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    Pitru Paksha 2025: 14 साल के सुमित के कंधों पर नाना की मुक्ति का बोझ, गयाजी में निभा रहा पितृधर्म

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 04:27 PM (IST)

    गयाजी में पितृपक्ष के अवसर पर 14 वर्षीय सुमित कुमार वर्मा अपने नाना का कर्ज चुकाने पहुंचे। उत्तर प्रदेश से आए सुमित तीन दिनों तक पिंडदान और कर्मकांड करेंगे। उन्होंने फल्गु नदी विष्णुपद और सीताकुंड में पिंडदान किया। सुमित के पिता ने बताया कि उनके ससुर का कोई पुत्र नहीं था इसलिए सुमित यह जिम्मेदारी निभा रहा है।

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    नाना के मुक्ति की बोझ सुमित के कंधों पर, निभा रहा पितृधर्म

    संजय कुमार, गयाजी। गयाजी में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2025) के अवसर पर आस्था और संस्कार की मिसाल देखने को मिली रहा है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद के साई गांव के रहने वाले 14 वर्षीय सुमित कुमार वर्मा अपने नाना हवलदार वर्मा का कर्ज उतारने के लिए गयाजी पहुंचे हैं।

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    सुमित तीन दिनों का कर्मकांड कर नामा की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना कर रहे हैं। सुमित अपनी माता आरती वर्मा एवं पिता धर्मराज वर्मा के साथ कर्मकांड करने को लेकर गयाजी आए हैं। सोमवार को फल्गु, विष्णुपद और सीताकुंड में पिंडदान किया।

    वहीं मंगलवार को प्रेतशिला, रामशिला एवं कागवलि वेदी पर कर्मकांड करेंगे। तीसरे दिन अक्षयवट वेदी पर पिंडदान कर अपने घर लौट जाएंगे।

    सुमित के पिता ने कहा कि मेरे ससुर के कोई संतान नहीं थी। सिर्फ पांच बेटियों ही हैं। ऐसे में सुमित अपने नाना का पिंडदान कर रहा है। अयोध्या और वाराणसी में पिंडदान करने के बाद गयाजी आए हैं। गयाजी में पिंडदान से पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है और उनके समस्त ऋण उतर जाते हैं।

    सुमित के नाना हवलदार वर्मा का निधन चार वर्ष पूर्व बीमारी के कारण हो गया था। चूंकी उनका कोई पुत्र नहीं था। इसके नाती सुमित ने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई। महज 14 वर्ष की उम्र में सुमित का यह कदम समाज के लिए एक प्रेरणा है। जिसने रिश्तों की गहराई और परंपरा के महत्व को नए सिरे समझाया है।

    गयाजी पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी सुमित के इस कर्तव्य भव को देखकर भावभोर हो गए। लोगों का कहना था कि इतनी कम उम्र में पितृधर्म निभाने का उदाहरण बिरले ही देखने को मिलता है।

    पितृपक्ष में उमड़ी आस्था की लहर, तीन दिनों में 1.35 लाख तीर्थयात्री पहुंचे गयाजी

    पितृपक्ष के अवसर पर गयाजी श्रद्धा और आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। देश के कोने-कोने से पहुंचे पिंडदानी अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान और तर्पण कर रहे हैं। गयाजी में इन दिनों ऐसा दृश्य है मानो पूरा देश यहां एक साथ इकट्ठा हो गया हो।

    पिंडदानियों को कहना है कि गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार पर पितृ कृपा बनी रहती है। यही कारण है कि तीन दिनों के भीतर 1.35 लाख से तीर्थयात्री यहां पहुंचे हैं। सबसे अधिक भीड़ फल्गु नदी तट पर देखी जा रही है। घुघरीटांड बाइपास से लेकर गायत्री घाट तक दिनभर तीर्थयात्रियों की लंबी कतारें लगी रहती हैं।

    सुबह से ही लोग फल्गु स्नान कर पंडितों के साथ वैदिक रीति से पिंडदान और तर्पण में जुट जाते हैं। शंखध्वनि और मंत्रोच्चारण से पूरा क्षेत्र गूंजायमान है। पिंडदानियों की बड़ी संख्या प्रेतशिला, रामशिला, विष्णुपद मंदिर और देवघाट जैसे प्रमुख वेदी स्थलों पर भी उमड़ रही है। यहां परंपरागत कर्मकांड पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न हो रहे हैं।

    तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। नगर निगम द्वारा सफाई, पेयजल और शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर लगाए हैं। यातायात नियंत्रण के लिए पुलिसकर्मी लगातार मुस्तैद हैं ताकि तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। आने वाले दिनों में तीर्थयात्रियों की संख्या और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

    श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल बिठ्ठल का कहना है कि तीन में एक लाख से अधिक तीर्थयात्री गयाजी पहुंच गए है। रविवार की रात तक एक लाख दस हजार तीर्थयात्री आ एक थे। सोमवार को 25 हजार तीर्थयात्री पहुचे है। ऐसे में तीन दिनों में 1.35 लाख तीर्थयात्री गयाजी पहुंच गए है।

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