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    Unique Tradition: नेपाल में तीज के दौरान विवाहिता के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी करतीं व्रत, तरीका भी भारत से अलग

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 04:55 PM (IST)

    Unique Tradition भारत की तरह नेपाल की महिलाएं भी तीज करती हैं। इसकी एक बड़ी वजह से दोनों देशों के बीच बेटी-रोटी का संबंध होना है । इस दौरान महिलाएं लाल वस्त्रों में सज-धज कर आती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाएं अपने परिवार के साथ भाग लेती हैं ।

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    तीज के दौरान महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। जागरण

     जागरण संवाददाता, रक्सौल (पूर्वी चंपारण)। हरितालिका तीज को देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। पड़ोसी देश नेपाल में तीज पर्व की तैयारी एक माह पूर्व शुरू होती है।

    नेपाल में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधन का कारोबार करने वाले लोग मिलकर तीज महोत्सव का आयोजन करते हैं। ब्यूटीशियन कोर्स का प्रशिक्षण देने वाले संस्थान सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जो दो सप्ताह पहले से शुरू होते हैं।

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    इस दौरान महिलाएं नेपाल की स्थानीय भाषा में रातों यानी लाल वस्त्रों में सज-धज कर आती हैं। ये सांस्कृतिक कार्यक्रम बड़े होटलों में आयोजित होते हैं, जहां महिलाएं अपने परिवार के साथ भाग लेती हैं।

    आयोजक मंडल बेहतर प्रस्तुति देने वाली महिलाओं को पुरस्कृत करते हैं। भारत में तीज का पर्व एक दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण के रूप में मनाया जाता है। नेपाल और भारत में धार्मिक कैलेंडर भी समान है।

    भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता है। यहां की बेटियां जब नेपाल जाती हैं, तो उन्हें वहां की परंपरा में ढलना होता है। वहीं, नेपाल की बेटियां जब भारतीय क्षेत्र में बहू बनकर आती हैं, तो उन्हें भारतीय संस्कृति में समाहित होना पड़ता है।

    तराई क्षेत्रों में कोई विशेष अंतर नहीं होता। पूजा-अर्चना और दान देने की प्रथा भारत में प्रचलित है। रक्सौल की नीलू देवी, अर्चना देवी, गोदावरी देवी और रम्भा देवी ने बताया कि पहले वर्ष थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया।

    नेपाल में तीज महोत्सव का पहला दिन दर खाने दिन कहलाता है। इस दिन महिलाएं मायके जाकर या करीबी रिश्तेदारों के घर गीत-संगीत और पारंपरिक भोज का आनंद लेती हैं। दूसरे दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती हैं।

    तीसरे दिन ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की आराधना होती है। नेपाल में पर्व की गणना नेपाली शक संवत कैलेंडर से होती है, जबकि भारत में यह हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। रक्सौल से सटा वीरगंज नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र है। यहां से प्रतिदिन हजारों नेपाली नागरिक खरीदारी के लिए रक्सौल आते हैं।

    आचार्य सत्यदेव मिश्रा ने बताया कि महिलाएं और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को करती हैं। नेपाल में तीज महोत्सव केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक एकता का उत्सव है।

    शिखरंजन ने बताया की उत्सवी पर्व है। तीज महोत्सव में वीरगंज नेपाल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। दोनों देशों में पूजा की विधि एक जैसी है।

    सोनू काबरा, मारवाड़ी महिला सम्मेलन संगठन के अध्यक्ष ने बताया कि तीज पर्व भगवान शंकर पूजा महिलाएं व कुंवारी लड़कियां करती हैं। भारत- नेपाल सीमा क्षेत्र में इस तीज पूजा को लेकरदो सप्ताह संस्कृति कार्यक्रम का आयोजन होता है।

    रेश्मा अग्रवाल ने बताया कि तीज पर्व को मारवाड़ी समाज भी अपना रहा है। संस्कृति का आदान प्रदान होता है। रक्सौल में ऐसा नहीं होता है। पड़ोस के नेपाल में हम सब भाग लेते हैं तो बहुत अच्छा लगता है।

    नेहा मरौदीय ने बताया की भारत-नेपाल की संस्कृति एक जैसी है। बेटी रोटी का सबंध है। हमारी बेटियां नेपाल की बहू हैं। भारत में नेपाल की बेटी बहू हैं। ऐसे में यह पर्व तीज महोत्सव प्रत्येक घरों में मनाया जाता है। हम रक्सौल में घरों में मनाते हैं। नेपाल में सामाजिक संगठन इसका बड़ा आयोजन करता है। यंहा भी ऐसा हो तो बहुत अच्छा रहेगा।

    प्रो. डॉ. किरण बाला ने कहा कि तीज भारत-नेपाल की साझी सांस्कृतिक धरोहर है। नेपाल में यह तीन दिन तक मनाया जाता है, जबकि भारत में एक दिन में ही पूरा विधान संपन्न होता है।