Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar: फर्जी आवास प्रमाणपत्र बनाने के रैकेट का पर्दाफाश, सिर्फ 200 रुपये में हो रहा था 'खेल'

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 09:17 PM (IST)

    किशनगंज के गंधर्वडांगा थाना क्षेत्र में फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया। तलवारबंधा गांव से एक कंप्यूटर दुकानदार को गिरफ्तार किया गया और कई उपकरण बरामद हुए। आरोपी प्रति व्यक्ति 200 रुपये लेकर फर्जी प्रमाणपत्र बनाता था। पुलिस मामले की जांच कर रही है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

    Hero Image
    फर्जी आवास प्रमाणपत्र बनाने के रैकेट का पर्दाफाश, सिर्फ 200 रुपये में हो रहा था 'खेल'

    संवाद सूत्र, दिघलबैंक (किशनगंज)। गंधर्वडांगा थाना क्षेत्र में फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाने के रैकेट का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। मामले में तलवारबंधा गांव से एक कंप्यूटर दुकानदार को गिरफ्तार कर कई उपकरण बरामद किया गया। उसके पास से फर्जी आवास प्रमाणपत्र भी मिले हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एसपी सागर कुमार ने बताया कि फर्जी तरीके से आवास प्रमाणपत्र बनाने में एक बड़े रैकेट के शामिल होने की सूचना गर्वनडांगा थानाध्यक्ष को मिली थी। टीम ने इस रैकेट के तलवारबंधा गांव के वार्ड संख्या छह स्थित एक ठिकाने पर छापेमारी की। इस दौरान दिलीप कुमार साह के पुत्र अजय कुमार साह को पकड़ा गया।

    उसने पुलिस को बताया कि वह फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाने के गिरोह में शामिल हैं। वे आइडी और पासवर्ड का उपयोग कर फर्जी आवास प्रमाणपत्र बनाते हैं।

    गिरफ्तार अभियुक्त की निशानदेही पर 20 संदिग्ध आवास प्रमाणपत्र, एक लैपटाप, एक प्रिंटर, मोबाइल, पैन ड्राइव, 39 हजार 602 रुपये नगद, डेढ़ सौ रुपये की नेपाली करेंसी, फिंगर प्रिंट स्कैनर बरामद किया गया है।

    रैकेट में शामिल अन्य लोगों के नाम की जानकारी मिली है। कार्रवाई के लिए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मंगलेश कुमार सिंह के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था। इसमें साइबर डीएसपी रविशंकर कुमार, डीआइयू प्रभारी जन्मेजय शर्मा, गर्वनडंगा थानाध्यक्ष कुंदन कुमार समेत अन्य शामिल थे।

    महज दो सौ रुपये में बन जाता था आवास प्रमाणपत्र

    पूछताछ के क्रम में पुलिस को आरोपित ने बताया कि एक व्यक्ति द्वारा उपलब्ध एक लिंक के माध्यम से पिछले एक माह के अंदर लगभग सौ से अधिक फर्जी आवास प्रमाणपत्र बनाया गया है।

    इसके लिए वह प्रति व्यक्ति 200 रुपये लेता था। दौ सौ रुपये में लिंक भेजने वाले का 20 रुपये हिस्सा था। माना जा रहा है कि गहन मतदाता पुनरीक्षण को लेकर आवास प्रमाणपत्र बनाने की मची होड़ के बीच फर्जी तरीके से भी आवास प्रमाणपत्र जारी करने के लिए रैकेट सक्रिय हो गया था।

    बीडीओ को हुआ शक तो पुलिस तक पहुंचा मामला

    एसपी के मुताबिक गिरफ्तार युवक से मिले प्रमाणपत्रों को जांच के लिए इसे प्रशासन को भेजा गया। बीडीओ ने राजस्व अधिकारी से इसकी जांच कराई। इसमें चार प्रमाणपत्र फर्जी निकले।

    एसआईआर के तहत आए प्रमाणपत्रों पर भी सवाल

    दिघलबैंक प्रखंड जिले के अन्य प्रंखडों के मुकाबले यहां वोटरों की संख्या कम (एक लाख छह हजार) है। प्रशासिनक सूत्रों के मुताबिक, एसआईआर के तहत फॉर्म भरे जाने के दौरान दिघलबैंक प्रखंड में छह हजार के करीब आवास प्रमाणपत्र बनाए जाने के आवेदन अंचल कार्यालय को मिले।

    जिले के सभी प्रखंडों में करीब डेढ़ लाख आवास प्रमाणपत्र के आवेदन आए। अब जबकि फर्जी प्रमाणपत्र बनाए जाने की बात समाने आ रही है तो एसआइआर के तहत भरे गए फार्म में कितने फर्जी हैं इसकी खोज करना भी चुनौती होगी।