Updated: Thu, 07 Aug 2025 03:09 PM (IST)
एआईएमआईएम के निलंबित जिलाध्यक्ष रहीमुद्दीन उर्फ हैबर पर सरकारी धन के गबन और दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप हैं। राजनीतिक रसूख के चलते उन्होंने काफी संपत्ति अर्जित की। अब पुलिस ने उनकी संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव भेजा है। हैबर की पत्नी 2010 में प्रखंड प्रमुख बनीं और वे सरकारी योजनाओं में हेराफेरी करते रहे। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वे राजद में भी रह चुके हैं।
जागरण संवाददाता, किशनगंज। एआईएमआईएम के निलंबित जिलाध्यक्ष रहीमुद्दीन उर्फ हैबर अपनी राजनीतिक रसूख से गुनाहों पर पर्दा डालते रहे। सरकारी राशि गबन से लेकर दुष्कर्म तक का आरोप लगने के बाद भी राजनीतिक दलों में अपना कद बनाए रखा। इस माध्यम से काफी संपति भी अर्जित की, लेकिन उनके संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव भेजे जाने के राजनीतिक रसूख को भी झटका लगा है तो अर्जित की गई संपत्ति जाने का भी खतरा बना हुआ है।
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पत्नी को बनाया था प्रखंड प्रमुख, अधिकारियों से थी नजदीकी
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2010 में हैबर ने अपनी पत्नी को पंचायत समिति सदस्य के चुनाव मैदान में उतारा था। पंसस चुनाव जतीने के बाद अपने दम पर राजनीतिक सलाहकारों के बदौलत ठाकुरगंज प्रखंड का प्रमुख पत्नी को बनाने में कामयाब रहे। हालांकि, पत्नी के प्रमुख रहने पर सारा कार्य हैबर ही संभालते थे।
सूत्र बताते हैं कि उस समय के अधिकारियों व कर्मियों से इनकी खूब बनती थी। जिस माध्यम से एमएसडीपी योजना, स्कूल और आंगनबाड़ी समेत अन्य सरकारी योजनाओं में इनका प्रभाव था। जिस कारण बिना कार्य कराए या अधूरा कार्य किये ही सरकारी राशि निकासी कर संपति बनाते रहे।
है बर का नाम तब सामने आया था जब पंचायत सचिव मामले में फंसे। उन्होंने खुलासा किया था कि हैबर योजना के रजिस्टर में रुपये खुद लेकर रखता था। जनप्रतिनिधि के कार्यकाल में सरकार के करीब दो करोड़ से अधिक की राशि का वारा-न्यारा किया गया। जिसपर इनके खिलाफ ठाकुरगंज थाना में मामला भी दर्ज कराया गया और पुलिस ने आरोप पत्र भी समर्पित कर दिया है।
छह आपराधिक मामला हैं दर्ज
पुलिस सूत्रों के अनुसार, निलंबित जिलाध्यक्ष हैबर पर ठाकुरगंज थाना में ही छह आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुछ वर्ष पूर्व ठाकुरगंज पुलिस ने इनका नाम गुंडा पंजी में दर्ज करने की कार्रवाई भी शुरू की थी। इनपर दुष्कर्म की धाराओं के अलावा मारपीट, छिनतई का भी मामला दर्ज है, लेकिन राजनीतिक रसूख के कारण खुलेआम घूम रहे थे। जानकारों के अनुसार फिलहाल वो जमीन के कारोबार से भी जुड़ गए थे।
राजद में भी रह चुके हैं प्रधान महासचिव
कुछ सालों तक राजद का दामन थामे रखा। पटना से प्रधान महासचिव का पत्र लेकर आने के बाद उनके समर्थकों ने स्वागत भी किया था, परंतु राजद उन्हें रास नहीं आया। जिसके बाद पार्टी बदलकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में शामिल हो गए। उन्हें पार्टी का जिला अध्यक्ष का पद भी दे दिया।
अब जब संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव पुलिस ने भेजा है तो इसकी जानकारी मिलते ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें पद से निलंबित करते हुए स्पष्टीकरण पूछा है।
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