर करती है तो इससे चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।
ऐसी महिलाओं का व्रत पूरा नहीं हो पाता है, क्योंकि करवा चौथ पर पति की लंबी उम्र की कामना के साथ बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद का महत्व होता है।
शरद पूर्णिमा पर महाआरती में शामिल हुए श्रद्धालु
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गंडक नदी के काली घाट पर वाल्मीकिनगर के विधायक प्रतिनिधि विनय कुमार सिंह के संयोजन में गठित प्रबुद्ध मंच की ओर से शरद पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार की रात्रि नारायणी गंडकी महाआरती का आयोजन किया गया।
महाआरती का शुभारंभ राष्ट्रपति से पुरस्कृत शिक्षक मोहन प्रसाद श्रीवास्तव, उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजय कुमार, सीमा जागरण मंच के तापस टैगोर, संजय कुमार यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया।
विधायक प्रतिनिधि ने बताया की प्रत्येक माह की पूर्णिमा पर प्रबुद्ध मंच के द्वारा गंडक नदी के तट पर स्थित काली घाट पर नारायणी गंडकी महाआरती का आयोजन किया जाता है। जिसमें वाल्मीकिनगर के प्रबुद्ध लोग तथा विद्यालय के शिक्षक शामिल होते हैं। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसमें शिक्षक तथा गायन वादन से जुड़े लोग अपनी प्रस्तुति देते है।
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