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    Jhajha Seat Election 2025: एक अनार, सौ बीमार की तरह कई दावेदार; महागठबंधन में पेच फंसने की संभावना

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 03:37 PM (IST)

    जमुई के झाझा विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के भीतर टिकट के लिए कई दावेदार हैं जिससे स्थिति जटिल हो गई है। राजद के लिए यह सीट महत्वपूर्ण है जहां पूर्व मंत्री दामोदर रावत पांच बार विधायक रह चुके हैं। राजेंद्र यादव जो पिछले चुनाव में कम अंतर से हारे थे इस बार भी मजबूत दावेदार हैं। पिछले 25 वर्षों से यह क्षेत्र महागठबंधन का गढ़ रहा है।

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    एक अनार, सौ बीमार की तरह कई दावेदार, पेच फंसने की संभावना

    संवाद सहयोगी, जमुई। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चंद्रशेखर सिंह जैसे मजबूत राजनीतिक शख्सियत का प्रतिनिधित्व करने वाली झाझा विधानसभा क्षेत्र वर्तमान समय में महागठबंधन के लिए एक अनार सौ बीमार की तरह बन गई है। यहां टिकट के लिए कई दावेदार हैं, जिसके कारण पेच फंसने की संभावना है।

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    हालांकि, इस बार भी यह सीट महागठबंधन से राजद के हिस्से में ही रहना तय माना जा रहा है। पार्टी को लगातार मिल रही हार से दावेदारों की फेहरिस्त लंबी हो गई है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री दामोदर रावत यहां से पांच बार जीत दर्ज कर चुके हैं।

    राजद की ओर से हर बार उन्हें टक्कर देने के लिए प्रत्याशी बदल-बदल कर चुनावी मैदान में ताल ठोकने के लिए उतारा जाता है। फिलहाल, इस दौड़ में पिछले चुनाव में भाग्य आजमा चुके राजेंद्र यादव का नाम सबसे अगली पंक्ति में है।

    पिछले विधानसभा चुनाव में मामूली वोटों के अंतर से हार का सामना करने के बाद भी वे लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव और गुड्डू यादव भी लगातार सक्रिय हैं।

    दामोदर रावत ने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में पहली बार समता पार्टी की टिकट से जीत दर्ज की थी। उन्होंने राजद नेता डॉ. रविंद्र यादव को हराया था। इसके बाद 2005 के फरवरी और अक्टूबर के चुनाव में उन्होंने जदयू प्रत्याशी के तौर पर राजद नेता राशिद अहमद को पटकनी दी थी।

    इसके बाद दामोदर रावत बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री बने। 2010 के चुनाव में उन्होंने राजद नेता विनोद यादव को शिकस्त दी और भवन निर्माण सह पीएचईडी मंत्री बने।

    हालांकि, वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू-राजद गठबंधन होने पर उन्हें भाजपा प्रत्याशी डॉ. रविंद्र यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2020 के चुनाव में उन्होंने बाजी को पलटते हुए राजेंद्र यादव को शिकस्त देकर जीत अपने नाम कर लिया। यह क्षेत्र पिछले 25 वर्षों से महागठबंधन के लिए अभेद किला बना हुआ है।

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