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    Bihar: उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ बोले- बिहार के राष्ट्र गुरु बनने से ही भारत बनेगा विश्व गुरु

    By Kapileshwar SahEdited By: Prateek Jain
    Updated: Sun, 26 Mar 2023 09:16 PM (IST)

    Sameer Kumar Mahaseth प्रदेश के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि बिहार के राष्ट्र गुरु बनने से ही देश विश्व गुरु बनेगा। बिहार की संस्कृति सदैव राष्ट्रवाद को बल प्रदान करती रही है। मंत्री ने कहा कि सभी धर्मों के मूल में चरित्र निर्माण का दर्शन मिलता है।

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    उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ बोले- बिहार के राष्ट्र गुरु बनने से ही भारत बनेगा विश्व गुरु

    मधुबनी, जागरण संवाददाता: प्रदेश के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि बिहार के राष्ट्र गुरु बनने से ही देश विश्व गुरु बनेगा। बिहार की संस्कृति सदैव राष्ट्रवाद को बल प्रदान करती रही है।

    वे रविवार को भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की ओर से स्थानीय जेएमडीपीएल महिला कालेज के सभाकक्ष में विविधतापूर्ण भारतीय समाज में राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता के लिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आवश्यकता विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

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    मंत्री ने कहा कि सभी धर्मों के मूल में चरित्र निर्माण का दर्शन मिलता है। चरित्र निर्माण के लिए हरेक को अपनी बौद्धिक क्षमता को विकसित करते हुए इस पर निरंतर मंथन करना चाहिए।

    देश के विभिन्न हिस्सों की लोक संस्कृति देश-दुनिया को नई राष्ट्रीय एकता का संदेश देती है। आज के बदलते समय में भी हमारा प्राचीन सांस्कृतिक महत्व बढ़ा है।

    सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बगैर राष्ट्रीय एकता की कल्पना नहीं की जा सकती है। मंत्री ने कहा कि बिहार में शिक्षण संस्थानों की स्थिति में निरंतर विकास हो रहा है।

    शिक्षा के सहारे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विकसित संभव है। हमें अपनी कमियों को दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कालेज में पीजी की पढ़ाई के लिए अधूरे भवन के निर्माण कार्य को पूरा कराने का आश्वासन दिया।

    'राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत चरित्र का अहम योगदान'

    बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. आरपी श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत चरित्र निर्माण का अहम योगदान होता है। वेद के अध्ययन की जरूरत है। मैक्समूलर ने अंग्रेजी में वेद का अनुवाद किया है। इससे वेद का महत्व सिद्ध होता है।

    अनेकों धार्मिक ग्रंथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सीख देती है। देश के अनेकों महापुरुषों ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया है। दुनियाभर में भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की उत्कृष्ट पहचान रही है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विकसित होने से देश की एकता को बल मिलता है। -

    'देश के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना कहलाता है राष्ट्रवाद'

    भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व सदस्य सचिव डा. एमपी सिंह ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए माता-पिता व गुरु से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मानवीय मूल्यों की रक्षा और राष्ट्रप्रेम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को प्रेरित करता है।

    राष्ट्र के प्रति लगाव और समर्पण की भावना ही राष्ट्रवाद होता है। राष्ट्र की तुलना मां से की जाती है। देश के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना राष्ट्रवाद कहलाता है। सभी नागरिकों को राष्ट्र के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। क्षेत्रीयता से ऊपर उठकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

    कालेज की प्रधानाचार्य डा. मीना प्रसाद ने अध्यक्षता और डा. विनय कुमार दास ने मंच संचालन किया। सेमिनार को डा. अमर कुमार, डा. किरण कुमारी झा, डा. यूएन तिवारी, डा. मिथिलेश झा, डा. साध्वी कुमारी आदि ने संबोधित किया। मौके पर महेंद्र लाल कर्ण, अनिल दास समेत कई शिक्षाविद् मौजूद रहे। स्वागत गान मोहनी कर्ण, अंजू कुमारी, अंशु मल्लिक, प्रभाती कमलिनी आदि ने गाए।