Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जमुई के नागी-नकटी में विदेशी परिंदों का जमावड़ा, पर्यटकों की बढ़ी आवाजाही

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 03:55 AM (IST)

    जमुई के नागी-नकटी अभयारण्य में विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा है, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। साइबेरिया और यूरोप से विभिन्न प्रजातियों के पक्षी यहां आते हैं, जिससे क्षेत्र की सुंदरता बढ़ जाती है। पर्यटन बढ़ने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है।

    Hero Image

    नागी-नकटी में विदेशी परिंदों का जमावड़ा

    संवाद सूत्र, झाझा (जमुई): नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी में विदेशी पक्षियों के पहुंचने के साथ ही नागी में पर्यटकों का आना शुरू हो गया है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने तैयारी तेज कर दी है।

    वहीं सुबह-सुबह पक्षियों के कलरव की गूंज सुन आसपास के गांवों के लोग भी नागी और नकटी घूमने पहुंच रहे हैं। इन प्रवासी मेहमानों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने पुख्ता व्यवस्था कर रखी है। अब तक दो दर्जन से अधिक पक्षियों की प्रजातियों की पहचान की गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इनमें कई प्रजातियां वे भी हैं जो पिछले वर्ष भी पहुंची थीं, जो नागी-नकटी के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। अब तक नागी और नकटी पक्षी आश्रणीय में यूरेशियन कूट (जलमुर्गी), गडवाल बत्तख, यूरेशियन विजन (लाल चोंच बतख), सफेद-आंख पोचार्ड, गूंथी चोटी वाली बतख, काला-सिर आइबिस, लाल-कलंगी पोचार्ड, सामान्य पोचार्ड, बड़ी कलंगी वाली ग्रीब, बड़ा पनकौवा, नदी टर्न (सीगल), सीटी बजाने वाली बतख (चना बत्तख), एशियाई ओपनबिल सारस, कपासी पिग्मी गूज (राजहंस की छोटी प्रजाति), छोटा पनकौवा, लाल-गर्दन आइबिस, लाल और पीली-लटकन तीतहरी, सफेद-गला किंगफिशर (राम चिरैया), काला-सफेद किंगफिशर और छोटी रिंग वाली प्लोवर जैसी प्रजातियां देखी गई हैं।

    पिछले वर्ष शुरुआती ठंड में नागी में मेलार्ड, रोजी, स्टार्लिंग, इंडियन कर्सर जैसे विदेशी पक्षियों का दल पहुंचा था। बताया जाता है कि इस वर्ष नागी में लगभग पांच हजार और नकटी में चार हजार से अधिक पक्षियों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है। पक्षियों की आधिकारिक गणना जनवरी या फरवरी में कराई जाएगी।

    पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नागी के मुख्य द्वार को भव्य रूप दिया गया है। सेल्फी पॉइंट बनाया गया है। झील के चारों ओर आठ फीट ऊंची बाउंड्री बनाई गई है। विभिन्न फलदार और छायादार पौधे लगाए गए हैं।

    नौका विहार के लिए नावों की व्यवस्था की गई है, जिसका शुल्क निर्धारित है। पर्यटकों को जानकारी देने के लिए बर्ड गाइड संदीप कुमार की तैनाती की गई है। इसके अलावा एक रेस्ट हाउस जैसी इमारत में पक्षियों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

    नागी-नकटी में मिलती हैं दुर्लभ प्रजातियां

    राष्ट्रीय स्तर के पक्षी विशेषज्ञ अरविंद कुमार मिश्रा ने बताया कि बिहार में कई बड़ी झीलें हैं, लेकिन कम क्षेत्रफल में स्थित नागी-नकटी झील में सबसे अधिक विदेशी एवं देशी दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। नवंबर से ही प्रवासी पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो जाता है।

    नागी में आठ से नौ हजार एवं नकटी में चार से पांच हजार पक्षियों की मौजूदगी रहती है। कई वर्षों बाद दुर्लभ प्रजाति के फाल्केटेड डक को भी देखा गया है। विदेशी पक्षियों में वारहेडेड गूज, ग्रेलैग गूज, लालसर, सरार, कॉमन पोचार्ड, सुरखाब, गेल, गडवाल सहित कई प्रजातियों के झुंड देखे गए हैं।

    कई प्रजातियों के पक्षी अभी मौजूद

    डीएफओ तेजस जसवाल ने बताया कि नागी-नकटी झील में सात समंदर पार कर कई विदेशी और देशी पक्षी हर साल पहुंचते हैं। फिलहाल झील में चार हजार से अधिक पक्षी मौजूद हैं। इनके भोजन, घोंसला बनाने और सुरक्षित प्रवास के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। साइबेरियन पक्षियों के लिए भी अलग प्रबंधन किया गया है।

    प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय

    नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी की प्राकृतिक सुंदरता बिहार के किसी भी अन्य जलाशय से अलग है। चाहे वो बेगूसराय का काबर झील हो, वैशाली का वरेला झील या मधेपुरा का कुसेश्वर झील—इन सभी का क्षेत्रफल भले बड़ा हो, लेकिन वहां का वातावरण सुरक्षित नहीं होने के कारण पक्षियों का आना कम हो गया है। कई जगहों पर जाल लगाकर पक्षियों का शिकार किया जाता है।

    लेकिन नागी-नकटी में शांत वातावरण, आबादी से दूरी, झीलों की प्राकृतिक संरचना और पर्याप्त भोजन की उपलब्धता के कारण प्रवासी पक्षी दिसंबर से फरवरी तक यहां आराम से रहते हैं। हर वर्ष इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।