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    Bihar Election: चकाई विधानसभा में साइलेंट वोटर बनेंगे गेम चेंजर, किस ओर झुकेगा जनादेश?

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 03:15 PM (IST)

    बिहार के चकाई विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी तेज है। यहां साइलेंट वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, जिससे राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ गई है। सभी पार्टियां अपनी जीत का दावा कर रही हैं, लेकिन असली फैसला साइलेंट वोटरों के हाथ में है। देखना यह है कि चकाई की जनता का जनादेश किसके पक्ष में जाता है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    संवाद सूत्र, सोनो (जमुई)। चकाई विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी मुकाबला हर दिन नया रंग ले रहा है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होते ही प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभियान को तेज कर दिया है।

    सड़कों पर रैलियों का शोर, चौपालों में चर्चाओं की गरमी और सोशल मीडिया पर प्रचार की बाढ़ ने माहौल पूरी तरह राजनीतिक बना दिया है।

    हर दल और प्रत्याशी मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। लेकिन इस चकाचौंध और हल्ले के बीच ‘साइलेंट वोटर’ यानी मूक मतदाता अब भी सबकी नब्ज टटोल रहे हैं और वही इस बार असली गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।

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    यही साइलेंट वोटर तय करेंगे कि चकाई का सिंहासन किसे मिलेगा? जदयू प्रत्याशी एवं मंत्री सुमित कुमार सिंह की नामांकन रैली में भीड़ और उनके समर्थन में हुए स्वागत जुलूसों ने निश्चित ही उनका मनोबल बढ़ाया है। उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों और विकास कार्यों को केंद्र में रखकर जनसंपर्क अभियान तेज किया है।

    वहीं, पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद बतौर निर्दलीय प्रत्याशी गांव-गांव डेरा डाले हुए हैं। समर्थकों की बढ़ती भीड़ और जनता से सीधा संवाद उनकी पकड़ को मजबूत बना रहा है। उनके घर-घर जनसंपर्क से मुकाबले में दिलचस्पी और बढ़ गई है।

    दूसरी ओर, राजद प्रत्याशी सावित्री देवी महिला मतदाताओं को साधने की रणनीति पर जोर दे रही हैं। पार्टी संगठन, कार्यकर्ता और युवा इकाई उनके प्रचार में पूरी तरह सक्रिय हैं। उनकी सभाओं में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी इस बात का संकेत दे रही है कि आधी आबादी इस बार निर्णायक भूमिका में होगी।

    इधर, निर्दलीय चंदन सिंह, जनसुराज के राहुल कुमार और अन्य प्रत्याशी भी अपनी-अपनी शैली में मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं। कुछ विकास के मुद्दों पर तो कुछ स्थानीय असंतोष को भुनाने की कोशिश में हैं।मगर दिलचस्प यह है कि मतदाता अब भी खामोश हैं।

    गांव की गलियों, हाट-बाजारों और चाय दुकानों में राजनीतिक चर्चाएं जरूर गर्म हैं, लेकिन जब बात वोट की पसंद पर आती है तो लोग मुस्कुरा कर चुप हो जाते हैं। सबके पास अपनी राय है, लेकिन कोई बताता नहीं,यही चकाई का मौजूदा मूड है।

    राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार का चुनाव पूरी तरह साइलेंट वोटर के इर्द-गिर्द घूमेगा। किसान, युवा, महिलाएं और पहली बार वोट देने वाले मतदाता सभी अपने फैसले को मतदान तक सुरक्षित रखे हुए हैं। कहा जा रहा है कि मतदान के दिन ही यह साइलेंट वोटर बहुमत तय करेगा कि विधानसभा की कुर्सी किसके हिस्से में जाएगी।

    फिलहाल, चकाई की फिजा में राजनीति की गर्माहट और प्रत्याशियों की धड़कनें दोनों बढ़ी हुई हैं। हर उम्मीदवार को एहसास है कि नारे और रैलियां भले भीड़ जुटा लें, लेकिन जीत उसी की होगी जो साइलेंट वोटर के दिल में जगह बना लेगा।