लखीसराय में NDA और महागठबंध के बीच कांटे की टक्कर, सूर्यगढ़ा में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
लखीसराय में आगामी चुनावों में कांटे की टक्कर होने की संभावना है, जहां विभिन्न पार्टियां अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं। वहीं, सूर्यगढ़ा में त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं, जिससे चुनाव परिणाम अनिश्चित हो गया है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं।
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो)
संवाद सहयोगी, लखीसराय। बिहार विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अब चुनाव प्रचार जैसे-जैसे जोर पकड़ेगा लखीसराय का राजनीतिक तापमान बढ़ते ही चला जाएगा।
बताते चलें कि नामांकन के साथ ही संवीक्षा प्रक्रिया संपन्न होने के बाद लखीसराय विस सीट से 13 और सूर्यगढ़ा विस सीट से आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। दोनों ही सीटों पर पहली बार जनसुराज ने भी उम्मीदवार खड़ा किया है।
इसके बावजूद लखीसराय विधानसभा में एनडीए और महागठबंधन के बीच ही मुख्य रूप से मुकाबला होना है। शेष उम्मीदवार अपनी जमानत बचा लें, इसके लिए ही वे संघर्ष करेंगे।
लखीसराय में देखने को मिलेगा सीधा मुकाबला
लखीसराय विधानसभा सीट से अब तक उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में इस बार भी वे इसी सीट से उम्मीदवार हैं। इसको लेकर यह सीट काफी चर्चा में है। वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लगातर दूसरी बार अमरेश कुमार अनीश प्रत्याशी है।
पिछले बार उन्हें भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा के हाथों 10483 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। 2020 के चुनाव में विजय कुमार सिन्हा को 74212 वोट तो अमरेश कुमार अनीश को 63729 मत प्राप्त हुआ था। बताते चलें कि लखीसराय विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बहुल सीट है।
ऐसे में एनडीए और महागठबंधन दोनों ने ही भूमिहार समाज से ही प्रत्याशी दिया है। यहां तक कि जनसुराज ने भी भूमिहार को ही टिकट दिया है। ऐसे में इस बार यहां भूमिहार वोटों का दोनों प्रत्याशियों के बीच विभाजन तय है।
इसके अलावा एक ओर जहां लगातार तीन बार से विधायक रहे विजय कुमार सिन्हा के प्रति लोगों में नाराजगी है तो दूसरी ओर भूमिहार वर्ग के मतदाताओं में महागठबंधन के प्रति चली आ रही स्थायी दूरी है। ऐसे में ओबीसी और पिछड़ा वर्ग का मत लखीसराय विस से किसी प्रत्याशी के जीत के लिए निर्णायक माना जाएगा।
सूर्यगढ़ा में एनडीए को पहुंच सकती है दोहरी क्षति
सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट कुर्मी-धानुक बाहुल माना जाता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर भूमिहार आते हैं। इसके बावजूद तत्कालिक कारणों से इस सीट से तीन बार राजद के प्रह्लाद यादव चुनाव जीत चुके हैं।
वर्तमान में राजनीति परिदृश्य में बदलाव गया है। प्रहलाद यादव करीब तीन दशक के अपने राजनीतिक करियर में पहली बार चुनावी मैदान से बाहर हैं। इस बार इस सीट से एनडीए व महागठबंधन तथा जनसुराज के अलावा लोजपा (रामविलास) से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह फिर से चुनाव मैदान में हैं।
पिछली बार वे लोजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे। 2020 के चुनाव में विजेता राजद के प्रह्लाद यादव को 62306, दूसरे स्थान पर रहे जदयू के रामानंद मंडल को 52717 तथा रविशंकर प्रसाद सिंह अशोक को 44797 वोट प्राप्त हुआ था। पिछले बार उन्होंने यहां से जदयू का खेल बिगाड़ दिया था।
इस बार रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फिर से चुनाव मैदान में है। बताया जा रहा है कि इस बार भूमिहार समाज उनकी ओर दोबारा गोलबंद हो रहा है। वहीं, जनसुराज के प्रत्याशी अमित सागर कुर्मी समाज से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वे भी एनडीए को ही क्षति पहुचाएंगे।
ऐसे में इस बार ऐसा लग रहा है कि सूर्यगढ़ा विस क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होगा तथा किसकी जीत होगी, यह कहना अभी मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
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