IPS OP Singh: जमुई के लाल ओपी सिंह को मिला हरियाणा के DGP का अतिरिक्त प्रभार, जानिए उनके बारे में
जमुई के लाल, आईपीएस ओपी सिंह को हरियाणा के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार मिला है। 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी सिंह वर्तमान में हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने पहले आईजी और एडीजीपी के रूप में भी सेवाएं दी हैं। उनकी इस उपलब्धि से जमुई में खुशी का माहौल है।

हरियाणा में डीजीपी का कार्यभार संभालते आईपीएस ओमप्रकाश सिंह। जागरण
संवाद सूत्र, बरहट (जमुई)। बरहट प्रखंड के नूमर गांव निवासी ओम प्रकाश सिंह हरियाणा के कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने से उनके पैतृक गांव में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। मंगलवार को उनके कार्यभार संभालते ही दीपावली से पूर्व ही गांव के लोगों ने पटाखे फोड़ कर जश्न मनाया। एक साधारण घर में जन्मे ओम प्रकाश सिंह के पिता सत्यनारायण सिंह उच्च विद्यालय मलयपुर में चतुर्वगीय कर्मी थे।
उनकी पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा एक दिन हमें लाल बत्ती लगी गाड़ी में बिठाकर घुमा देना, जिसके बाद उनके बड़े पुत्र ने अपने पिता की इच्छा को पूरी करने की प्रेरणा ली और विषम परिस्थितियों को झेलते हुए 1992 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस बने। इसके पूर्व वे कस्टम विभाग में भी नौकरी की थी।
डीजीपी रैंक के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह वर्तमान में हरियाणा राज्य नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो के महानिदेशक, हरियाणा पुलिस आवास निगम, पंचकूला के प्रबंध निदेशक तथा फारेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला मधुबन के निदेशक के पद पर तैनात हैं। उन्होंने हरियाणा के कई जिलों में पुलिस अधीक्षक के रूप में भी काम किया।
इसके अलावा वे अंबाला, पंचकूला और फरीदाबाद में पुलिस आयुक्त भी रहे। इससे पहले उन्होंने रेवाड़ी और हिसार रेंज में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर रहे हैं। ओपी सिंह का परिवार दिवंगत बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जीजा हैं।
सुशांत सिंह राजपूत अपनी मां की मौत के बाद ओपी सिंह के साथ ही रहते थे। सुशांत की मौत के बाद आईपीएस ओपी सिंह ने उनके लिए न्याय की मांग की, तब वह नेशनल न्यूज भी बने। नूमर गांव के रहने वाले ओपी सिंह ने हरियाणा में राहगीरी की शुरुआत कर सुर्खियां बटोरी थी। यह पहल उन्होंने नशा विरोधी अभियान के तहत शुरू की थी। बाद में सरकार ने इस लोकप्रिय राहगीरी कॉन्सेप्ट को अपनाया।
ओपी सिंह मुख्यमंत्री खट्टर के विशेष सलाहकार के रूप में भी काम कर चुके हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2004 से 2007 तक ओपी सिंह वित्त मंत्रालय में तैनात रहे। यहां उन्होंने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत नियम बनाने में सरकार की मदद की। इसी दौरान
उन्होंने भारत के पहले मनी लांड्रिंग केस की जांच भी की। 2008 से 2012 के बीच उन्होंने पीआइई मॉडल तैयार किया और प्ले फोर इंडिया अभियान के तहत एसपीएटी खेल छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू की। इसमें पूरे राज्य से बड़ी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिया। बाद में साल 2020 में वे खेल विभाग में प्रमुख सचिव के रूप में भी कार्यरत रहे। 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह इसी साल 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं।
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