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    तीन दशक बाद दोहराया इतिहास: मधेपुरा से ही अलग हुई थी लालू-शरद की राहें, अब तेजस्वी-शांतनु में बढ़ी दूरियां

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    मधेपुरा में तीन दशक बाद इतिहास दोहराया गया है। जैसे कभी लालू और शरद यादव की राहें अलग हुईं, अब तेजस्वी यादव और शांतनु के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। मधेपुरा एक बार फिर राजनीतिक दूरियों का केंद्र बन गया है, जहाँ मतभेदों के कारण रिश्ते टूट रहे हैं। यह घटनाक्रम राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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    मधेपुरा में तेजस्वी यादव और शरद यादव के बेटे शांतनु बुंदेला के बीच बढ़ी दूरियां। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मधेपुरा। साल 1998 का लोकसभा चुनाव मधेपुरा को राष्ट्रीय सुर्खियों में ले आया था, जब लालू प्रसाद यादव और शरद यादव आमने-सामने थे। उस वक्त लालू ने जीतकर “रोम में पोप, मधेपुरा में गोप” का नारा बुलंद किया था, जबकि 1999 में शरद यादव ने पलटवार करते हुए लालू को हराया। इसके बाद 2004 में फिर लालू यादव ने शरद यादव को मधेपुरा लोकसभा सीट पर पटखनी दी।

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    तीन दशक बाद वही मधेपुरा फिर चर्चा में है। इस बार रिश्तों की दरार तेजस्वी यादव और शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला के बीच दिख रही है। शांतनु ने टिकट काटे जाने पर नाराजगी जताते हुए मधेपुरा को अपनी कर्मभूमि बताया है और कहा कि मेरे पिता ने 2022 में अपनी पार्टी का राजद में विलय कर दिया था।

    अभी मधेपुरा में अपने समर्थकों से मिल रहा हूं। राय मशविरा कर रहा हूं। जल्द ही निर्णय लूंगा। मैं मजबूती से खड़ा हूं। सड़क से फिर शुरुआत करूंगा और संघर्ष का रास्ता चुनुंगा। कोसी, बिहार एवं बिहार के बाहर के अपने लोगों के साथ बैठक कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।

    तीन दशक बाद मधेपुरा की सियासत फिर उसी मोड़ पर खड़ी है, जहां से एक समय लालू और शरद की राहें अलग हुई थी। अब तेजस्वी और शांतनु के बीच दूरी बढ़नी शुरू हो गई है।

    मूल में विरासत की राजनीति है लेकिन नाम अवसरवाद का दिया जा रहा है। शरद यादव की राजनीति की जड़ें मधेपुरा से निकली थीं और अब उनके बेटे का टिकट कटना राजनीतिक विरासत पर सवाल खड़ा कर रहा है।

    पुराने समाजवादी नेता सह शरद यादव के करीबी रहे पूर्व एमएलसी विजय वर्मा का कहना है कि टिकट नहीं मिलने के कारण शांतनु की नाराजगी है, लेकिन फिलहाल चुप रहना ही बेहतर है। यह समय महागठबंधन को मजबूत करने का है न कि आपसी तकरार का।