धान की बेहतर पैदावार के लिए क्या करें और क्या न करें? कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह
चानन प्रखंड के किसानों को धान की अच्छी उपज के लिए खरपतवार नियंत्रण और उर्वरक प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। कृषि विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है कि वे वैज्ञानिक तरीकों से खेती करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए 2-4-डी का छिड़काव करें और दीमक से बचाव के लिए उपाय करें। सही मात्रा में उर्वरक डालें और जैविक खादों का प्रयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।

जागरण संवाददाता, चानन (लखीसराय)। कृषि प्रधान चानन प्रखंड के किसानों को खरीफ की मुख्य फसल धान में बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए खरपतवार नियंत्रण एवं उर्वरक का उचित प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। कृषि विभाग लगातार किसानों को जागरूक कर रहा है कि पारंपरिक विधि के साथ-साथ वैज्ञानिक विधि अपनाकर किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विभाग के समन्वयक संदीप कुमार ने बताया कि धान की रोपाई या सीधी बुआई के शुरुआती दिन खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। खेत में खरपतवार जमा होने से धान की फसल की वृद्धि बाधित होती है, जिससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इससे बचाव के लिए सीधी बुआई वाले खेत में 25 दिन और रोपाई वाले खेत में 30 दिन बाद 2-4-डी 2.5 लीटर प्रति एकड़ का छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में पानी होना चाहिए और उस दिन बारिश की संभावना नहीं होनी चाहिए। छिड़काव के अगले दिन खेत में सिंचाई करें।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि खेत में नमी बनाए रखना ज़रूरी है, क्योंकि खेत सूखने पर दीमक का प्रकोप बढ़ जाता है। दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरोपाइरीफॉस दवा को 3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर या रेत में मिलाकर छिड़काव करें। नीम के तेल का छिड़काव भी कारगर माना जाता है।
सही मात्रा में खाद डालें
कृषि समन्वयक ने बताया कि धान की फसल में प्रति एकड़ 160 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फेट और 40 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए। इससे फसल को पर्याप्त पोषण मिलेगा और उपज में वृद्धि होगी। अगर खड़ी फसल में जिंक की कमी हो, तो दो किलोग्राम जिंक सल्फेट और तीन किलोग्राम यूरिया को प्रति एकड़ चार सौ लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से समस्या का समाधान हो जाता है।
उन्होंने जैविक खादों के प्रयोग पर ज़ोर देते हुए कहा कि अगर किसान रासायनिक खादों के साथ गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और अन्य जैविक खादों का प्रयोग करें, तो मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और उत्पादन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
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