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    ये लाटरी रोक के बाद भी बिक रही, क्या है इसके पीछे का सच? किशनगंज में कौन खुलेआम बेच रहा 'सुपर एवन' लाटरी...

    By Amrendra Kant Edited By: Alok Shahi
    Updated: Thu, 23 Oct 2025 01:09 PM (IST)

    Kerala StateLottery Results: बिहार के किशनगंज में लाटरी पर प्रतिबंध के बावजूद 'सुपर ए वन' नाम से अवैध कारोबार चल रहा है। असली की आड़ में नकली लॉटरी बेची जा रही है, जिससे सिंडिकेट मालामाल हो रहे हैं और गरीब कंगाल। वजीर-विशाल सिंडिकेट इस धंधे को चला रहा है, पर पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई सुस्त है।

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    Kerala StateLottery Results: बिहार में लाटरी पर पूरी तरह प्रतिबंध है। लेकिन किशनगंज में सुपर एवन लाटरी बिक रही है।

    जागरण संवाददाता, किशनगंज।  बिहार में लाटरी पर बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। लेकिन जिले में असली की आड़ में नकली के साथ ही सुपर एव न नाम से लाटरी बिक रही है। लाटरी के धंधे को चलाने वाले सिडिंकेट तो मालामाल हो रहे हैं। जबकि लाटरी खरीदने वाले कंगाल हो रहे हैं। शहर के हर चौक-चौराहों पर लाटरी बिकने के बाद भी प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।
    जानकारी के अनुसार लाटरी के संचालन के लिए चार लोगों का सिडिंकेट वजीर-विशाल के नाम से चलता है। जिसमें पश्चिम बंगाल के दालकोला समेत शहर के अन्य लोग शामिल हैं। सिडिंकेट अपने निर्धारित सेलर के यहां प्रतिदिन करोड़ों की लाटरी पहुंचाते हैं जहां से लोगों को करोड़पति बनने का झांसा देकर लाटरी की बिक्री की जाती है। सूत्र बताते हैं कि कई बार प्रशासन द्वारा यहां नकली लाटरी पकड़ा गया। लेकिन निरंतर कार्रवाई नहीं होने के कारण इन दिनों बाजार में सुपर एवन नाम से लाटरी धड़ल्ले से बिक रही है। शहर के सुभाषल्ली, चूड़ीपट्टी, रूईधासा, किशनगंज हाट, पश्चिम पाली, लहरा चौक, कबीर चौक, बेलवा, मस्तान चौक, सिंधिया चौक समेत अन्य चौक-चौराहों पर लाटरी की बिक्री होती है। सूत्र बताते हैं कि सिंडिकेट के सदस्य चयनित सेलर के यहां लाटरी पहुंचाते हैं। सेलर में शौकत, बबन, राजू, परवेज, उत्तम, बारिक, इस्माइल, मोफिज् समेत अन्य लोग जुड़े हुए हैं। सूत्रों की माने तो असली की आड़ में नकली लाटरी बेची जा रही है। एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि वो नियमित रूप से पांच सौ से हजार रुपये की लाटरी खरीदते थे। ताकि उनकी किस्मत भी बदल सके। लेकिन बाद में पता चला कि नकली लाटरी थमाया जाता था। कभी-कभी दो सौ से पांच सौ रुपये फंसने की बात कही जाती थी। लालच के कारण पूरी तरह जब बर्बाद हो गये तब होश आया और किसी तरह फिर से दुकानदारी को पटरी पर लाया हूं। ऐसे कई लोग हैं जो लाटरी से कंगाल हो रहे हैं। जबकि सिडिंकेट चलाने वाले मालामाल हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो शहर के अलावा ग्रामीण बाजारों में भी लाटरी का कारोबार हो रहा है। यही नहीं दीपावली से लेकर छठ तक व्यापक पैमाने पर लाटरी मंगाकर कारोबार किया जा रहा है। जिसपर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रही है।

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