गया में वंदे भारत का 160 किमी/घंटा ट्रायल सफल, जल्द मिलेगा सुरक्षित सफर
गया और सरमाटांड़ स्टेशन के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस का 160 किमी/घंटा की रफ्तार से सफल ट्रायल किया गया। इस ट्रायल से दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की गति बढ़ाने की योजना को बल मिला है। इटली की तकनीकी टीम ने भी इस परीक्षण में भाग लिया और संतुष्टि जताई। अधिकारियों के सहयोग से यह परीक्षण सफल रहा, जिससे यात्रियों को जल्द ही तेज और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा। भविष्य में गति 200 किमी/घंटा तक पहुंचने की संभावना है।

गया-सरमाटांड स्टेशन के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस का ट्रायल सफल। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, गयाजी। भारतीय रेल ने तकनीक और सुरक्षा के नए युग में कदम रखा है। शुक्रवार को गया-सरमाटांड़ स्टेशन के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस (कवच प्रणाली युक्त) का सफल ट्रायल 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से किया गया।
इस ट्रायल ने पूर्व मध्य रेल के विकास की गति को तेज किया है और राजधानी, दुरंतो तथा अन्य सुपरफास्ट ट्रेनों के संचालन की नई संभावनाएं खोली हैं।
यह ट्रायल लगभग 88 किमी लंबे ट्रैक पर पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक, प्रधान मुख्य संकेत एवं दूरसंचार अभियंता हाजीपुर और डीडीयू-धनबाद मंडल के सहयोग से संपन्न हुआ।
वर्तमान में दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 130 किमी/घंटा है, लेकिन इसे 160 किमी तक बढ़ाने की योजना पर तेजी से कार्य चल रहा है। गया जंक्शन से प्रधानखंटा तक 160 की रफ्तार में ट्रेन संचालन की तैयारी भी की जा रही है।
इस ट्रायल की विशेषता यह रही कि इसमें इटली की तकनीकी टीम ने भी भाग लिया और परीक्षण प्रक्रिया से संतुष्ट नजर आई। इससे भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली को वैश्विक मान्यता मिली है। यह ट्रायल 5 से 10 अक्टूबर के बीच विभिन्न चरणों में किया गया।
प्रारंभ में दो दिन एकल इंजन से परीक्षण किया गया, फिर 10 एचएलबी कोच की एमटी रेक और अंत में वंदे भारत के एमटी रेक से स्पीड ट्रायल हुआ।
इस हाई स्पीड प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी चीफ कम्युनिकेशन इंजीनियर अजीत कुमार और उपमुख्य अभियंता (संकेत एवं दूरसंचार) राजेश कुमार कुशवाहा ने संभाली। इन अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री द्वारा इस महत्वपूर्ण कवच योजना की विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
ट्रायल की सफलता में डीडीयू मंडल के सीनियर डीओएम केशव आनंद, धनबाद मंडल के अंजय तिवारी और दानापुर मंडल के सुधांशु रंजन का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इनके सहयोग से ट्रायल के लिए आवश्यक रेक और संसाधन उपलब्ध कराए गए। अब इस सफलता के बाद रेलवे यात्रियों को जल्द ही तेज, सुरक्षित और अत्याधुनिक सफर का अनुभव मिलेगा।
160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार केवल एक ट्रायल नहीं, बल्कि भारतीय रेलवे की नई उड़ान का आरंभ है। भविष्य में यह रफ्तार 200 किमी/घंटा तक भी पहुंच सकती है, जिससे ट्रेन यात्रा सचमुच विमान जैसी अनुभव होगी।
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