किशनगंज में सीमा पार से बांग्लादेशी हिंदू कर रहे घुसपैठ, धार्मिक उत्पीड़न बना कारण
किशनगंज में सीमा क्षेत्र से बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ एक गंभीर मुद्दा है। इनमें से कई धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हैं और भारत में शरण ले रहे हैं। पिछले छह महीनों में लगभग 30 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए हैं जिन्होंने उत्पीड़न से बचने के लिए भारत में प्रवेश करने की बात स्वीकार की है। किशनगंज के कई गांवों में जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है।

अमरेंद्र कांत, किशनगंज। सीमा क्षेत्र से बांग्लादेशी नागरिकों के घुसपैठ देश के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इन घुसपैठिए में कई ऐसे भी हैं जो बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं। उत्पीड़न से बचने के लिए वे लोग चोरी-छिपे भारत आ रहे हैं।
पिछले छह माह में इलाके के सीमा क्षेत्रों से करीब 30 बांग्लादेशी नागरिक को पकड़े गये। जिनमें से कई लोगों ने बताया कि वो लोग चोरी छिपे धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत पहुंचे हैं और यहां नाम बदलकर अपनी जिंदगी काट रहे थे। हालांकि इनमें कई ऐसे थे जो भारत में बसेरा बनाने के लिए भारत आए थे।
चार दिन पहले बांग्लादेश के नीलफामारी जिला के उत्तर बेरूबोंद जलढ़ाका निवासी अमल बर्मन व और उनके पुत्र गौतम बर्मन के अलावा प्रीतम बर्मन को पकड़ा गया। तीनों आपस में रिश्तेदार थे। तीनों ने एसएसबी को बताया कि बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के चलते हमलोग परेशान हो गये थे।
सबसे पहले एक अप्रैल 2024 को पासपोर्ट के जरिये आईपीसी चंगरबांधा से भारत में प्रवेश करने वाले प्रीतम बर्मन ने बताया कि वर्ष 2024 में हिंसा का सामना करने के बाद यहां आ गये थे। यहां पंकोज राय बनकर टाइल मिस्त्री का काम करने लगे। वहां की हालत खराब रहने पर अपने रिश्तेदार आने के लिए कहे।
जिसके बाद पांच दिसंबर 2024 को एजेंट की मदद से मानिकगंज-हल्दीबाड़ी सीमा से अवैध रूप में गौतम बर्मन भारत में प्रवेश किया। यहां नाम बदलकर गौतम चंद्र राय बन गये और इलेक्ट्रिशियन का काम करने लगे। इसी बीच गौतम ने अपने पिता अमल बर्मन को भी यहां बुला लिया। उसके पिता फरवरी 2025 में आईसीपी चांगरबांधा से पासपोर्ट के जरिये भारत में प्रवेश किये थे। वो भी यहां दर्जी का काम करने लगे। लेकिन एसएसबी ने गिरफ्तार कर भारतीय पुलिस को सौंप दिया।
इससे पहले भी बांग्लादेश के ठाकुरगांव के अतेत राय, तेतुलिया पंचगढ़ के सुकार चंद्र सील को पकड़ा गया था। सुकुमार सील बंगाल में सुकुमार शर्मा के नाम से रहकर मजदूरी कर रहे थे। पकड़ाने के बाद बताया कि चोरी-छिपे भारत आए हैं। वहां धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर किसी तरह भारत पहुंचकर अपनी जान बचाई।
मामले में किशनगंज भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सह 20 सूत्री उपाध्यक्ष सुशांत गोप कहते हैं कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और वर्ष 2024 में हुई हिंसा के बाद उनकी धार्मिक प्रताड़ना बढ़ गई है। जिस कारण ऐसे कुछ लोग चोरी-छिपे आ रहे हैं।
लेकिन घुसपैठ की बात करें तो इस इलाके में काफी संख्या में दूसरे समुदाय के लोग भी घुसपैठ कर रहे हैं। जिले के दिधलबैंक, सिंधिमारी, लोहागाड़ा, धनतौला, बैरबन्ना समेत कई ऐसे गांव हैं जहां 20 साल में आबादी करीब डेढ़ सौ प्रतिशत बढ़ी है। अवैध तरीके से लोग जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। जांच में बंगलादेशी घुसपैठिए का खुलासा हो सकता है।
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