बैकुंठपुर में क्षत्रिय वोटरों का नया मूड, अब ठेका नहीं, सम्मान और सोच से तय होगी जीत
गोपालगंज के बैकुंठपुर में क्षत्रिय मतदाताओं का रुख बदला हुआ है। समाज अब ठेकेदारी के खिलाफ है और सम्मान व सोच के आधार पर वोट करने की बात कर रहा है। इंटरनेट पर वायरल हो रहे पोस्ट्स में लोग ठेकेदारी का विरोध कर रहे हैं। क्षत्रिय समाज की बैठकों में समाज के मुद्दों, सम्मान और विकास पर ध्यान देने का निर्णय लिया जा रहा है। उनका कहना है कि अब वोट न बिकेगा, न बंटेगा।

बैकुंठपुर में क्षत्रिय वोटरों का नया मूड
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच बैकुंठपुर की सियासत में इस बार नया मोड़ देखने को मिल रहा है। गांवों की चौपाल से लेकर इंटरनेट मीडिया तक, एक ही चर्चा है कि “क्षत्रिय वोट किस ओर जाएगा?” महागठबंधन और एनडीए दोनों गठबंधन इस वर्ग को अपने पक्ष में करने के लिए पूरा दम लगा रहे हैं। मगर जनता का मूड अब बदला हुआ दिख रहा है।
समाज का बड़ा तबका अब खुलकर कह रहा है कि न कोई नेता ठेका लेगा और न कोई ठेकेदार हुकूमत चलाएगा। बीते कुछ दिनों से इंटरनेट मीडिया पर कई बयान, पोस्ट और वीडियो वायरल हो रहे हैं।
कोई खुद को समाज का ठेकेदार बता रहा है, तो कोई किसी पार्टी का प्रतिनिधि बनकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब आम मतदाता इन सब से नाराज हैं। लोगों का कहना है कि अब वोट ठेकेदारी से नहीं, सोच और सम्मान के आधार पर पड़ेगा।
वोट न बिकेगा, न बंटेगा
एक स्थानीय युवक ने कहा, “अब हमारा वोट न बिकेगा, न बंटेगा। अब फैसला हमारी सोच से होगा, ठेके से नहीं।” गांव-गांव में अब जनजागरण की लहर दिखाई दे रही है। क्षत्रिय समाज की बैठकों में यह तय किया जा रहा है कि इस बार वोट समाज के असली मुद्दों, सम्मान, विकास और भागीदारी के आधार पर ही डाला जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बैकुंठपुर विधानसभा में क्षत्रिय मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस वर्ग का झुकाव जिस ओर होगा, जीत का समीकरण भी उसी दिशा में तय होगा। दोनों प्रमुख गठबंधन इस समुदाय की ओर नजरें टिकाए हुए हैं, लेकिन जनता अब सोच-समझकर फैसला लेने के मूड में है।
चुनाव के बाद समाज की आवाज दबा दी गई
समाजसेवी सुनील सिंह ने कहा कि हर बार समाज ने वोट देकर नेताओं को जीत दिलाई, लेकिन चुनाव के बाद समाज की आवाज दबा दी गई। अब चुप्पी टूट चुकी है। वहीं युवा नेता पंकज सिंह बोले, अब हमें ठेका नहीं, सम्मान चाहिए। अगर सम्मान नहीं मिला तो वोट भी नहीं होगा।
शिक्षक प्रमोद सिंह ने कहा कि नेता लोग सिर्फ चुनाव के समय याद करते हैं, पर इस बार जनता जवाब देने के लिए तैयार है। स्थानीय विश्लेषकों के अनुसार, क्षत्रिय समाज का यह गुस्सा वर्षों से उपेक्षा और राजनीतिक अनदेखी का परिणाम है।
योग्य चेहरों की अनदेखी, विकास कार्यों में भेदभाव और समाज को ठेकेदारी रूप में पेश करने की प्रवृत्ति ने लोगों में असंतोष बढ़ा दिया है। स्पष्ट है कि बैकुंठपुर की हवा अब बदल चुकी है। जनता ने ठान लिया है, कि अब ठेका नहीं, लोकतंत्र की ताकत से जवाब मिलेगा।

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