बनारस-रांची-कोलकाता Expressway के लिए अधिग्रहित भूमि पर कब्जे की प्रक्रिया हुई तेज, 60 एकड़ फसल रौंदी
कैमूर में भारत माला परियोजना के लिए 60 एकड़ से अधिक धान की फसल रौंद दी गई। किसानों ने मुआवजा न मिलने पर विरोध जताया। पीएनसी कंपनी पर जबरन कब्जा करने का आरोप है। किसान रविशंकर सिंह ने कहा कि बिना मुआवजा दिए जमीन का अधिग्रहण असंवैधानिक है। किसान संघर्ष मोर्चा ने हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया और मुआवजे की मांग की।

संवाद सूत्र, चांद (कैमूर)। भारत माला परियोजना बनारस रांची टू कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए भारी पुलिस बल के साथ 60 एकड़ से अधिक धान की फसल रौंदी गई, लेकिन किसानों ने फसल बचाने का प्रयास नहीं किया। बुधवार की सुबह छह बजे पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी के लोगों ने पोकलेन जेसीबी एवं ट्रैक्टर को लेकर भारी पुलिस बल के साथ किसानों के धान की फसल को रौंदना शुरू किया।
चैनपुर प्रखंड के कुरईं गांव खखड़ा मौजा कुतवनपुर मौजा सिरबिट मौजा की 75 एकड़ से अधिक धान की फसल रौंदी गई। चार किमी लंबी दूरी तय करने के बाद गेहूंअनवा नदी के पास जाकर काम को रोक दिया गया। पीएनसी कंपनी के द्वारा फसल रौंद कर भूमि पर कब्जा किया गया है।
किसान रविशंकर सिंह, राकेश उपाध्याय, दीपांकर शुक्ला ने कहा कि भारत माला परियोजना में अधिग्रहित भूमि का मुआवजा नहीं मिला है। बिना मुआवजा दिए जमीन पर एनएचएआई के द्वारा कब्जा किया जाना असंवैधानिक है।
किसानों ने कहा कि बिना मुआवजा दिए जबरन जमीन कब्जा करने का मामला है। किसान हाईकोर्ट में अपील कर अधिकारियों पर कार्रवाई करने एवं धान की नुकसान फसल की क्षतिपूर्ति की मांग करेंगे।
किसानों ने अध्यक्ष किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर विमलेश पांडेय की अध्यक्षता में बैठक कर फसल रौंदने एवं मोहनियां एसडीएम के द्वारा किसानों को गाली देने लाठी चलाने को लेकर हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया।
बैठक की जानकारी देते हुए सचिव अनिल सिंह ने कहा कि पीएनसी कंपनी को काम करने नहीं दिया जाएगा। आगे काम लगाया गया तो किसान जबरदस्त विरोध करेंगे।
बता दें कि भारत माला परियोजना बनारस रांची टू कोलकाता एक्सप्रेस-वे के लिए कैमूर जिले में कुल 93 मौजा की 17 सौ एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई है। किसानों को बाजार मूल्य से बहुत कम मुआवजा मिल रहा है।
52 किमी लंबी एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा बाजार मूल्य से बहुत कम मिल रहा है। किसानों के द्वारा एक जिला एक परियोजना एक भूमि प्रकृति एक मुआवजा की मांग को लेकर परियोजना का विरोध कर रहे थे।
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