Bihar Election: जातीय गोलबंदी से हर दिन बदल रहा बाराचट्टी में समीकरण, प्रत्याशियों में ग्रामीण वोटरों को साधने की होड़
बतासी गांव में हुए राजनीतिक घटनाक्रम ने माहौल को और रोचक बना दिया है। यहां एक जातीय समूह की घर वापसी ने स्थानीय राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। इस बैठक में मोहनपुर, बाराचट्टी और बोधगया प्रखंड के जातीय नेताओं की उपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है।

बाराचट्टी में गोलबंदी से हर दिन बदल रहा समीकरण। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, बाराचट्टी। विधानसभा चुनाव के मतदान में अब मात्र 9 दिन शेष रह गए हैं। इस बीच, बाराचट्टी सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। एनडीए, महागठबंधन, जनसुराज, बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपने जनसंपर्क अभियानों को और अधिक सक्रिय कर दिया है। गांव-गांव और टोले-टोले में सभाएं, नुक्कड़ बैठके और संवाद कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है, जिससे चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है।
हाल ही में बतासी गांव में हुए राजनीतिक घटनाक्रम ने माहौल को और रोचक बना दिया है। यहां एक जातीय समूह की घर वापसी ने स्थानीय राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। इस बैठक में मोहनपुर, बाराचट्टी और बोधगया प्रखंड के जातीय नेताओं की उपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है।
इसके जवाब में गंगटी सामुदायिक भवन में एक राजनीतिक पार्टी के पंचायत अध्यक्ष के नेतृत्व में दूसरी बैठक हुई, जिसमें इस घटनाक्रम का राजनीतिक जवाब देने का प्रयास किया गया। इन घटनाओं से स्पष्ट हो गया है कि बाराचट्टी में जातीय गोलबंदी की राजनीति अब खुलकर सामने आ गई है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एक खास वर्ग के मतदाता इस बार भी निर्णायक भूमिका में रहने की संभावना है। एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ प्रतिनिधि द्वारा दिए गए बयान ने सियासी हलचल को और बढ़ा दिया है।
बताया जा रहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी इसी मुद्दे ने बड़ा असर डाला था। जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आ रही है, सभी दलों की रणनीति ग्रामीण मतदाताओं को साधने और नाराज वर्गों को मनाने पर केंद्रित हो गई है। प्रत्याशी लगातार जनसंपर्क बढ़ा रहे हैं, वहीं मतदाता विकास और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को लेकर अधिक सजग दिखाई दे रहे हैं।
यह भी पढ़ें- 43 मिनट के भाषण में PM मोदी: 15 बार जंगलराज और 4 बार बोला कट्टा, 2005 के पूर्व हुए जातीय हिंसा का जिक्र
यह भी पढ़ें- बिहार की इस सीट को अभी भी कद्दावर नेता का इंतजार, फीका है चुनाव प्रचार; मतदान के लिए बचे सिर्फ 4 दिन
यह भी पढ़ें- सरकार बनने पर 5000 रुपये की सहायता, राहुल गांधी का मछुआरा वोट साधने का प्रयास! सहनी संग तालाब में उतरे

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।