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    दो दशक पुरानी सरकारी शेड पर अवैध कब्जा, ग्रामीणों की मांग- प्रशासन बहाल करे व्यवस्थित बाजार

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 02:42 PM (IST)

    कुचायकोट के डेरवा बाजार में सरकारी शेडों पर अवैध कब्जा होने से दुकानें सड़क किनारे लग रही हैं, जिससे यातायात जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। दो दशक पहले यहाँ बाजार समिति ने मंडियां बनाई थीं, जो अब अवैध कब्जे के कारण बंद हो गई हैं। स्थानीय लोगों और व्यवसायियों ने प्रशासन से इन मंडियों को फिर से शुरू करने की मांग की है, ताकि बाजार की पुरानी रौनक लौट सके।

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    दो दशक पुरानी सरकारी शेड पर अवैध कब्जा

    मनोज कुमार राय, कुचायकोट (गोपालगंज)। सरकारी स्तर पर रोजगार, व्यवसाय और जनसुविधा बढ़ाने के लिए बनाई गई योजनाएं स्थानीय स्तर की उदासीनता और निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ती जा रही हैं। इसका ताजा उदाहरण कुचायकोट प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर पश्चिम स्थित डेरवा बाजार है, जहां सरकारी शेड अब अवैध कब्जे में हैं और सड़क किनारे दुकानें सज रही हैं। 

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    विभागीय राजस्व भी नियमित रूप से जमा 

    दो दशक पहले बाजार समिति द्वारा यहां तीन बड़े पक्के टिन शेड बनाकर मंडी स्थापित की गई थी। इन मंडियों में व्यवस्थित तरीके से सब्जी और अन्य दुकानों का संचालन होता था। खरीदारों को छाया और बारिश से सुरक्षा मिलती थी, जबकि विभागीय राजस्व भी नियमित रूप से जमा होता था। 

    करीब एक दशक तक यह व्यवस्था सुचारू रूप से चली, लेकिन धीरे-धीरे इन शेडों पर अवैध कब्जा शुरू हो गया। स्थानीय लोगों ने शेड के नीचे दीवार खड़ी कर इन्हें निजी उपयोग में लेना शुरू कर दिया। 

    दुर्घटनाएं होती रहती है

    परिणामस्वरूप बाजार की दुकानें अब मुख्य सड़क पर लगने लगी हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की समस्या आम हो गई है। वर्षा के दिनों में तो हालात और बदतर हो जाते हैं। सेमरा से श्रीपुर जाने वाली सड़क इस बाजार से होकर गुजरती है, जहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। 

    डेरवा, तुलाछापर, गिरधर पोईया, अकलवा, भंगही, सुहागपुर और श्रीपुर कालोनी समेत दो दर्जन गांवों के लोग इसी बाजार पर निर्भर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन अवैध कब्जा हटाकर शेड को पुनः चालू कर दे, तो न केवल व्यवस्थित व्यापार संभव होगा, बल्कि खरीदारों को भी भारी राहत मिलेगी। 

    अक्षय लाल साह, रमाकांत सिंह, सुरेश यादव और गोलू यादव जैसे स्थानीय व्यवसायियों का कहना है कि सरकारी जमीन पर बनी मंडियों को फिर से शुरू कर दिया जाए, तो बाजार की पुरानी रौनक लौट आएगी और सड़क पर दुकान लगाने की मजबूरी खत्म होगी।